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स्पेशल: संविधान निर्माण में बीकानेर का भी है खास नाता, जसवंत सिंह ने भी प्रारूप समिति में बुना था ताना-बाना - बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर

देश में कुल 284 लोग संविधान निर्मात्री समिति में शामिल थे और इस समिति में राजस्थान के 12 लोगों में एक बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर भी शामिल थे. आज संविधान दिवस पर देखिए जसवंत सिंह तवर पर यह स्पेशल रिपोर्ट...

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भारतीय संविधान में बीकानेर का भी है नाता...
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Published : Nov 26, 2019, 3:21 PM IST

बीकानेर. रियासत काल से ही बीकानेर अपना एक अलग स्थान रखता है. राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर बढ़ते भारत में भी बीकानेर का एक महत्वपूर्ण स्थान है. 26 नवंबर 1949 को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में गणतंत्र की स्थापना हुई. पूरी दुनिया में भारत का एक अलग स्थान इस दिन कायम हो गया. भारतीय संविधान निर्मात्री समिति के सालों की मेहनत के बाद संविधान का एक प्रारूप सामने आया, जिसे देश ने स्वीकार किया और आज भी उसी संविधान पर भारत चल रहा है.

बीकानेर के जसवंत सिंह भी थे संविधान सभा की प्रारूप समिति में शामिल

26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को देश ने स्वीकार किया और आज संविधान दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है. भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में बने भारतीय संविधान से बीकानेर का भी नाता रहा है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल रिपोर्टः भारतीय संविधान में राजस्थान के हस्तशिल्प कलाकार की कारीगरी

बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर संविधान निर्मात्री सभा के 284 सदस्यों में शामिल थे, जिन्होंने इसे बनाने में अपना योगदान दिया. आज भी भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं, उनमें एक हस्ताक्षर बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर के भी हैं. बीकानेर रियासत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जसवंत सिंह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे. राजस्थान के कुल 12 लोग इस समिति के सदस्य रहे. राजतंत्र के समय बीकानेर के प्रधानमंत्री तत्कालीन महाराजा गंगा सिंहजी के निजी सचिव जसवंत सिंह उसने रियासत काल में भी कई प्रमुख पदों पर रहे. उन्होंने सार्वजनिक कार्य, शिक्षा, खाद्य और राजकीय गृह विभाग के प्रधान के रूप में कार्य किया. बीकानेर के तत्कालीन राजा साधु सिंह के समय जसवंत सिंह तंवर बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे.

यह भी पढ़ें- खास बातचीत : कानूनविद् अश्विनी कुमार बोले - हमारी राजनीति संविधान के मूल्यों के अनुसार नहीं

लोकतंत्र में भी रही महत्वपूर्ण भूमिका...

राजतंत्र के बाद लोकतंत्र में भी जसवंत सिंह तंवर की मुख्य भूमिका रही और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य बनने के साथ-साथ ही देश की पहली अस्थाई संसद में भी सदस्य बने. इसके अलावा साल 1951 में राजस्थान के प्रथम मंत्रीमंडल में बतौर वित्त मंत्री और साल 1952 से 1956 तक तंवर राजस्थान के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 1956 से 1962 तक भारत के राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी जसवंत सिंह का कार्यकाल रहा.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रहे छात्र...

पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित किए हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक होनहार छात्र के रूप में जसवंत सिंह तंवर की गिनती होती थी. उनके भतीजे ठाकुर महावीर सिंह कहते हैं कि खुद मालवीय जी ने ही जसवंत सिंह और उनके साथियों को संविधान प्रारूप का कार्य दिया था और कई सालों की मेहनत के बाद उन्होंने संविधान का प्रारूप बनाकर मदन मोहन मालवीय को सौंपा था.

राजस्थान के इन लोगों के साथ निभाई जिम्मेदारी...

बीकानेर रियासत के दाउदसर गांव के रहने वाले जसवंत सिंह तंवर ने गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया था और राजस्थान के टीटी कृष्णमाचारी, हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह खेतड़ी राज बहादुर, माणिक्यलाल वर्मा, गोकुललाल असावा, रामचंद्र उपाध्याय, बलवंत सिंह मेहत, दलेल सिंह, जयनारायण व्यास और मुकुट बिहारीलाल के साथ ही जसवंत सिंह तंवर भी संविधान निर्मात्री सभा के राजस्थान के 12 सदस्यों में शामिल थे.

बीकानेर. रियासत काल से ही बीकानेर अपना एक अलग स्थान रखता है. राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर बढ़ते भारत में भी बीकानेर का एक महत्वपूर्ण स्थान है. 26 नवंबर 1949 को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में गणतंत्र की स्थापना हुई. पूरी दुनिया में भारत का एक अलग स्थान इस दिन कायम हो गया. भारतीय संविधान निर्मात्री समिति के सालों की मेहनत के बाद संविधान का एक प्रारूप सामने आया, जिसे देश ने स्वीकार किया और आज भी उसी संविधान पर भारत चल रहा है.

बीकानेर के जसवंत सिंह भी थे संविधान सभा की प्रारूप समिति में शामिल

26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को देश ने स्वीकार किया और आज संविधान दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है. भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में बने भारतीय संविधान से बीकानेर का भी नाता रहा है.

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बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर संविधान निर्मात्री सभा के 284 सदस्यों में शामिल थे, जिन्होंने इसे बनाने में अपना योगदान दिया. आज भी भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं, उनमें एक हस्ताक्षर बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर के भी हैं. बीकानेर रियासत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जसवंत सिंह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे. राजस्थान के कुल 12 लोग इस समिति के सदस्य रहे. राजतंत्र के समय बीकानेर के प्रधानमंत्री तत्कालीन महाराजा गंगा सिंहजी के निजी सचिव जसवंत सिंह उसने रियासत काल में भी कई प्रमुख पदों पर रहे. उन्होंने सार्वजनिक कार्य, शिक्षा, खाद्य और राजकीय गृह विभाग के प्रधान के रूप में कार्य किया. बीकानेर के तत्कालीन राजा साधु सिंह के समय जसवंत सिंह तंवर बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे.

यह भी पढ़ें- खास बातचीत : कानूनविद् अश्विनी कुमार बोले - हमारी राजनीति संविधान के मूल्यों के अनुसार नहीं

लोकतंत्र में भी रही महत्वपूर्ण भूमिका...

राजतंत्र के बाद लोकतंत्र में भी जसवंत सिंह तंवर की मुख्य भूमिका रही और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य बनने के साथ-साथ ही देश की पहली अस्थाई संसद में भी सदस्य बने. इसके अलावा साल 1951 में राजस्थान के प्रथम मंत्रीमंडल में बतौर वित्त मंत्री और साल 1952 से 1956 तक तंवर राजस्थान के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 1956 से 1962 तक भारत के राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी जसवंत सिंह का कार्यकाल रहा.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रहे छात्र...

पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित किए हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक होनहार छात्र के रूप में जसवंत सिंह तंवर की गिनती होती थी. उनके भतीजे ठाकुर महावीर सिंह कहते हैं कि खुद मालवीय जी ने ही जसवंत सिंह और उनके साथियों को संविधान प्रारूप का कार्य दिया था और कई सालों की मेहनत के बाद उन्होंने संविधान का प्रारूप बनाकर मदन मोहन मालवीय को सौंपा था.

राजस्थान के इन लोगों के साथ निभाई जिम्मेदारी...

बीकानेर रियासत के दाउदसर गांव के रहने वाले जसवंत सिंह तंवर ने गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया था और राजस्थान के टीटी कृष्णमाचारी, हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह खेतड़ी राज बहादुर, माणिक्यलाल वर्मा, गोकुललाल असावा, रामचंद्र उपाध्याय, बलवंत सिंह मेहत, दलेल सिंह, जयनारायण व्यास और मुकुट बिहारीलाल के साथ ही जसवंत सिंह तंवर भी संविधान निर्मात्री सभा के राजस्थान के 12 सदस्यों में शामिल थे.

Intro:26 नवंबर 1949 को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में गणतंत्र की स्थापना हुई पूरी दुनिया में भारत का एक अलग स्थान इस दिन कायम हो गया भारतीय संविधान निर्मात्री समिति के सालों की मेहनत के बाद संविधान का एक प्रारूप सामने आया जिसे देश ने स्वीकार किया और आज भी उसी संविधान पर भारत चल रहा है। देश में कुल 284 लोग संविधान निर्मात्री समिति में शामिल थे और इस समिति में राजस्थान के 12 लोगों में एक बीकानेर के जसवंत सिंह तवर भी शामिल रहे। आज संविधान दिवस पर यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:बीकानेर। रियासत काल से ही बीकानेर अपना एक अलग स्थान रखता है राजतंत्र से लोकतंत्र की और बढ़ते भारत में भी बीकानेर का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को देश ने स्वीकार किया और आज संविधान दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है। भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की अगवाई में बने भारतीय संविधान से बीकानेर कभी नाता रहा है बीकानेर के जसवंत सिंह कंवर संविधान निर्मात्री सभा के 284 सदस्यों में शामिल थे जिन्होंने इसे बनाने में अपना योगदान दिया और आज भी भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें एक हस्ताक्षर बीकानेर के जसवंत सिंह तवर के भी हैं। बीकानेर रियासत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जसवंत सिंह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे राजस्थान के कुल 12 लोग इस समिति के सदस्य रहे हैं। राजतंत्र के समय बीकानेर के प्रधानमंत्री तत्कालीन महाराजा गंगासिंहजी के निजी सचिव जसवंत सिंह उसने रियासत काल में भी कई प्रमुख पदों पर रहे। उन्होंने सार्वजनिक कार्य, शिक्षा, खाद्य और राजकीय गृह विभाग के प्रधान के रूप में कार्य किया। बीकानेर के तत्कालीन राजा साधु सिंह के समय जसवंत सिंह तंवर बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे।

लोकतंत्र में भी रही महत्वपूर्ण भूमिका
राजतंत्र के बाद लोकतंत्र में भी जसवंत सिंह तोमर की मुख्य भूमिका रही और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य बनने के साथ साथ ही देश की पहली अस्थाई संसद में भी सदस्य बने। इसके अलावा 1951 में राजस्थान के प्रथम मंत्री मंडल में बतौर वित्त मंत्री और 1952 से 1956 तक तवर राजस्थान के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे। 1956 से 1962 तक भारत के राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी जसवंत सिंह का कार्यकाल रहा।




Conclusion:बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र रहे
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय स्थापित किए हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक होनहार छात्र के रूप में जसवंत सिंह तंवर की गिनती होती थी। जसवंत सिंह तोमर के भतीजे ठाकुर महावीर सिंह कहते हैं कि खुद मालवीय जी ने ही जसवंत सिंह और उनके साथियों को संविधान प्रारूप का कार्य दिया था और कई सालों की मेहनत के बाद उन्होंने संविधान का प्रारूप बनाकर मदन मोहन मालवीय को सौंपा था

राजस्थान के इन लोगों के साथ निभाई जिम्मेदारी
बीकानेर रियासत के दाउदसर गांव के रहने वाले जसवंत सिंह तंवर ने गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया था और राजस्थान के टीटी कृष्णमाचारी, हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह खेतड़ी राजबहादुर, माणिक्यलाल वर्मा, गोकुललाल असावा, रामचंद्र उपाध्याय, बलवंत सिंह मेहत, दलेल सिंह, जयनारायण व्यास और मुकुट बिहारीलाल के साथ ही जसवंत सिंह तंवर भी संविधान निर्मात्री सभा के राजस्थान के 12 सदस्यों में शामिल रहे हैं।

बाइट ठाकुर महावीर सिंह तंवर, भतीजे जसवंत सिंह तंवर




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