बीकानेर. रियासत काल से ही बीकानेर अपना एक अलग स्थान रखता है. राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर बढ़ते भारत में भी बीकानेर का एक महत्वपूर्ण स्थान है. 26 नवंबर 1949 को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में गणतंत्र की स्थापना हुई. पूरी दुनिया में भारत का एक अलग स्थान इस दिन कायम हो गया. भारतीय संविधान निर्मात्री समिति के सालों की मेहनत के बाद संविधान का एक प्रारूप सामने आया, जिसे देश ने स्वीकार किया और आज भी उसी संविधान पर भारत चल रहा है.
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को देश ने स्वीकार किया और आज संविधान दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है. भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की अगुवाई में बने भारतीय संविधान से बीकानेर का भी नाता रहा है.
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बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर संविधान निर्मात्री सभा के 284 सदस्यों में शामिल थे, जिन्होंने इसे बनाने में अपना योगदान दिया. आज भी भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं, उनमें एक हस्ताक्षर बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर के भी हैं. बीकानेर रियासत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जसवंत सिंह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे. राजस्थान के कुल 12 लोग इस समिति के सदस्य रहे. राजतंत्र के समय बीकानेर के प्रधानमंत्री तत्कालीन महाराजा गंगा सिंहजी के निजी सचिव जसवंत सिंह उसने रियासत काल में भी कई प्रमुख पदों पर रहे. उन्होंने सार्वजनिक कार्य, शिक्षा, खाद्य और राजकीय गृह विभाग के प्रधान के रूप में कार्य किया. बीकानेर के तत्कालीन राजा साधु सिंह के समय जसवंत सिंह तंवर बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे.
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लोकतंत्र में भी रही महत्वपूर्ण भूमिका...
राजतंत्र के बाद लोकतंत्र में भी जसवंत सिंह तंवर की मुख्य भूमिका रही और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य बनने के साथ-साथ ही देश की पहली अस्थाई संसद में भी सदस्य बने. इसके अलावा साल 1951 में राजस्थान के प्रथम मंत्रीमंडल में बतौर वित्त मंत्री और साल 1952 से 1956 तक तंवर राजस्थान के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 1956 से 1962 तक भारत के राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी जसवंत सिंह का कार्यकाल रहा.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रहे छात्र...
पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित किए हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक होनहार छात्र के रूप में जसवंत सिंह तंवर की गिनती होती थी. उनके भतीजे ठाकुर महावीर सिंह कहते हैं कि खुद मालवीय जी ने ही जसवंत सिंह और उनके साथियों को संविधान प्रारूप का कार्य दिया था और कई सालों की मेहनत के बाद उन्होंने संविधान का प्रारूप बनाकर मदन मोहन मालवीय को सौंपा था.
राजस्थान के इन लोगों के साथ निभाई जिम्मेदारी...
बीकानेर रियासत के दाउदसर गांव के रहने वाले जसवंत सिंह तंवर ने गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया था और राजस्थान के टीटी कृष्णमाचारी, हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह खेतड़ी राज बहादुर, माणिक्यलाल वर्मा, गोकुललाल असावा, रामचंद्र उपाध्याय, बलवंत सिंह मेहत, दलेल सिंह, जयनारायण व्यास और मुकुट बिहारीलाल के साथ ही जसवंत सिंह तंवर भी संविधान निर्मात्री सभा के राजस्थान के 12 सदस्यों में शामिल थे.