ETV Bharat / city

गणेश चतुर्थी: बीकानेर के इस मंदिर में विराजमान हैं सफेद आक की जड़ से बने गणपति - गणेश उत्सव न्यूज

देश भर में गणेश चतुर्थी पर्व मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान गणेश की प्रतिमाओं को स्थापित किया जा रहा है. बीकानेर में 125 साल पुरानी सफेद आक की लकड़ी की बनी अद्भुत गणेश प्रतिमा है, जिसकी पूजा एक पुरोहित परिवार करता है. यहां के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा का तरीका भी सबसे अलग है.

White Ganesha in Bikaner, Ganesh Chaturthi in Bikaner
कानेर के एक मंदिर में विराजमान हैं सफेद आक की जड़ से बने गणपति
author img

By

Published : Aug 22, 2020, 8:09 PM IST

बीकानेर. पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम है. हर जगह भगवान गणेश की छोटी से लेकर विशाल प्रतिमाएं देखने को मिल रही हैं. वहीं राजस्थान के बीकानेर में सफेद आक की गणेश मूर्ति की अपनी महिमा है. इस प्रतिमा में भगवान गणेश के मस्तक पर सूर्य और चंद्रमा विराजमान हैं. इस खास मूर्ति का इतिहास 125 साल पुराना है.

बीकानेर के एक मंदिर में विराजमान हैं सफेद आक की जड़ से बने गणपति

अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान बाबा बालक नाथ नामक संत ने एक अंग्रेज वन अधिकारी की पत्नी का इलाज किया था. जिसके बाद अंग्रेज अधिकारी ने उन्हें भेंट के रूप में आक के पेड़ की जड़ भेंट की थी. उसी लकड़ी से बाबा बालक नाथ ने मूर्ति का निर्माण करवाया था. बाबा बालक नाथ ने अपने मृत्यु के समय अपने भक्त को यह प्रतिमा सौंप दी. तब से पुरोहित परिवार इस मूर्ति की पूजा कर रहा है.

इस गणेश मूर्ति की खास बात यह है कि इस मूर्ति में भगवान गणेश के भाल पर सूर्य और चंद्रमा विराजमान हैं. इस गणेश प्रतिमा की एक और खास बात इसका सफेद आक की जड़ से बनना है. माना जाता है कि सफेद आक के पेड़ से बनी देश की एक मात्र मूर्ति है, लेकिन राजस्थान के बीकानेर में एक अद्भुत गणपति परिवार की प्रतिमा है, जिसको बनाने में 19 साल लग गए. ऐसा इसलिए हुआ कि इस मूर्ति का निर्माण पुष्य नक्षत्र के दौरान हुआ है और मूर्ति के नयन नक्श भी बेहद आकर्षक हैं.

पढ़ें- विश्व प्रसिद्ध हम्पी में हैं भगवान गणेश की पौराणिक मूर्तियां

बीकानेर के इस गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी पर भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है, लेकिन कोरोना के चलते और जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ न के बराबर है. मंदिर और इसकी मूर्ति का इतिहास काफी पुराना है. यहां सवा सौ साल पहले इस मूर्ति को बनवाया गया था. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मूर्ति के निर्माण में 19 साल का समय लगा था. गणेश मंदिर में पूजा और आरती करने का अपना एक अलग तरीका है.

दूसरे गणेश मंदिरों की बात करें तो आपको ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ भक्त आरती करते नजर आएंगे, लेकिन यहां भक्त पारंपरिक गाना गाकर गणपति को याद करते हैं. गणपति की सफेद आक से बनी मूर्ति 3 फिट और 7 इंच लंबी है. गणपति के मस्तक यानि ललाट पर सूर्य और चन्द्रमा के निशान को तंत्र सिद्धि से तैयार किया गया है. सूर्य और चंद्र धारण किए गणपति सदैव सर्व सिद्धि गणेश होते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु का मानना है कि भगवान गणेश का यह मंदिर बहुत चमत्कारी है. इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगते हैं, वो अवश्य पूरी होती है.

पढ़ें- कोटा: गणेश चतुर्थी का बाजारों में नजर आया उत्साह, बड़ी संख्या में बिकी पीओपी की मूर्तियां

आक की जड़ से बनी यह मूर्ति भारत की पहली सूर्य और चंद्र धारण किए गणपति सदैव सर्व सिद्धि गणेश होते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु का मानना है कि भगवान गणेश का यह मंदिर बहुत चमत्कारी है. इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगते हैं, वो अवश्य पूरी होती है. गणपति व रिद्धि सिद्धि की तीनों मूर्तियों का निर्माण एक ही तने से हुआ है. आक की जड़ से बना भगवान गणेश का यह मंदिर संभवत भारत की पहला मंदिर है, जहां गणेश की खड़ी मूर्ति है.

बीकानेर. पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम है. हर जगह भगवान गणेश की छोटी से लेकर विशाल प्रतिमाएं देखने को मिल रही हैं. वहीं राजस्थान के बीकानेर में सफेद आक की गणेश मूर्ति की अपनी महिमा है. इस प्रतिमा में भगवान गणेश के मस्तक पर सूर्य और चंद्रमा विराजमान हैं. इस खास मूर्ति का इतिहास 125 साल पुराना है.

बीकानेर के एक मंदिर में विराजमान हैं सफेद आक की जड़ से बने गणपति

अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान बाबा बालक नाथ नामक संत ने एक अंग्रेज वन अधिकारी की पत्नी का इलाज किया था. जिसके बाद अंग्रेज अधिकारी ने उन्हें भेंट के रूप में आक के पेड़ की जड़ भेंट की थी. उसी लकड़ी से बाबा बालक नाथ ने मूर्ति का निर्माण करवाया था. बाबा बालक नाथ ने अपने मृत्यु के समय अपने भक्त को यह प्रतिमा सौंप दी. तब से पुरोहित परिवार इस मूर्ति की पूजा कर रहा है.

इस गणेश मूर्ति की खास बात यह है कि इस मूर्ति में भगवान गणेश के भाल पर सूर्य और चंद्रमा विराजमान हैं. इस गणेश प्रतिमा की एक और खास बात इसका सफेद आक की जड़ से बनना है. माना जाता है कि सफेद आक के पेड़ से बनी देश की एक मात्र मूर्ति है, लेकिन राजस्थान के बीकानेर में एक अद्भुत गणपति परिवार की प्रतिमा है, जिसको बनाने में 19 साल लग गए. ऐसा इसलिए हुआ कि इस मूर्ति का निर्माण पुष्य नक्षत्र के दौरान हुआ है और मूर्ति के नयन नक्श भी बेहद आकर्षक हैं.

पढ़ें- विश्व प्रसिद्ध हम्पी में हैं भगवान गणेश की पौराणिक मूर्तियां

बीकानेर के इस गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी पर भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है, लेकिन कोरोना के चलते और जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार इस बार मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ न के बराबर है. मंदिर और इसकी मूर्ति का इतिहास काफी पुराना है. यहां सवा सौ साल पहले इस मूर्ति को बनवाया गया था. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मूर्ति के निर्माण में 19 साल का समय लगा था. गणेश मंदिर में पूजा और आरती करने का अपना एक अलग तरीका है.

दूसरे गणेश मंदिरों की बात करें तो आपको ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ भक्त आरती करते नजर आएंगे, लेकिन यहां भक्त पारंपरिक गाना गाकर गणपति को याद करते हैं. गणपति की सफेद आक से बनी मूर्ति 3 फिट और 7 इंच लंबी है. गणपति के मस्तक यानि ललाट पर सूर्य और चन्द्रमा के निशान को तंत्र सिद्धि से तैयार किया गया है. सूर्य और चंद्र धारण किए गणपति सदैव सर्व सिद्धि गणेश होते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु का मानना है कि भगवान गणेश का यह मंदिर बहुत चमत्कारी है. इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगते हैं, वो अवश्य पूरी होती है.

पढ़ें- कोटा: गणेश चतुर्थी का बाजारों में नजर आया उत्साह, बड़ी संख्या में बिकी पीओपी की मूर्तियां

आक की जड़ से बनी यह मूर्ति भारत की पहली सूर्य और चंद्र धारण किए गणपति सदैव सर्व सिद्धि गणेश होते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु का मानना है कि भगवान गणेश का यह मंदिर बहुत चमत्कारी है. इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगते हैं, वो अवश्य पूरी होती है. गणपति व रिद्धि सिद्धि की तीनों मूर्तियों का निर्माण एक ही तने से हुआ है. आक की जड़ से बना भगवान गणेश का यह मंदिर संभवत भारत की पहला मंदिर है, जहां गणेश की खड़ी मूर्ति है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.