बीकानेर. रोजी रोटी कमाने के लिए अपने घर से हजारों मील दूर कामकाज को लेकर आए मजदूरों के लिए लॉकडाउन किसी आफत से कम नहीं था. लॉक डाउन में फंसे यह मजदूर जब पैदल ही घर का रास्ता नापने लगे तो सरकार ने इनकी सुध ली और श्रमिक ट्रेन चलाकर इन लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया. बीकानेर में भी बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश बिहार और बंगाल के श्रमिक यहां की फैक्ट्रियों और रेस्टोरेंट में काम करते हैं. जिन्हें श्रमिक ट्रेन के माध्यम से घर भेजा गया.
बीकानेर में फंसे बंगाल के कई प्रवासी मजदूर अपने निजी साधनों से समूह के रूप में अपने घर खुद के खर्चे से रवाना हो गए. वहीं श्रमिक ट्रेन में भी रजिस्ट्रेशन करवाकर कई लोग घर के लिए रवाना हुए. बीकानेर से शुक्रवार को सातवीं श्रमिक ट्रेन बंगाल के मालदा के लिए रवाना हुई. शुक्रवार को बीकानेर से 1250 प्रवासी श्रमिकों को लेकर यह ट्रेन रवाना हुई तो, इन लोगों के चेहरों पर घर जाने की खुशी देखने को मिली. इससे पहले 6 ट्रैन बिहार और यूपी के श्रमिकों को लेकर गई है.
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इन प्रवासी श्रमिकों ने कहा लंबे समय से भी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे और आज ट्रेन में बैठ गए हैं. अब लग रहा है कि, अब घर जल्दी ही पहुंच जाएंगे. लॉकडाउन में फंसने के बाद वे काफी परेशान हो गए थे. बीकानेर के पापड़ फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिक ने बताया कि वह 6 महीने पहले ही बीकानेर आया था, हालांकि आज वापिस घर जा रहा है. लेकिन जैसे ही कोरोना का असर कब खत्म होगा फिर से वह काम के लिए बीकानेर आएगा.
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बीकानेर में प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेन की व्यवस्था के नोडल अधिकारी एसडीओ आईएएस रिया केजरीवाल ने बताया कि बीकानेर से यह सातवीं ट्रेन है. तकरीबन 12 हजार से ज्यादा लोग अब तक ट्रेन के माध्यम से बीकानेर से जा चुके हैं. केजरीवाल ने बताया कि बंगाल के लिए यह पहली और आखिरी ट्रेन थी. साथ ही बताया कि, निकट भविष्य में अब किसी भी श्रमिक ट्रेन का कोई शेड्यूल नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीकानेर से शुक्रवार को बंगाल के लिए गई ये ट्रेन आखिरी श्रमिक स्पेशल ट्रेन है.