बीकानेर. 1 जुलाई से प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सत्र 2022-23 में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और ड्रॉप आउट बच्चों को वापस स्कूलों से जोड़ने को लेकर प्रवेशोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इस कार्यक्रम में बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान पर भी फोकस (entrance Ceremony to increase enrollment) किया जाएगा.
प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 3 से 18 वर्ष तक के विद्यार्थियों को चिह्नित कर उनकी आयु के अनुरूप उन्हे आंगनबाड़ी और विद्यालयों से जोड़ने के लिए ही यह प्रवेशोत्सव कार्यक्रम आयोजित होगा. राज्य स्कूल शिक्षा परिषद से मिले शेड्यूल के मुताबिक शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल ने इसको लेकर प्रदेश के समस्त शिक्षा अधिकारियों को परिपत्र भेजकर अभियान में सक्रिय भागीदारी के लिए निर्देशित किया है. हालांकि 24 जून से प्रदेश में स्कूल खुल गए हैं, जिसके चलते अब स्कूलों में शिक्षकों का आना भी शुरू हो गया हैं. 1 जुलाई से शैक्षणिक गतिविधियां भी स्कूलों में शुरू होंगी. इसको लेकर राज्य परिषद के आयुक्त ने प्रदेश के शिक्षा निदेशक, निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग सहित जिला कलेक्टर और सीईओ जिला परिषद (entrance Ceremony to increase enrollment) को एक पत्र लिखा है.
इस अभियान की गंभीरता को लेकर थोड़ी सी लापरवाही राज्य स्कूल शिक्षा परिषद के स्तर पर देखी जा रही है. चूंकि प्रवेशोत्सव कार्यक्रम जो दिया गया है, उसमें 24 जून से 30 जून तक हाउस होल्ड सर्वे और ड्रॉपआउट बच्चों के साथ ही अनामांकित बच्चों के चिन्हिकरण करने की बात कही गई है. इस बीच खुद स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से यह पत्र 23 जून को जारी किया गया. यही कारण है कि शिक्षा निदेशक ने 28 जून को इस पत्र को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजा. ऐसे में अब पहले चरण में हाउसहोल्ड सर्वे सहित अनामांकित और ड्रॉपआउट बच्चों के चिन्हितकरण का काम 24 जून से 30 जून के बजाय 29 और 30 जून को ही होता नजर आ रहा है.
24 से 30 जून तक के कार्यक्रम के बाद सीआरसी मॉड्यूल में नामांकन अभियान की प्रविष्टि के लिए 1 जुलाई से 16 जुलाई तक अभियान जारी रहेगा. बता दें कि नामांकन अभियान को 1 से 16 अगस्त तक चलाए जाने के निर्देश दिए गए (Entrance festival by Rajasthan Education Department) हैं.
इन पर रहेगा फोकस: शिक्षा से सबको जोड़ने के लिए चलाए जाने वाले इस प्रवेश उत्सव अभियान में 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को भी विशेष रुप से स्कूल से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं.
छूट जाती है पढ़ाई: आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार के बच्चों की पढ़ाई स्कूल के बीच में ही छूट जाती है. ऐसे में वह शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. इसी को लेकर सरकार के स्तर पर हर साल नया सत्र शुरू किया जाता है, साथ ही ड्रॉप आउट हुए बच्चों का डाटा तैयार किया (Entrance festival by Rajasthan Education Department) जाता है.