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खनन से खोखले हुए धार्मिक स्थल का कायाकल्प..एक व्यक्ति के 30 साल के जुनून का नतीजा

बीकानेर में एक शख्स ने एक दुष्कर काम को मूर्त रूप देकर साकार कर दिया. बीकानेर के शहरी क्षेत्र के धरणीधर धार्मिक स्थल पर रामकिशन आचार्य ने 30 साल मेहनत की है. कभी खनन का शिकार यह इलाका अब हरा-भरा है और बीकानेर का प्रमुख स्थल बन चुका है.

बीकानेर धरणीधर मंदिर रामकिशन आचार्य
बीकानेर धरणीधर मंदिर रामकिशन आचार्य
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Published : Nov 12, 2021, 10:45 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 2:27 PM IST

बीकानेर. सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और खान-पान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर के बारे में एक और बात कही जाती है कि यहां के लोग धर्म परायण हैं. इसलिए बीकानेर को छोटी काशी कहा जाता है. बीकानेर में जगह-जगह मंदिर देखने को मिलते हैं.

बीकानेर में करीब एक हजार छोटे बड़े मंदिर हैं. इसी कड़ी में बात बीकानेर के 600 साल पुराने धरणीधर महादेव मंदिर की. यह मंदिर बीकानेर में अपना खास महत्व रखता है. इतना पुराना मंदिर होने के बावजूद इनकी पहचान पिछले 30 साल में धीरे-धीरे बनी. दरअसल बजरी के खनन एरिया से सटे इस मंदिर के पास तालाब और आगोर धीरे-धीरे खनन की भेंट चढ़ गए. एक समय ऐसा आया जब पूरे क्षेत्र को खनन से खोखला कर दिया गया. हालात यहां तक बन गए कि शहरी क्षेत्र से सटे होने के बावजूद इस क्षेत्र में शाम के बाद लोग जाते नहीं थे.

खनन से खोखले हुए धार्मिक स्थल का कायाकल्प

1990 में इस जगह की किस्मत बदलना शुरू हुआ. आज यह से बीकानेर में एक प्रमुख स्थान बन गया है. अब यह स्थान धार्मिक पर्यटन स्थल का रूप लेता जा रहा है. दरअसल बीकानेर में राजनीतिक पार्टी से जुड़े व्यक्ति रामकिशन आचार्य ने क्षेत्र की कायापलट करने का बीड़ा उठाया और आज समय के साथ इस क्षेत्र का विकास किया. खनन से खोखले हो चुके इस क्षेत्र में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. आज धरणीधर मंदिर क्षेत्र में ऑडिटोरियम, क्रिकेट ग्राउंड, क्रिकेट एकेडमी, तालाब और पार्क विकसित हो चुके हैं.

करीब 80 बीघा क्षेत्र को पूरी तरह से समतल किया गया और उसके बाद विकास के बहुत से कार्य करवाए गए. दौसा दुलमेरा, जोधपुर, जैसलमेर के पत्थरों से नक्काशीदार काम के साथ ही यहां हैरिटेज लुक में निर्माण करवाया गया. अपनों के बीच सरपंच साहब नाम से लोकप्रिय रामकिशन आचार्य सरपंच रह चुके हैं. वे बताते हैं कि 1990 में धरणीधर मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर बात शुरू हुई थी. पिछले 30 साल में एक भी बार यहां काम बंद नहीं हुआ. वे कहते हैं कि चिनाई करने वाला औजार आज तक यहां बंद नहीं हुआ. हर रोज काम चल रहा है. आचार्य कहते हैं कि शायद एक अच्छे मुहूर्त में एक अच्छे काम का इंतजार हो रहा था.

पढ़ें- 'आजादी एक भीख' बोल फंसी Padma Shri Kangana Ranaut, जोधपुर, जयपुर, चूरू और उदयपुर में रिपोर्ट दर्ज

सरकारी मदद के साथ ही हर व्यक्ति की मदद

रामकिशन आचार्य बताते हैं कि सांसद विधायक निधि के साथ ही स्थानीय निकायों से भी यहां विकास के लिए राशि खर्च हुई. जिससे धरणीधर तालाब वापस अपने स्वरूप में आया और आज यह पूरा क्षेत्र हरियाली से आच्छादित है. भविष्य में भी यहां सघन पौधारोपण की योजना है. सरकार की मदद ही नहीं बल्कि समाज के भामाशाह और हर व्यक्ति ने खुले मन से इस काम में यहां सहयोग दिया. लेकिन किसी भी सहयोगी और दानदाता के नाम का पत्थर यहां नहीं लगाया गया.

खर्च का कोई हिसाब नहीं

आचार्य बताते हैं कि सरकार की ओर से किए गए खर्चे का रिकॉर्ड तो सरकार के पास है. लेकिन जनता से लिए गए सहयोग का कोई रिकॉर्ड नहीं है और न ही किसी काम के लिए कभी किसी से नगद राशि ली गई और न ही कोई रसीद दी गई. बल्कि हर व्यक्ति ने अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार यहां जरूरत के सामान की उपलब्धता करवाई चाहे वह पत्थर, सीमेंट हो या फिर कुछ और. वे कहते हैं कि जितना निर्माण में खर्च हुआ है उससे ज्यादा तो यहां जमीन को समतल करने में समय और पैसा लगा है.

वे कहते हैं कि सरकारी स्तर पर भी जो विकास के काम हुए हैं उसकी पूरी मॉनिटरिंग धरणीधर के विकास से जुड़े हुए लोग करते हैं और सरकार की लागत का पूरा पैसा यहां विकास में लगा हुआ है. वो विकास यहां नजर भी आता है. मतलब कि ठेकेदार और अधिकारियों के भरोसे यहां सरकारी पैसे से हुए विकास के काम को नहीं छोड़ा गया बल्कि धरणीधर मंदिर से जुड़े लोगों ने उसकी पूरी निगरानी की और बेहतरीन गुणवत्ता का काम करवाया.

अब होते हैं आयोजन

कभी वीरान पड़े इस क्षेत्र में शाम ढलने के बाद लोग आने से कतराते थे. दिन में वहां लोगों का कोई काम नहीं था. लेकिन अब यहां नवरात्रि के 9 दिन डांडिया महोत्सव, दशहरे के दिन रावण दहन जैसे आयोजन तो होते ही हैं इसके अलावा धार्मिक आयोजन भी होते हैं. धरणीधर रंगमंच भी बीकानेर में अपने आप में एक बेहतरीन रंगमंच है जो शहर के साहित्यकारों और नाट्यकर्मियों के लिए उनका प्रिय स्थान बन चुका है. वहां भी कमोबेश बिना शुल्क लिए साहित्य के बड़े आयोजन भी होते हैं. वहीं सुबह शाम यहां भ्रमणपथ पर बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष घूमने के लिए आते हैं.

पढ़ें- जोधपुर के खेजड़ली में पर्यावरण शहीदों का स्मारक : पेड़ के लिए बलिदान होने वाले 363 लोगों के नाम अंकित

चल रही क्रिकेट एकेडमी

परकोटा क्षेत्र के बच्चों के लिए खेलने के लिए एक उपयुक्त मैदान के रूप में भी धरणीधर मैदान साकार रूप ले चुका है. यहां क्रिकेट ग्राउंड विकसित किया गया है. आने वाले दिनों में यहां घास लगाई जाएगी तो वहीं यहां क्रिकेट एकेडमी भी संचालित हो रही है. जहां तकरीबन 500 बच्चे हर रोज क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं और प्रैक्टिस करते हैं.

बनता गया कारवां

रामकिशन आचार्य बताते हैं उस समय इस काम को अकेले हाथ में लिया था. लेकिन अब लोगों का सहयोग है. आज यह कारवां 500 लोगों की एक टीम के रूप में बन चुका है. धरणीधर में किसी भी तरह के आयोजन और विकास के लिए तैयार रहते हैं.

न्यायिक कर्मचारी और धरणीधर मंदिर के विकास से जुड़े गिरिराज पुरोहित कहते हैं कि समाज और देश के लिए हमारा भी कुछ दायित्व है. वे कहते हैं कि इस क्षेत्र में विकास जैसी बात सोचना भी बेमानी था, लेकिन रामकिशन आचार्य के प्रयासों से यह संभव हुआ है और अब हम सब उनके नेतृत्व में एक टीम के रूप में इस क्षेत्र की कायापलट करने के लिए काम कर रहे हैं.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर भी विकास और निर्माण के काम होते हैं लेकिन यदि इस क्षेत्र को नजदीक से जाकर देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी स्तर पर खुद सरकारी अधिकारियों की निगरानी में भी संभवत सरकार का पैसा लगने के बाद इतना अधिकार नहीं हो पाता. क्षेत्र का दौरा करने के बाद यह कहा जा सकता है कि वाकई में एक शख्स ने इस पूरे क्षेत्र की काया पलट दी.

बीकानेर. सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और खान-पान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर के बारे में एक और बात कही जाती है कि यहां के लोग धर्म परायण हैं. इसलिए बीकानेर को छोटी काशी कहा जाता है. बीकानेर में जगह-जगह मंदिर देखने को मिलते हैं.

बीकानेर में करीब एक हजार छोटे बड़े मंदिर हैं. इसी कड़ी में बात बीकानेर के 600 साल पुराने धरणीधर महादेव मंदिर की. यह मंदिर बीकानेर में अपना खास महत्व रखता है. इतना पुराना मंदिर होने के बावजूद इनकी पहचान पिछले 30 साल में धीरे-धीरे बनी. दरअसल बजरी के खनन एरिया से सटे इस मंदिर के पास तालाब और आगोर धीरे-धीरे खनन की भेंट चढ़ गए. एक समय ऐसा आया जब पूरे क्षेत्र को खनन से खोखला कर दिया गया. हालात यहां तक बन गए कि शहरी क्षेत्र से सटे होने के बावजूद इस क्षेत्र में शाम के बाद लोग जाते नहीं थे.

खनन से खोखले हुए धार्मिक स्थल का कायाकल्प

1990 में इस जगह की किस्मत बदलना शुरू हुआ. आज यह से बीकानेर में एक प्रमुख स्थान बन गया है. अब यह स्थान धार्मिक पर्यटन स्थल का रूप लेता जा रहा है. दरअसल बीकानेर में राजनीतिक पार्टी से जुड़े व्यक्ति रामकिशन आचार्य ने क्षेत्र की कायापलट करने का बीड़ा उठाया और आज समय के साथ इस क्षेत्र का विकास किया. खनन से खोखले हो चुके इस क्षेत्र में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. आज धरणीधर मंदिर क्षेत्र में ऑडिटोरियम, क्रिकेट ग्राउंड, क्रिकेट एकेडमी, तालाब और पार्क विकसित हो चुके हैं.

करीब 80 बीघा क्षेत्र को पूरी तरह से समतल किया गया और उसके बाद विकास के बहुत से कार्य करवाए गए. दौसा दुलमेरा, जोधपुर, जैसलमेर के पत्थरों से नक्काशीदार काम के साथ ही यहां हैरिटेज लुक में निर्माण करवाया गया. अपनों के बीच सरपंच साहब नाम से लोकप्रिय रामकिशन आचार्य सरपंच रह चुके हैं. वे बताते हैं कि 1990 में धरणीधर मंदिर के पुनर्निर्माण को लेकर बात शुरू हुई थी. पिछले 30 साल में एक भी बार यहां काम बंद नहीं हुआ. वे कहते हैं कि चिनाई करने वाला औजार आज तक यहां बंद नहीं हुआ. हर रोज काम चल रहा है. आचार्य कहते हैं कि शायद एक अच्छे मुहूर्त में एक अच्छे काम का इंतजार हो रहा था.

पढ़ें- 'आजादी एक भीख' बोल फंसी Padma Shri Kangana Ranaut, जोधपुर, जयपुर, चूरू और उदयपुर में रिपोर्ट दर्ज

सरकारी मदद के साथ ही हर व्यक्ति की मदद

रामकिशन आचार्य बताते हैं कि सांसद विधायक निधि के साथ ही स्थानीय निकायों से भी यहां विकास के लिए राशि खर्च हुई. जिससे धरणीधर तालाब वापस अपने स्वरूप में आया और आज यह पूरा क्षेत्र हरियाली से आच्छादित है. भविष्य में भी यहां सघन पौधारोपण की योजना है. सरकार की मदद ही नहीं बल्कि समाज के भामाशाह और हर व्यक्ति ने खुले मन से इस काम में यहां सहयोग दिया. लेकिन किसी भी सहयोगी और दानदाता के नाम का पत्थर यहां नहीं लगाया गया.

खर्च का कोई हिसाब नहीं

आचार्य बताते हैं कि सरकार की ओर से किए गए खर्चे का रिकॉर्ड तो सरकार के पास है. लेकिन जनता से लिए गए सहयोग का कोई रिकॉर्ड नहीं है और न ही किसी काम के लिए कभी किसी से नगद राशि ली गई और न ही कोई रसीद दी गई. बल्कि हर व्यक्ति ने अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार यहां जरूरत के सामान की उपलब्धता करवाई चाहे वह पत्थर, सीमेंट हो या फिर कुछ और. वे कहते हैं कि जितना निर्माण में खर्च हुआ है उससे ज्यादा तो यहां जमीन को समतल करने में समय और पैसा लगा है.

वे कहते हैं कि सरकारी स्तर पर भी जो विकास के काम हुए हैं उसकी पूरी मॉनिटरिंग धरणीधर के विकास से जुड़े हुए लोग करते हैं और सरकार की लागत का पूरा पैसा यहां विकास में लगा हुआ है. वो विकास यहां नजर भी आता है. मतलब कि ठेकेदार और अधिकारियों के भरोसे यहां सरकारी पैसे से हुए विकास के काम को नहीं छोड़ा गया बल्कि धरणीधर मंदिर से जुड़े लोगों ने उसकी पूरी निगरानी की और बेहतरीन गुणवत्ता का काम करवाया.

अब होते हैं आयोजन

कभी वीरान पड़े इस क्षेत्र में शाम ढलने के बाद लोग आने से कतराते थे. दिन में वहां लोगों का कोई काम नहीं था. लेकिन अब यहां नवरात्रि के 9 दिन डांडिया महोत्सव, दशहरे के दिन रावण दहन जैसे आयोजन तो होते ही हैं इसके अलावा धार्मिक आयोजन भी होते हैं. धरणीधर रंगमंच भी बीकानेर में अपने आप में एक बेहतरीन रंगमंच है जो शहर के साहित्यकारों और नाट्यकर्मियों के लिए उनका प्रिय स्थान बन चुका है. वहां भी कमोबेश बिना शुल्क लिए साहित्य के बड़े आयोजन भी होते हैं. वहीं सुबह शाम यहां भ्रमणपथ पर बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष घूमने के लिए आते हैं.

पढ़ें- जोधपुर के खेजड़ली में पर्यावरण शहीदों का स्मारक : पेड़ के लिए बलिदान होने वाले 363 लोगों के नाम अंकित

चल रही क्रिकेट एकेडमी

परकोटा क्षेत्र के बच्चों के लिए खेलने के लिए एक उपयुक्त मैदान के रूप में भी धरणीधर मैदान साकार रूप ले चुका है. यहां क्रिकेट ग्राउंड विकसित किया गया है. आने वाले दिनों में यहां घास लगाई जाएगी तो वहीं यहां क्रिकेट एकेडमी भी संचालित हो रही है. जहां तकरीबन 500 बच्चे हर रोज क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं और प्रैक्टिस करते हैं.

बनता गया कारवां

रामकिशन आचार्य बताते हैं उस समय इस काम को अकेले हाथ में लिया था. लेकिन अब लोगों का सहयोग है. आज यह कारवां 500 लोगों की एक टीम के रूप में बन चुका है. धरणीधर में किसी भी तरह के आयोजन और विकास के लिए तैयार रहते हैं.

न्यायिक कर्मचारी और धरणीधर मंदिर के विकास से जुड़े गिरिराज पुरोहित कहते हैं कि समाज और देश के लिए हमारा भी कुछ दायित्व है. वे कहते हैं कि इस क्षेत्र में विकास जैसी बात सोचना भी बेमानी था, लेकिन रामकिशन आचार्य के प्रयासों से यह संभव हुआ है और अब हम सब उनके नेतृत्व में एक टीम के रूप में इस क्षेत्र की कायापलट करने के लिए काम कर रहे हैं.

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर भी विकास और निर्माण के काम होते हैं लेकिन यदि इस क्षेत्र को नजदीक से जाकर देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी स्तर पर खुद सरकारी अधिकारियों की निगरानी में भी संभवत सरकार का पैसा लगने के बाद इतना अधिकार नहीं हो पाता. क्षेत्र का दौरा करने के बाद यह कहा जा सकता है कि वाकई में एक शख्स ने इस पूरे क्षेत्र की काया पलट दी.

Last Updated : Nov 13, 2021, 2:27 PM IST
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