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Turban On Fingers: बीकानेरी शख्स ने सिर ही नहीं पेंसिल-अंगुलियों का भी बढ़ाया मान, 1 मिनट में ही कर देते हैं ये कमाल!

राजस्थान की पहचान (Identity Of Rajasthan) अपनी हवेलियों, ऐतिहासिक अभिलेखों और संस्कृति से है. संस्कृति का अर्थ खान-पान वेशभूषा और परंपरागत त्योहारों से हैं. 'Rajasthani Man' की कल्पना करते ही जेहन में सिर पर पगड़ी बांधे शख्स (Rajasthani Man With Turban) की तस्वीर उभर आती है. बीकानेर के कृष्ण चंद्र पुरोहित उसी परंपरा को जीवित रखने की कोशिश कर रहे हैं. अपने अंदाज में विरासत सहेज रहे हैं.

Turban On Fingers
सिर ही नहीं पेंसिल-अंगुलियों का भी बढ़ाया मान
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Published : Dec 1, 2021, 11:20 AM IST

बीकानेर: बात राजस्थान की हो तो सिर पर पगड़ी यानि साफा पहने व्यक्ति की छवि बरबस ही आंखों के सामने आ (Rajasthani Man With Turban) जाती है. यूं तो पूरे देश के कई राज्यों में अलग-अलग तरह की पगड़ी (साफा) बांधी जाती है लेकिन राजस्थान की पगड़ी की (Pagdi Of Rajasthan) बात ही कुछ और है. किसी भी वैवाहिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मांगलिक कार्यक्रम में सिर पर पगड़ी (Rajasthani Man With Turban) बांधी जाती है.

किसी के प्रति सम्मान प्रकट करने का जरिया भी है पगड़ी. रियासत काल में राजा महाराजा और दरबार में मंत्री भी साफा बांधते थे. साफा बांधना अपने आप में एक आर्ट (Turban Tying Is An Art) है और हर कोई साफा बांधना नहीं जानता. आधुनिक जीवन में धीरे-धीरे शहरी क्षेत्र में लोगों के सिर पर साफा नजर नहीं आता. किसी खास मौके पर ही साफा पहनते हैं. लेकिन आज भी ग्रामीण परिवेश में दैनिक जीवन में लोग साफा बांधते हैं.

सिर ही नहीं पेंसिल-अंगुलियों का भी बढ़ाया मान

पढ़ें-Special : 10 साल की बच्ची की जिद से 40 साल बाद रौशन हुई जोधपुर की गुजराती बस्ती

बीकानेर की युवक का अनोखा रिकॉर्ड

बीकानेर के कृष्ण चंद्र पुरोहित (Bikaner Man Who Ties Turban) ने साफा बांधने की कला को एक नया मुकाम दिया है. साफा या पगड़ी का पूरा इतिहास जानते हैं. कहते हैं कि पूरे देश में 155 तरह की पगड़ी प्रचलित है वहीं राजस्थान में 55 तरह की पगड़ी प्रचलित है. पुरोहित कहते हैं कि राजस्थान में प्रचलित सभी तरह की पगड़ी उन्हें बांधना आता है. लेकिन सामान्य से नजर आने वाले इस जटिल काम को पुरोहित ने एक नया आयाम दिया है, जो लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. कहते हैं कि सिर्फ सिर पर नहीं बल्कि अंगूठे और हाथों की अंगुलियों के साथ ही पेंसिल, कांच की नली पर वे सभी तरह की पगड़ी बांध (Turban On Pencil And Fingers By Bikaner Man) सकते हैं और इस काम में उन्हें महज एक मिनट का समय लगता है.

सभी फेस्टिवल्स की हैं ये शान, कई रिकॉर्ड दर्ज

पुरोहित कहते हैं कि विदेशी पर्यटकों को साफा बांधने और बंधवाने का काफी क्रेज है. बीकानेर में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय कैमल फेस्टिवल के साथ ही पर्यटन विभाग की ओर से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आयोजित होने वाले फेस्टिवल्स में भी साफा बांधने (Turban In Rajasthani Festivals) वाले कलाकारों की डिमांड रहती है. इनमें कृष्ण चंद्र पुरोहित का नाम जरूर शामिल किया जाता है. अपनी इस कला में महारत के चलते करीब 6 इंटरनेशनल रिकॉर्ड बुक में इनका नाम दर्ज है.

प्रवासी राजस्थानियों के चहेते

प्रवासी राजस्थानी देश के अलग-अलग राज्यों में अपने कारोबार के चलते रह रहे हैं. अपने पारिवारिक और मांगलिक कार्यक्रमों में साफा बंधवाने के लिए कई, पुरोहित को जरूर बुलाते हैं. अच्छा मेहनताने के साथ स्वागत सत्कार भी खूब करते हैं. लोगों का ये प्यार और मान-सम्मान इस 'साफा मैन' को अपनी खूबियों को निखारने, संवारने का हौसला देता है.

बीकानेर: बात राजस्थान की हो तो सिर पर पगड़ी यानि साफा पहने व्यक्ति की छवि बरबस ही आंखों के सामने आ (Rajasthani Man With Turban) जाती है. यूं तो पूरे देश के कई राज्यों में अलग-अलग तरह की पगड़ी (साफा) बांधी जाती है लेकिन राजस्थान की पगड़ी की (Pagdi Of Rajasthan) बात ही कुछ और है. किसी भी वैवाहिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मांगलिक कार्यक्रम में सिर पर पगड़ी (Rajasthani Man With Turban) बांधी जाती है.

किसी के प्रति सम्मान प्रकट करने का जरिया भी है पगड़ी. रियासत काल में राजा महाराजा और दरबार में मंत्री भी साफा बांधते थे. साफा बांधना अपने आप में एक आर्ट (Turban Tying Is An Art) है और हर कोई साफा बांधना नहीं जानता. आधुनिक जीवन में धीरे-धीरे शहरी क्षेत्र में लोगों के सिर पर साफा नजर नहीं आता. किसी खास मौके पर ही साफा पहनते हैं. लेकिन आज भी ग्रामीण परिवेश में दैनिक जीवन में लोग साफा बांधते हैं.

सिर ही नहीं पेंसिल-अंगुलियों का भी बढ़ाया मान

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बीकानेर की युवक का अनोखा रिकॉर्ड

बीकानेर के कृष्ण चंद्र पुरोहित (Bikaner Man Who Ties Turban) ने साफा बांधने की कला को एक नया मुकाम दिया है. साफा या पगड़ी का पूरा इतिहास जानते हैं. कहते हैं कि पूरे देश में 155 तरह की पगड़ी प्रचलित है वहीं राजस्थान में 55 तरह की पगड़ी प्रचलित है. पुरोहित कहते हैं कि राजस्थान में प्रचलित सभी तरह की पगड़ी उन्हें बांधना आता है. लेकिन सामान्य से नजर आने वाले इस जटिल काम को पुरोहित ने एक नया आयाम दिया है, जो लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है. कहते हैं कि सिर्फ सिर पर नहीं बल्कि अंगूठे और हाथों की अंगुलियों के साथ ही पेंसिल, कांच की नली पर वे सभी तरह की पगड़ी बांध (Turban On Pencil And Fingers By Bikaner Man) सकते हैं और इस काम में उन्हें महज एक मिनट का समय लगता है.

सभी फेस्टिवल्स की हैं ये शान, कई रिकॉर्ड दर्ज

पुरोहित कहते हैं कि विदेशी पर्यटकों को साफा बांधने और बंधवाने का काफी क्रेज है. बीकानेर में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय कैमल फेस्टिवल के साथ ही पर्यटन विभाग की ओर से प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आयोजित होने वाले फेस्टिवल्स में भी साफा बांधने (Turban In Rajasthani Festivals) वाले कलाकारों की डिमांड रहती है. इनमें कृष्ण चंद्र पुरोहित का नाम जरूर शामिल किया जाता है. अपनी इस कला में महारत के चलते करीब 6 इंटरनेशनल रिकॉर्ड बुक में इनका नाम दर्ज है.

प्रवासी राजस्थानियों के चहेते

प्रवासी राजस्थानी देश के अलग-अलग राज्यों में अपने कारोबार के चलते रह रहे हैं. अपने पारिवारिक और मांगलिक कार्यक्रमों में साफा बंधवाने के लिए कई, पुरोहित को जरूर बुलाते हैं. अच्छा मेहनताने के साथ स्वागत सत्कार भी खूब करते हैं. लोगों का ये प्यार और मान-सम्मान इस 'साफा मैन' को अपनी खूबियों को निखारने, संवारने का हौसला देता है.

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