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Exclusive: नंदी गौशाला विवाद मामले को लेकर बोलीं महापौर...कहा- गलत काम का विरोध करूंगी...मुकदमे से डर नहीं लगता

बीकानेर नगर निगम में गौशाला के अनुदान को रोकने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस मामले में महापौर पति और निगम उपायुक्त के बीच हुए विवाद के बाद मामला पुलिस तक भी पहुंच गया है. इस पूरे गर्माहट भरे माहौल के बीच Etv भारत ने महापौर सुशीला कंवर से खास बातचीत की.

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Etv भारत ने महापौर सुशीला कंवर से खास बातचीत की
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Published : May 21, 2020, 6:59 PM IST

बीकानेर. बीकानेर नगर निगम की नंदी गौशाला के संचालन को लेकर निजी संस्था के साथ किए गए एमओयू के मुताबिक काम नहीं होने और गोशाला में लगातार गोवंश की हो रही मौत के बाद महापौर द्वारा निजी संस्था को दिए जाने वाले भुगतान को रोकने की मामले के बाद गौशाला संचालक से काम बीच में छोड़ गया. इस मामले के बीच बुधवार को महापौर पति और नगर निगम उपायुक्त के बीच विवाद हो गया. मामला हाथापाई तक जा पहुंचा, जिसके बाद उपायुक्त ने महापौर पति और दो अन्य पार्षदों के खिलाफ सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया.

नंदी गौशाला विवाद मामला

नगर निगम प्रशासन और महापौर के बीच छिड़ी इस लड़ाई को लेकर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि गोशाला संचालक को पूर्व में ही बढ़ा भुगतान किया जा चुका है और उस मुताबिक वहां काम नहीं हुआ. ऐसे में गायों के लगातार हो रही मौत के बाद आयुक्त को गोशाला संचालक को दिए जाने वाले भुगतान को रोकने और तब तक नगर निगम की ओर से गायों के लिए चारा और अन्य व्यवसाय करने के निर्देश दिए थे. महापौर सुशाला कंवर ने कहा कि जिस उपायुक्त ने उनके पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, उपायुक्त सहित नगर निगम की कुछ कर्मचारियों को उन्होंने 7 दिन पहले ही कुछ निर्माणाधीन बिल्डिंग को परमिशन देने के मामले में गड़बड़ी होने की आशंका को लेकर नोटिस दिया है.

Etv भारत ने महापौर सुशीला कंवर से खास बातचीत की

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में जुलाई से शुरू हो सकता है नया शैक्षणिक सत्र : शिक्षा निदेशक

महापौर ने कहा कि यह सब मेरी ओर से की गई कार्रवाई को रुकवाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास है. गोशाला संचालन में खाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि जिस संस्था को इस गोशाला की जिम्मेदारी है कि उसे ढाई करोड़ रुपए का भुगतान किया हुआ है और उसने अभी तक वहां डेढ़ करोड़ रुपया ही निर्माण पर और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किया है. ऐसे में उस संस्था के पास पहले से ही नगर निगम का 1 करोड़ से अधिक भुगतान पड़ा है. साथ ही पिछले 4 महीनों में लगातार गोवंश की मौत हुई है और उसको लेकर सभी पार्षदों ने भी उन्हें शिकायत की है. खुद मैंने भी कई बार गोशाला की व्यवस्थाओं को देखा और आज तक वहां कोई सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में निजी संस्था को दिए गए हुए भुगतान को स्थगित करने के लिए आयुक्त को लिखा गया था. लेकिन नगर निगम प्रशासन भुगतान को करवाना चाहता है. लेकिन मैं किसी भी काम को नहीं करूंगी. ऐसे में अब मेरे पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा मुझे दबाने का प्रयास किया जा रहा है.

महिला होना नहीं पच रहा...

इस दौरान महापौर ने नगर निगम आयुक्त खुशाल यादव और अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनको यह बात सहन नहीं हो रही है कि एक महिला स्वतन्त्र होकर काम करे. उन्होंने कहा कि उन्होंने आयुक्त को करीब 30 से 35 नोट जारी किए हैं. लेकिन आज तक किसी एक का भी जवाब नहीं दिया है. यहां तक कि नगर निगम की सामान्य कामकाज के लिए फोन कॉल पर भी वे ढंग से रेस्पॉन्स नहीं करते हैं और जनप्रतिनिधि का अपमान करते हैं.

पति और ससुर का नहीं कोई दखल...

इस दौरान महापौर सुशीला कंवर ने अपने पति और ससुर के कामकाज में दखल को लेकर किये सवाल पर कहा कि मेरे काम मे कोई दखल नहीं है, मैं खुद पढ़ी लिखी हूं. मेरे काम में किसी का कोई दखल नहीं है. मेरे ससुर खुद भाजपा के नेता हैं और वे अपनी राजनीति कर रहे हैं और मेरे पति यदि मेरे काम में मेरा सहयोग करते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

किसी से नहीं डरूंगी और गलत काम नहीं करूंगी...

नगर निगम में कमेटियों की घोषणा के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरा कानून सम्मत दान किया है. साथ ही मामले में प्रकाशित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. लेकिन नगर निगम अधिकारियों को यह बात गंवारा नहीं कि मैं किसी भी फाइल को पूरी तरह से पढ़कर सही काम करती हूं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उपायुक्त जगमोहन हर्ष ने उनके साथ अभद्र तरीके से व्यवहार किया, जिसको लेकर उन्होंने भी पुलिस में शिकायत की है.

बीकानेर. बीकानेर नगर निगम की नंदी गौशाला के संचालन को लेकर निजी संस्था के साथ किए गए एमओयू के मुताबिक काम नहीं होने और गोशाला में लगातार गोवंश की हो रही मौत के बाद महापौर द्वारा निजी संस्था को दिए जाने वाले भुगतान को रोकने की मामले के बाद गौशाला संचालक से काम बीच में छोड़ गया. इस मामले के बीच बुधवार को महापौर पति और नगर निगम उपायुक्त के बीच विवाद हो गया. मामला हाथापाई तक जा पहुंचा, जिसके बाद उपायुक्त ने महापौर पति और दो अन्य पार्षदों के खिलाफ सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया.

नंदी गौशाला विवाद मामला

नगर निगम प्रशासन और महापौर के बीच छिड़ी इस लड़ाई को लेकर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि गोशाला संचालक को पूर्व में ही बढ़ा भुगतान किया जा चुका है और उस मुताबिक वहां काम नहीं हुआ. ऐसे में गायों के लगातार हो रही मौत के बाद आयुक्त को गोशाला संचालक को दिए जाने वाले भुगतान को रोकने और तब तक नगर निगम की ओर से गायों के लिए चारा और अन्य व्यवसाय करने के निर्देश दिए थे. महापौर सुशाला कंवर ने कहा कि जिस उपायुक्त ने उनके पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, उपायुक्त सहित नगर निगम की कुछ कर्मचारियों को उन्होंने 7 दिन पहले ही कुछ निर्माणाधीन बिल्डिंग को परमिशन देने के मामले में गड़बड़ी होने की आशंका को लेकर नोटिस दिया है.

Etv भारत ने महापौर सुशीला कंवर से खास बातचीत की

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महापौर ने कहा कि यह सब मेरी ओर से की गई कार्रवाई को रुकवाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास है. गोशाला संचालन में खाने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि जिस संस्था को इस गोशाला की जिम्मेदारी है कि उसे ढाई करोड़ रुपए का भुगतान किया हुआ है और उसने अभी तक वहां डेढ़ करोड़ रुपया ही निर्माण पर और अन्य व्यवस्थाओं पर खर्च किया है. ऐसे में उस संस्था के पास पहले से ही नगर निगम का 1 करोड़ से अधिक भुगतान पड़ा है. साथ ही पिछले 4 महीनों में लगातार गोवंश की मौत हुई है और उसको लेकर सभी पार्षदों ने भी उन्हें शिकायत की है. खुद मैंने भी कई बार गोशाला की व्यवस्थाओं को देखा और आज तक वहां कोई सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में निजी संस्था को दिए गए हुए भुगतान को स्थगित करने के लिए आयुक्त को लिखा गया था. लेकिन नगर निगम प्रशासन भुगतान को करवाना चाहता है. लेकिन मैं किसी भी काम को नहीं करूंगी. ऐसे में अब मेरे पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा मुझे दबाने का प्रयास किया जा रहा है.

महिला होना नहीं पच रहा...

इस दौरान महापौर ने नगर निगम आयुक्त खुशाल यादव और अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनको यह बात सहन नहीं हो रही है कि एक महिला स्वतन्त्र होकर काम करे. उन्होंने कहा कि उन्होंने आयुक्त को करीब 30 से 35 नोट जारी किए हैं. लेकिन आज तक किसी एक का भी जवाब नहीं दिया है. यहां तक कि नगर निगम की सामान्य कामकाज के लिए फोन कॉल पर भी वे ढंग से रेस्पॉन्स नहीं करते हैं और जनप्रतिनिधि का अपमान करते हैं.

पति और ससुर का नहीं कोई दखल...

इस दौरान महापौर सुशीला कंवर ने अपने पति और ससुर के कामकाज में दखल को लेकर किये सवाल पर कहा कि मेरे काम मे कोई दखल नहीं है, मैं खुद पढ़ी लिखी हूं. मेरे काम में किसी का कोई दखल नहीं है. मेरे ससुर खुद भाजपा के नेता हैं और वे अपनी राजनीति कर रहे हैं और मेरे पति यदि मेरे काम में मेरा सहयोग करते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

किसी से नहीं डरूंगी और गलत काम नहीं करूंगी...

नगर निगम में कमेटियों की घोषणा के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरा कानून सम्मत दान किया है. साथ ही मामले में प्रकाशित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. लेकिन नगर निगम अधिकारियों को यह बात गंवारा नहीं कि मैं किसी भी फाइल को पूरी तरह से पढ़कर सही काम करती हूं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उपायुक्त जगमोहन हर्ष ने उनके साथ अभद्र तरीके से व्यवहार किया, जिसको लेकर उन्होंने भी पुलिस में शिकायत की है.

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