भीलवाड़ा. भगवान देवनारायण की जन्म स्थली आसींद के मालासेरी गांव में लोगों का प्रकृति प्रेम देखते ही बनता है. मालासेरी (Malaseri Village) के भगवान देवनारायण मंदिर (Lord Devnarayan Temple) के परिसर क्षेत्र में 5 हजार से ज्यादा नीम के पेड़ हैं. देवनारायण की जन्म स्थली क्षेत्र में लगे नीम के पेड़ (Neem tree) को काटने पर पाबंदी है. अनलॉक के बाद इस मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को नीम का पौधा दिया जाता है.
कोरोना काल में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी और बढ़ते प्रदूषण के दौर में इस तरह की मान्यताओं और प्रथाओं का सही ठहराया जाना लाजिमी है. भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के मालासेरी गांव में भगवान देवनारायण की जन्म स्थली पर प्रकृति के प्रति अनूठा प्रेम बरसों से चला आ रहा है. देवनारायण की जन्म स्थली के चारों ओर 210 बीघा जमीन में नीम के पेड़ लगे हुए हैं. आस्था से जुड़ाव के कारण इन वृक्षों को काटने या नुकसान पहुंचाने पर पाबंदी है.
गुर्जर समाज (Gurjar Samaj) के लोग नीम के पेड़ को भगवान देवनारायण का स्वरूप मानते हैं. मान्यता ऐसी कि मकान के किसी हिस्से में नीम का पौधा निकल आए तो उसे काटा नहीं जाता, बल्कि उसे फलने-फूलने का अवसर दिया जाता है. गुर्जर समाज के लोगों के मकान, खेत या खलियान में अगर नीम का पेड़ है तो वे लोग उसे देवनारायण का स्वरूप मानकर पूजा करते हैं. नीम का पेड़ अगर सूख जाए या गिर जाए तो उसकी लकड़ी को अंतिम संस्कार में काम में लिया जाता है, लेकिन चूल्हे में नहीं झोंका जाता.
पत्तों से मिलता है आशीर्वाद
गुर्जर समाज के इस तीर्थ स्थल पर देश-दुनिया से गुर्जर समाज के लोग आते हैं. घर-परिवार के मांगलिक कार्यों में भी सबसे पहले भगवान देवनारायण के मंदिर में शीश झुकाया जाता है और अगर उन्हें नीम के पत्ते के रूप में पाती यानी चिट्ठी मिल जाए तब ही ये मांगलिक कार्य को अंजाम देते हैं.
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बना हुआ है पैनोरमा
मालासेरी गांव में भगवान देवनारायण मंदिर में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने पैनोरमा बनाया था. जिसमें भगवान देवनारायण के अवतार के बाद तमाम बाल लीलाओं का चित्रण है. इस बार मन्दिर कमेटी ने अनूठी पहल करते हुए श्रद्धालुओं को नीम का पौधा वितरित करना आरंभ किया है. मंदिर में दर्शन करने आई मैना गुर्जर ने कहा कि नीम भगवान देवनारायण को प्रिय है. उन्होंने कहा कि नीम का पौधा जरूर लगाना चाहिए.
दर्शनार्थी अशोक शर्मा ने कहा कि मन्दिर कमेटी की पौधा भेंट करने की यह पहल अनूठी है. मैंने भी यहां नीम का पौधा लिया है और घर जाकर पौधारोपण करूंगा. दूसरे युवाओं को भी प्रेरित करूंगा.
आयुर्वेद के ज्ञाता थे भगवान देवनारायण
भगवान देवनारायण मंदिर के पुजारी हेमराज पोसवाल ने बताया कि गुर्जरों के कुलदेवता भगवान देवनारायण का अवतार संवत 968 में माघ सुदी सप्तमी के दिन हुआ था. भगवान देवनारायण आयुर्वेद के ज्ञाता थे. वे नीम के औषधीय गुण जानते थे. इसलिए उन्हें नीम प्रिय है. मालासेरी धाम में 210 बीघा क्षेत्र में करीब 5 हजार नीम के पेड़ हैं. इस बार 1100 पौधे लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में नीम के फूलों का जूस पीने से शरीर में कोई बीमारी नहीं होती. नीम औषधीय गुणों से भरपूर है और वातावरण को शुद्ध करता है. इसलिए यहां आने वाले श्रद्धालुओं को नीम का पौधा वितरित कर पौधारोपण का संदेश दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां सर्व समाज के लोग आते हैं. नीम के पेड़ के पत्ते या टहनी तोड़ने तक पर पाबंदी है.
भाजपा के वरिष्ठ राजनेता कालू लाल गुर्जर ने कहा कि मालासेरी में भगवान देवनारायण का अवतार हुआ था. गुर्जर समाज ने नीम को नारायण का स्वरूप माना है. इसलिये तमाम देवनारायण मंदिरों के आस-पास नीम के पेड़ मिलते हैं. नीम के पेड़ को काटना पाप समझा जाता है. क्योंकि भगवान देवनारायण ने प्रकृति प्रेम का संदेश दिया था.