भीलवाड़ा. कैंसर एक घातक रोग है. इसके कारण और लक्षण कई हैं. ये ऐसा रोग है जो उम्र की सीमा से परे होता है. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक कब इसका शिकार हो जायें कोई नहीं जानता. NCRP की रिपोर्ट भारतीयों में कैंसर की बढ़ती दर की ओर इशारा करती है. इसी रिपोर्ट के हर पहलू को समझाया भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर और पैथोलॉजिस्ट डॉ अरुणा पंचारिया ने.
NCRP की रिपोर्ट डराती है: राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (National Cancer Registry Programme) के अनुसार भारत में रहने वाले हर 9वें भारतीय को अपने जीवन काल में कैंसर का खतरा है. पुरुषों में तंबाकू सेवन से फेफड़े का कैंसर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. डॉ पंचारिया बताती हैं कि फाइन निडिल एस्पिरेशन साइटोलॉजी यानी जांच तकनीक से मिनटों में कैंसर Diagnose किया जा सकता है. आंकड़े भयावह हैं उपचार से बेहतर बचाव है.
राजमाता विजय राजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी विभाग में पद स्थापित व पूर्व में उदयपुर के गीतांजलि हॉस्पिटल में कैंसर विभाग की HOD डॉ अरुणा पंचारिया ने बताया कि कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि से कैंसर होता है. यह एक मल्टी स्टेप प्रोसेस है.
कैंसर फैलने का कारण: डॉ अरुणा बताती हैं कि कैंसर के लिए जिम्मेदार किसी एक कारण को नहीं ठहराया जा सकता है. इसके काफी कारण हैं जैसे भौगोलिक, वातावरण अनुवांशिक, जीवन शैली, खानपान,श्वास, टच करने इन सभी कारणों से कैंसर जिम्मेदार है.
कैंसर का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है वृद्धि दर कितनी है?: डॉक्टर बताती हैं- कैंसर का आंकड़ा देश ही नहीं विश्व में लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत के अंदर लेटेस्ट कैंसर रजिस्टर (National Cancer Registry Programme) के अनुसार हर 9वें भारतीय को अपने जीवन काल में कैंसर होने का खतरा है और विश्व की बात करें तो पिछले वर्ष 2020 में एक करोड़ की मृत्यु हुई है.
स्मोकर के पास बैठने से भी कैंसर का खतरा: कैंसर का एक अहम कारण स्मोकिंग भी है. उम्र का कोई दायरा नहीं है. डॉ के मुताबिक पुरुषों के अंदर फेफड़ों का कैंसर ज्यादा दिखता है. जिसका मुख्य कारण तम्बाकू सेवन है. वो ये भी बताती हैं कि व्यक्ति स्मोकिंग नहीं करता है तब भी उनके पास बैठने से कैंसर फैलता है. वहीं महिलाओं की अगर बात करें तो महिलाओं के अंदर स्तन कैंसर ,गर्भाशय के मुख्य द्वार पर कैंसर फैलता है. बच्चों में ज्यादातर रक्त कैंसर यानी leukemia होता है.
क्या है लक्षण: डॉक्टर अरुणा के मुताबिक सभी प्रकार के कैंसर के अलग-अलग लक्षण हैं. कॉमन लक्षण की बात करें तो जो भी कैंसर से पीड़ित व्यक्ति होता है उसका 1 माह में 4 किलो से ज्यादा वजन घट जाता है, भूख नहीं नहीं लगती. साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी फैमिली हिस्ट्री के अनुसार जांच करवानी चाहिए.
कौन सी जांच कारगर: प्रारंभिक तौर पर कौन सी जांच करवानी चाहिए जिस पर डॉक्टर ने कहा कि सेल्फ एग्जामिनेशन के थ्रू पता चल सकता है. अगर किसी व्यक्ति के शरीर में गांठ है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. क्योंकि मैं पैथोलॉजी विभाग में कार्यरत हूं. एफएनएससी (फाइन निडिल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) जांच के माध्यम से गांठ को कुरेद कर जांच कराई जा सकती है.
इलाज हो कैसे?: ये एक अहम सवाल है जिस पर डॉ बताती हैं- प्रारंभिक तौर पर कैंसर के उपचार के लिए पहले लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है. फिर उसकी जांच करवाना अनिवार्य है. प्रारंभिक तौर पर रेडियोलोजी, एक्सरे, सीटी स्कैन जांच से पता चलेगा कि कैंसर कौन सी स्टेज पर है. फिर पैथोलॉजी वैल्यूएशन करवानी चाहिए फिर कैंसर रोग विशेषज्ञ के निर्देश में कीमोथेरेपी ,रेडियोथेरेपी, न्यू ऐजेवेन्ट थेरेपी लेनी चाहिए और लास्ट स्टेज में पैलेटिव थेरेपी लेनी चाहिए.
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सेहत को लेकर जागरूकता अहम: डॉ अरुणा पंचारिया कहती हैं कि कैंसर के कारणों का विश्लेषण करना जरूरी है. खानपान जीवनशैली अच्छी बनानी चाहिए. डब्बा फूड प्रोडक्ट से जितनी दूरी बनाएं अच्छा होता है. तंबाकू ,शराब से दूरी सेहत के लिए नेमत होती है. जागरूकता से इस पर काबू पाया जा सकता है.
कोई दवाई जिससे लगे लगाम?: डॉ अरुणा पंचारिया बताती हैं कि कैंसर का अब तक कोई स्थाई इलाज नहीं है. कुछ तरह का कैंसर वायरस जैसे ह्यूमन पेपिलोमा वायरस की वजह से होता है. इसके अंदर वैक्सीन सिर्फ 9 से 26 वर्ष की महिलाओं के लगाई जाती है. क्योंकि यह महिलाओं के लिए ही संभव है. कैंसर की अभी तक दवाई नहीं है इसलिए सावधानी में ही हमारा उपचार संभव है.