भीलवाड़ा. कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका असर बड़े से लेकर छोटे और संगठित और गैर संगठित सभी क्षेत्रों पर पड़ा है. दिवाली पर मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को भी कोरोना के कारण निराशा हाथ लग रही है. गणेश चतुर्थी और नवरात्र पर भी मूर्तिकारों का व्यापार बुरी तरह से चौपट हो गया था. मूर्तिकारों को दिवाली पर मूर्तियां बिकने की उम्मीद थी, लेकिन अब दिवाली भी मूर्तिकारों के लिए अच्छी उम्मीद लेकर नहीं आई है.
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भीलवाड़ा में चौक व मिट्टी से मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार काफी संख्या में रहते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में मूर्तिकारों ने कहा कि हर बार दिवाली पर मूर्तियों की काफी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार कोरोना के कारण मूर्तियां ना के बराबर बिक रही हैं.
बेटी के गहने गिरवी रखकर बनाई मूर्तियां...
40-50 साल से मूर्तियां बना रही दरिया ने कहा कि पहले गणेश चतुर्थी पर और बाद में नवरात्र पर उसने पैसे ब्याज पर लेकर मूर्तियां बनाई, लेकिन मूर्तियों की बिक्री नहीं हुई. जिसके चलते उनपर कर्जा हो गया है. दरिया ने अपनी 16 साल की बेटी के आभूषण गिरवी रखकर पैसे लिए और दीवाली पर मूर्तियां बनाई हैं, लेकिन मूर्तियों की ना के बराबर मूर्तियां बिक रही हैं.
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कर्जे के चलते बहन की मौत हो गई...
वर्षों से मूर्ति बना रही कन्या देवी ने कहा कि इस बार गणपति व माता रानी की मूर्ति नहीं बिक रही हैं. आभूषण गिरवी रखकर मूर्तियों के लिए पैसे लिए थे, लेकिन कोरोना को देखते हुए कोई उम्मीद मूर्तियां बिकने की दिखाई नहीं दे रही है. कन्या ने अपनी बहन के आभूषणों को गिरवी रखकर मूर्तियों के लिए पैसे ब्याज पर लिए थे, लेकिन बिक्री नहीं होने से वह अपनी बहन के आभूषण नहीं छुड़ा सकी. जिसके चलते उसकी बहन को ससुराल वाले परेशान करने लगे और सदमे में उसकी मौत हो गई. कन्या ने 10 हजार रुपए उधार लेकर दिवाली पर फिर से लक्ष्मी की मूर्तियां बनाई हैं, लेकिन अभी तक केवल 1000, 1200 रुपए की बिक्री हुई है.
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राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ के रहने वाले कुछ फेरी वालों ने बताया कि इस बार दीवाली पर बिल्कुल भी बिक्री नहीं हो रही है. फेरीवालों ने बताया कि कोरोना के कारण अभी तक मूर्तियां नहीं बिक रही हैं. राधा कृष्ण, लक्ष्मी, गणेश और मां दुर्गा की मूर्तियां लोग खरीद ही नहीं रहे हैं. फेरीवालों ने बताया कि प्रदूषण ना फैले इसके लिए उन्होंने चौक और मिट्टी के मिश्रण से मूर्तियों बनाई हैं.
भीलवाड़ा शहर में लगभग 100 लोग फेरीवाले त्योहारों के सीजन पर मूर्तियां बेचने का काम करते हैं. जिनके सामने परिवार के भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई है. फेरीवालों और मूर्तिकारों ने कहा कि उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है ना ही समाजसेवी संस्थाएं और ना ही सरकारें.