भीलवाड़ा. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सहाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का मंगलवार को निधन हो गया. बुधवार सुबह उनके पैतृक गांव के रायपुर कस्बे में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां काफी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता मौजूद रहे. विधायक के निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है.
विधायक त्रिवेदी की पार्थिव देह को मंगलवार शाम जिला कांग्रेस कमेटी में लाया गया. जहां जिले के वरिष्ठ राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए. वहीं उनकी पार्थिव देह को मंगलवार देर शाम उनके पैतृक गांव जिले के रायपुर पहुंचाया गया. जहां काफी संख्या में रास्ते में लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की. त्रिवेदी की अंतिम यात्रा बुधवार की सुबह उनके निवास स्थान से शुरू हुई. कोरोना गाइडलाइन के चलते लोगों ने मकान की छतों से ही अंतिम दर्शन किया. अंतिम यात्रा रायपुर कस्बे के मुख्य बाजार चारभुजा मंदिर मार्ग होते हुए सुरास मार्ग के समीप मोक्षधाम पहुंची. जहां उनके पार्थिव देह को पंचतत्व में विलीन किया गया.
2 अक्टूबर से मेदांता में थे भर्ती...
बता दें कि 2 अक्टूबर से ही विधायक मेदांता अस्पताल में उपचाराधीन थे. सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए जयपुर से दिल्ली लाया गया था और फिर मेदांता में भर्ती कराया गया. 65 वर्षीय विधायक कोरोना संक्रमित थे. वह बाद में संक्रमण से मुक्त हो गए थे, लेकिन उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. त्रिवेदी के निधन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी समेत सभी तमाम कांग्रेसी नेताओं ने ट्वीट कर दुख जताया.
पढ़ें: कांग्रेस विधायक त्रिवेदी के निधन पर राजस्थान में शोक की लहर...पिता से मिली थी राजनीतिक विरासत
तबीयत बिगड़ने के बाद 15 सितंबर को कैलाश त्रिवेदी को एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां जांच के दौरान कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी. इलाज के दौरान वह कोरोना संक्रमण को मात देने में भी सफल रहे, लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई खास सुधार नहीं हुआ. 2018 में वह सहाड़ा विधानसभा से तीसरी बार विधायक बने थे.
26 जनवरी 1955 को हुआ था जन्म...
बता दें कि विधायक त्रिवेदी का जन्म 26 जनवरी 1955 को हुआ था. उन्होंने शुरुआत में ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त कर आईटीआई कर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड दरीबा यूनिट में नौकरी की थी. उनके बाद उनकी पिता की विरासत संभाल थे. वे सबसे पहले प्रधान बने और फिर विधायक बने थे.
पिता से मिली राजनीतिक विरासत...
विधायक कैलाश त्रिवेदी का पूरा परिवार राजनीति क्षेत्र में था. विधायक के पिता, भाई, मां, पत्नी पूर्व में प्रधान रहे थे. विधायक को राजनीतिक उनके पिता से विरासत में मिली थी. कैलाश त्रिवेदी जब विधायक नहीं बने, तब सबसे पहले प्रधान बने थे. विधायक वर्ष 2003 से 2008 तक पहली बार सहाड़ा से विधानसभा में पहुंचे. उसके बाद 2008 से 2013 तक दूसरी बार विधानसभा में पहुंचे. 2013 से 2018 तक उनको भाजपा के राजनेता डॉक्टर बालूराम चौधरी से हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं, वर्तमान में वर्ष 2019 में हुए चुनाव में वापस तीसरी बार भाजपा के रूप लाल जाट को पराजित कर विजय हुए. विधायक की छवि भीलवाड़ा जिले में बहुत ही ईमानदार और कुशल नेता के रूप में थी. विधायक पूर्व में वॉलीबॉल के खिलाड़ी भी रहे हैं.
सीएम गहलोत के थे विधायक करीबी...
कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता और विधायक कैलाश त्रिवेदी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी थे. हाल ही में जो प्रदेश में राजनीतिक सियासत हुई, उसमें सबसे मुखर होकर अशोक गहलोत के पक्ष में कैलाश त्रिवेदी ने बयान दिए थे. यहां तक कि मुख्यमंत्री निवास पर भी सबसे आगे बैठकर उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रशंसा की थी. जब भी विधायक कैलाश त्रिवेदी जनता के बीच जाते है, तो जनता को यही कहते कि भले ही में तीसरी बार विधायक बनने के बाद मंत्री नहीं बना, लेकिन उनके हर दुख-सुख में उनके साथ रहूंगा.
विधायक त्रिवेदी रहे थे वॉलीबॉल के नेशनल प्लेयर...
सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी नेशनल स्तर पर वॉलीबॉल के प्लेयर रहे. जहां कई जगह उन्होंने वॉलीबॉल प्रतियोगिता में भाग लिया था. बता दें कि विधायक का शव गुरुग्राम से हेलीकॉप्टर के द्वारा जिले के रायपुर कस्बे में लाया जाएगा. जहां जिला प्रशासन द्वारा जिले के रायपुर कस्बे में अस्थाई हेलीपैड तैयार किया जा रहा है.