भीलवाड़ा. मानसून का पहला दौर खत्म हो चुका है. जिले की 2 तहसीलों के आधा दर्जन गांव में मानसून की पहली बरसात हो चुकी है, लेकिन अभी तक दूसरी जगह बिल्कुल बरसात नहीं हुई है. गत वर्ष 2019 में भीलवाड़ा जिले में सामान्य से 53 फीसदी अधिक बरसात हुई थी. वहीं अभी तक भीलवाड़ा जिले के किसान खरीफ की फसल बोने के लिए मानसून की बरसात की आस लगाए हुए बैठे हैं.
कम दबाव का मानसून होने के कारण इस बार भीलवाड़ा जिले में भरपूर मात्रा में बरिश नहीं हो पाया. मानसून का पहला दौर खत्म सा हो गया है, जहां भीलवाड़ा जिले की 2 तहसीलों के आधा दर्जन गांव में मानसून की पहली बरसात हो चुकी है, जिससे वहां के किसान खरीफ की फसल की बुवाई में जुट गए हैं. जिले में मानसून की दस्तक से पहले ही जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है.
जिले में जून माह में सिर्फ शाहपुरा और मांडल तहसील क्षेत्र के कुछ राजस्व गांव में खरीफ की फसल की बुवाई के अनुरूप बरसात हुई है, लेकिन बाकी जिले के तमाम तहसील क्षेत्र के किसान अपनी फसल की बुवाई के लिए मानसून का इंतजार कर रहे हैं. वर्ष 2019 की बात करें, तो भीलवाड़ा जिले में मानसून अच्छा रहा और जिले के तमाम बांध लबालब हो गया था, जिससे रबी की फसल की भी बंपर पैदावार हुई थी. गत वर्ष सामान्य से 53 फीसदी ज्यादा बरसात हुई थी. गत वर्ष जिले का चेरापूंजी कहलाने वाला मांडलगढ़ क्षेत्र में सर्वाधिक बरसात हुई थी.
पिछले वर्ष वर्षा का आंकड़ा
जिले में पिछले वर्ष सर्वाधिक वर्षा मांडलगढ़ में 1463 मिलीमीटर, जहाजपुर में 1383 मिलीमीटर, काछोला में 1346 मिलीमीटर, कोटडी में 1307 मिलीमीटर, बनेड़ा में 1203 मिलीमीटर, बिजोलिया में 1147 मिलीमीटर , भीलवाड़ा मांडल में 1013 मिलीमीटर, रूपाहेली में 984 मिलीमीटर, सहाड़ा में 977 मिलीमीटर, गंगापुर में 971 मिलीमीटर, गुलाबपुरा में 926 मिलीमीटर, शाहपुरा 890 मिलीमीटर, हुरडा में 862 मिलीमीटर, हमीरगढ़ में 831 मिलीमीटर, फुलिया कला में 806 मिलीमीटर, पारोली में 802 मिलीमीटर, बागोर में 768 मिलीमीटर ,कारोई में 715 मिलीमीटर. वही जिले में सबसे कम वर्षा गंगापुर क्षेत्र के मोखुंदा में 470 मिलीमीटर बारिश हुई थी.
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वहीं वर्ष 2020 की बात करें तो जिले के किसान खरीफ की फसल की बुवाई के लिए अपने खलियान की जुताई कर तैयार बैठे हैं और मानसून का इंतजार कर रहे हैं, जिससे जिले में जो कृषि विभाग का 4 लाख हेक्टेयर भूमि में बुवाई का लक्ष्य है वह पूरा हो सके. अब देखना यह होगा कि जिले में कब मानसून पहुंचता है और कब खरीब की फसल की बुवाई होती है.