भीलवाड़ा. जिले में सावन की खामोशी के बाद भादो में अब धीरे-धीरे मानसून सक्रिय होने लगा है. इस बार जिस तरह से मानसून को रफ्तार पकड़ना चाहिए था, उस तरह रफ्तार नहीं पकड़ पाया है. इससे जिले के अधिकतर बांध पानी का इंतजार कर रहे हैं. भीलवाड़ा जिले में कुल 60 बांध हैं, जिनमें से सिर्फ मांडलगढ़ क्षेत्र के गोवटा बांध ही लबालब हुआ है. बाकी सभी बांध पानी का इंतजार कर रहे हैं.
जिले में 643 मिलीमीटर बारिश का औसत है. इसके मुकाबले अभी तक 343 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. यानी गत वर्ष की तुलना में आधी बरसात हुई है. जिले में इस बार सावन हरा भरा नहीं रह पाया, अगस्त महीने में शुक्रवार रात से ही भीलवाड़ा जिले के आसमान में काले बादल मंडरा रहे हैं.
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वहीं, जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कहीं मूसलाधार तो कहीं रिमझिम बारिश हुई है, जिससे जिले के किसानों द्वारा खरीफ की फसल के रूप में बोई गई मूंग, उड़द, तिल, गवार, ज्वार, मक्का, सोयाबीन और कपास की फसल में वरदान साबित हुई है. साथ ही उड़द की फसल में पीलापन का रोग हो रहा है, जिससे किसान काफी चिंतित हैं. लेकिन मक्का की फसल में यह बारिश वरदान साबित हो रही है.
जिले का चेरापूंजी कहलाने वाला ऊफरमाल क्षेत्र भी इस बार पिछड़ा
इस साल सर्वाधिक बरसात जिले के करेड़ा में 568 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. इसके बाद दूसरे पायदान पर जहाजपुर का नंबर आता है, यहां अब तक 550 मिलीमीटर और तीसरे नंबर पर शक्करगढ़ में 520 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. जिले का चेरापूंजी कहलाने वाला ऊफरमाल क्षेत्र में इस बार पिछड़ गया है.
इस बार बिजोलिया में 319 मिलीमीटर और मांडलगढ़ में 401 मिलीमीटर बरसात हुई है. जबकि ऊपरमाल क्षेत्र में प्रति वर्ष काफी संख्या में बरसात होती है, जिससे वहां से गुजरने वाली बनास नदी उफान पर बहती है और उसका पानी अजमेर जिले के बीसलपुर बांध में पहुंचता है, लेकिन इस बार वह नदी भी अभी तक नहीं बह रही है.