भीलवाड़ा. देशभर में कोरोना की दूसरी लहर का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड्स और रेमडेसिवीर की कमी बढ़ती जा रही है. जिसके चलते इनकी कालाबाजारी की खबरें भी सामने आ रही हैं. ऐसे में एक्सपर्ट मानना है कि कोरोना मरीज को ठीक करने के लिए एक इकलौता विकल्प रेमडेसिवीर इंजेक्शन नहीं है. अन्य दवाइयों से भी इलाज किया जा सकता है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा का कहना है कि रेमडेसिवीर इंजेक्शन कोई रामबाण नहीं है. इसके इस्तेमाल करने का एक प्रोटोकॉल है. मरीज 7-8 दिन के भीतर आए और वह अति गंभीर मरीज हो उसका ऑक्सीजन लेवल लगातार नीचे गिर रहा हो तब यह इंजेक्शन कुछ मदद करेगा.
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कोविड-19 राज्य नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप चौधरी ने कहा कि कोरोना के गंभीर मरीज जो आईसीयू में भर्ती हैं जिनको डॉक्टर की सलाह पर रेमडेसिवीर लगना चाहिए. यह वायरस के प्रभाव को कम करता है. यह कोई रामबाण नहीं है. रेमडेसिवीर के साइड इफेक्ट के सवाल पर डॉ. प्रदीप चौधरी ने कहा कि जो भी एंटीबायटिक ड्रग और इंजेक्टेड ड्रग होते हैं उसके साइड इफेक्ट होते ही हैं. यह आपकी शरीर में अन्य नार्मल कोशिकाओं पर प्रभाव डालते हैं और उनको नुकसान भी पहुंचाते हैं.
इसलिए एंटीबायटिक ड्रग और रेमडेसिवीर इंजेक्शन का इस्तेमाल विशेषज्ञों की सलाह पर ही करना चाहिए. महात्मा गांधी चिकित्सालय के अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरुण गौड़ का कहना है कि रेमडेसिवीर की कमी नहीं है अगर इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाये. लोगों के मन में इसको लेकर भ्रांतियां फैली हुई हैं. रेमडेसिवीर इंजेक्शन का इस्तेमाल गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए किया जाता है.