भीलवाड़ा. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीएसपी ने जमीनी धरातल पर तैयारी शुरू कर दी है. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 200 सीटों पर बीएसपी चुनाव (BSP to contest election on 200 seats) लड़ेगी. उन्होंने कांग्रेस पर दलितों के प्रति दोगले रवैए का आरोप भी जड़ा.
ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि हर बार हमारे विधायक जीतने के बाद पार्टी बदल लेते हैं. गहलोत ने मंत्री पद व पैसों का लालच देकर हमारे चुने हुए विधायकों को सरकार बचाने के लिए खरीदा था. ऐसे में हम आगामी दिनों समझबूझ कर टिकट वितरण करेंगे. वहीं कांग्रेस व बीजेपी दलितों की बात तो करती है, लेकिन दलितों के साथ जब जुल्म होता है तो कोई बोलते नहीं हैं. इसमें से कांग्रेस का तो दलितों को प्रति दोगलापन सबसे ज्यादा (BSP state head targets Congress) है. इसके बारे में दलित समाज के लोग अब समझ चुके हैं.
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उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों पर कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करेंगे. इस बार प्रदेश के लोगों ने परिवर्तन का मन बन लिया है. कांग्रेस व भाजपा से जनता तंग आ चुकी है. ऐसे में तीसरा विकल्प सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ही है. 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में हमारे 6 विधायक जीते थे. इसीलिए अभी से हमने मजबूती के साथ तैयारी शुरू कर दी है. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि हम 200 सीट पर प्रत्याशी उतारेंगे. हमने 60 सीटों का टारगेट लेकर तैयारी शुरू कर दी है. खासकर हमारा ध्यान पूर्वी राजस्थान, शेखावटी, जालौर और सिरोही में रहेगा. 60 सीटों में से 50 सीटें जीतने का मुझे पूरा भरोसा है.
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बीएसपी से जीतने के बाद विधायक कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं के सवाल पर प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि जब-जब बीएसपी ने राजस्थान में मजबूती से चुनाव लड़ा. तब-तब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. 2018 में गहलोत सरकार बनी. इसके बाद वे लगातार सरकार बचाने में लगे रहे. गहलोत ने हमारे विधायकों को मंत्री पद व पैसों का लालच देकर सरकार बचाई. प्रदेश मे दो बार हमारे विधायक जीतने के बाद पार्टी बदलकर बिक चुके हैं.
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जालोर में दलित बच्चे की मौत मामले में बसपा के आवाज नहीं उठाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में मीडिया हमें नहीं दिखाती है. हम सबसे पहले वहां पहुंचे. 17 अगस्त को मैं खुद गया और हमारे प्रदेश प्रभारी भी गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस व भाजपा दलित की राजनीति तो करते हैं, लेकिन दलित पर जब जुल्म होता है, तो कोई बोलता नहीं है. उदयपुर में कन्हैयालाल के साथ घटना हुई तब भाजपा व कांग्रेस के काफी राजनेता और पदाधिकारी वहां पहुंचे थे. यहां तक कि मुख्यमंत्री स्वयं गए थे और 50 लाख रुपए का मुआवजा, दोनों बेटों को नौकरी दी. जबकि जालोर में घटना होने पर मुख्यमंत्री नहीं गए. यह कांग्रेस का दलितों के प्रति दोगलापन है, जिसे प्रदेश का दलित समाज भी समझ चुका हैं.