भीलवाड़ा. विकट परिस्थिति के बीच भारतीय छात्र जान बचाकर भारत आने के लिए यूक्रेन से सटे पड़ोसी देश रोमानिया, हंगरी या पोलैंड का रुख कर रहे (Indians Amid Ukraine Crisis) हैं. यहीं से उन्हें ऑपरेशन गंगा के तहत बाहर निकाला (Operation Ganga For Indian Students Evacuation) जा रहा है.
पराए देश में जरूरतें तमाम होती हैं और ऐसी परिस्थिति में ही इन छात्रों के संकटमोचक बन कर उभरे हैं भीलवाड़ा के उद्योगपति (Sharda Group Chairman on Ukraine Crisis) अनिल मानसिंहगा. शारदा ग्रुप के चैयरमेन हैं और पोलैंड में अपने सीओ अमित लाठ के जरिए मदद मुहैया करा रहे हैं.
जान बचाकर पोलैंड पहुंच रहे बच्चों के ठहरने ,खाने पीने ,बस से एयरपोर्ट पहुंचाने और आवश्यक दवाइयों की व्यवस्था तक का जिम्मा एंबेसी के सहयोग से मानसिहगा ने किया है. ईटीवी से बातचीत में उन्होंने इसे निस्वार्थ सेवा भाव का नाम दिया.
आखिर युद्धग्रस्त इलाके से बच कर आ रहे छात्र कहां रह रहे हैं? ये ऐसा सवाल है जो हर भारतीय के दिमाग में कौंधता है. जैसी तस्वीरें वहां से निकल कर सामने आ रही है उससे बेबसी झलक रही है. मानसिंहगा बताते हैं कि उनको इस बात का एहसास था. शुरुआत में एक होटल में 250 बच्चों को ठहराया. धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता गया. बाद में ग्रुप ने 5 होटलों में 1500 बच्चे बच्चियां को ठहराया. इन बच्चों की मदद में 24/7 कम्पनी के सीईओ लगे हुए हैं.
इस मद में कितना खर्चा: मानसिंहगा हंसते हुए खर्चे का सवाल टाल देते हैं. कहते हैं- बस कर्तव्य निभा रहा हूं. इसके लिए अपने सिर पर कोई सेहरा नहीं सजवाना चाहता. ये सेवा भाव के तहत कर रहा हूं. मैं हिंदुस्तानी हूं और हिंदुस्तानियों की मदद करना मेरा परम कर्तव्य है. कहते हैं जिस देश से कमाया अगर विपत्ति काल में उसके काम नहीं आया तो फिर ऐसा रुतबा और पैसा किस काम का.