भीलवाड़ा. लगातार बढ़ रहे कोरोना संकट के बीच अब न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है. भीलवाड़ा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने एक पहल करते हुए कोरोना संक्रमित रोगियों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है. 3 मई से चल रही हेल्पलाइन में हर रोज संक्रमित परिवारों की समस्या के निस्तारण के लिए लोग फोन कर रहे हैं. प्राधिकरण द्वारा जिला सेशन न्यायालय में स्थापित हेल्पलाइन मददगार साबित हो रही है.
पढे़ं: संविदा सीएचओ भर्ती-2020 की चयन सूची जारी, कोरोना नियंत्रण के लिए गृह जिलों में पोस्टिंग
भीलवाड़ा में कोरोना मरीजों के साथ ही अन्य किसी प्रकार की शिकायत लोग 8306002107 या फिर 0142 294713 पर कॉल करके कर सकते हैं. हेल्पलाइन दफ्तर में बाकायदा हर एक कॉल और समस्या रिकॉर्ड एक निर्धारित फॉर्मेट में बनाया जाता है. जो हाईकोर्ट तक भेजा जाता है. वह इसकी मॉनिटरिंग स्वयं जिला विधिक प्राधिकरण सचिव कर रहे हैं.
ईटीवी से खास बातचीत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेंद्र कुमार दवे ने कहा कि हर एक मरीज का संवैधानिक अधिकार है कि उसे चिकित्सकीय सुविधा मिले, इसको लेकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से हेल्पलाइन की पहल शुरू की गई है. कोरोना मरीजों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो इसका खास ख्याल रहा जा रहा है. उन्होंने बताया कि हर दिन करीब 12 से 15 लोगों के फोन आ रहे हैं.
हेल्पलाइन जिला सेशन न्यायालय में स्थापित की गई है. जो 24 घंटे सुचारू है. इसमें 8-8 घंटे की शिफ्ट में स्टाफ काम कर रहा है. जिसकी प्राधिकरण सचिव स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इसके साथ ही समस्या का निस्तारण की निगरानी भी दोबारा की जाती है कि मरीज को सुविधाएं मिली की नहीं. हर एक फोन कॉल का डेटा कलेक्ट किया जा रहा है. जिसको हाईकोर्ट भेजा जा रहा है. शहर मुख्यालय को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्र में भी यह हेल्पलाइन लोगों की मदद कर रही है.
हेल्पलाइन के माध्यम से लोगों को वैक्सीनेशन के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. वहीं कालाबाजारी के सवाल पर महेंद्र कुमार दवे ने कहा कि कालाबाजारी को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से बात की जाएगी और निस्तारण का प्रयास किया जाएगा. दवे ने जनता से अपील की है कि यदि ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में कोई कोविड-19 है तो अपनी जानकारी छुपाई नहीं खुलकर वह चिकित्सक को बताएं. जिससे उनका इलाज तुरंत प्रभाव से हो सकता है. ऐसा नहीं है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.