भीलवाड़ा. सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया (Subh Muhrat for Raksha Bandhan) जाता है. इस दिन बहने भाई की कलाई पर स्नेह और प्रेम का सूत्र बांधते हुऐ भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. इसके बदले में भाई उन्हें रक्षा का वचन देता है. रक्षाबंधन का त्यौहार इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसमें शुभ मुहूर्त से पहले बहनें भाई को राखी नहीं बांध सकेंगी.
ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अशोक व्यास के पास पहुंची. पंडित अशोक व्यास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार को लेकर विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां देखने को मिल रही हैं. इस बार रक्षाबंधन के दिन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है, इसी दिन पूर्णिमा सुबह 10:38 पर शुरू हो जाएगी जो 12 अगस्त को सुबह 7:02 तक रहेगी.
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ऐसी मान्यता है कि रक्षाबंधन के पर्व पर भद्रा का दोष होता है. जिसके कारण भद्रा में बहने अपने भाई को राखी नहीं बांधती हैं. इस बार भी रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया है. भद्रा को लेकर कुछ गणितकार यह मानते हैं कि इस बार पाताल लोक की भद्रा है. इसमें रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा सकता है. लेकिन कुछ गणितकार इसे भी गलत मान रहे हैं. उनका कहना है कि भद्रा चाहे पाताल लोक की हो या पूछ काल की हो, इसमें राखी नहीं बांधनी चाहिए.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: भद्रा दोष 11 अगस्त को रात्रि 8:52 पर समाप्त हो जाएगा. ऐसे में 11 अगस्त को रात्रि 8:52 से 9:50 तक राखी बांधने का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त है. इसी मुहूर्त में बहने अपने भाई को राखी बांध सकती हैं. इसके बाद 12 अगस्त को प्रातः 7:02 तक उदय तिथि में पूर्णिमा होने से दिनभर भाई की कलाई में बहने राखी बांध सकती हैं.