भीलवाड़ा. भीलवाड़ा जिले के रायला क्षेत्र के मोतीबोर खेड़ा गांव स्थित नवग्रह आश्रम (Motibor Kheda Navagraha Ashram Bhilwara) में आयुर्वेद की पुस्तकों का अनूठा संग्रह (Ayurveda books collection in Bhilwara) है. यहां भारत ही नहीं विश्व भर में छपी तमाम आयुर्वेद की पुस्तकों के साथ ही धार्मिक किताबें भी मौजूद हैं. देश में छपी हुई तमाम आयुर्वेद की पुस्तक का अध्ययन कर आश्रम आए पीड़ित मानव का उपचार किया जाता है. नवग्रह आश्रम के संस्थापक और वेदाचार्य हंसराज चौधरी (Ayurvedacharya Hansraj Choudhary library) ने दावा किया है कि आश्रम में प्रतिमाह करीब 14 हजार पीड़ित लोगों की सेवा की जाती है.
नवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि यह आयुर्वेद की पुस्तकों का समुद्र है. इसको मैंने 'शब्द समुद्र' नाम दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं आयुर्वेद के साथ-साथ साहित्य से भी जुड़ा हुआ व्यक्ति हूं. इस आयुर्वेद के संग्रहण की लाइब्रेरी में चारों वेदों के अलग-अलग टीकाकार, 18 पुराण, 108 उपनिषद, रावण संहिता, कुरान शरीफ, बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहिब, ओशो, अमृता प्रीतम समेत आयुर्वेद क्षेत्र का बड़ा संग्रहण है. उन्होंने कहा कि मेरी दृष्टि में आयुर्वेद क्षेत्र में ऐसा कोई ग्रंथ नहीं जो इस लाइब्रेरी में न हो.
मोबाइल कभी पुस्तक का मुकाबला नहीं कर सकता
आयुर्वेद की पुस्तकों के संग्रहण को लेकर उनके उद्देश्य को लेकर उन्होंने कहा कि लड़ाइयां शस्त्रों से जीती जाती है. व्यक्तिगत जीवन में आपके पास ज्ञान है और वह पुस्तकीय ज्ञान है तो वह स्थाई होता है. मोबाइल इन पुस्तकों का मुकाबला नहीं कर सकता है. मोबाइल में चीजें डिलीट हो सकती हैं लेकिन पुस्तक में जो लिखा होता है वह कभी खत्म नहीं होता है. उसमें लिखी बातें कभी डिलीट नहीं होती. इस लाइब्रेरी में 35 प्रकार की डिक्शनरी हैं जो 35 सब्जेक्ट की हैं. हिंदी-अंग्रेजी के अलावा यहां तमाम प्रकार की डिक्शनरी विभिन्न भाषाओं में हैं. यहां संपूर्ण कबीर, संपूर्ण ओशो वांग्मय है. इस्लाम संस्कृति का भी यहां वांग्मय है.
एक छत के नीचे धर्म ग्रंथों को संग्रह
देश में जहां छोटी-छोटी बातों पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ जाता हो, वहां इस लाइब्रेरी ने तमाम धर्म ग्रंथों को एक छत के नीचे एकजुट कर रहा है. नवग्रह आश्रम के संस्थापक हंसराज चौधरी ने कहा कि देश में छोटी-छोटी बात पर जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है उसे लेकर संदेश देना चाहता हूं कि जो लोग आपस में लड़ रहे हैं, वह इंसान कहलाने के लायक नहीं है. धर्म की कोई क्या परिभाषा देगा, धर्म वह है जो धारित है. धर्म कभी लड़ाता नहीं. हिंदू या इस्लाम धर्म का कोई व्यक्ति नहीं दिखा जो लड़ता हो. धर्म के आधार पर लड़ाई तो सिर्फ पंडितों, मौलवियों के साथ ही कुछ तथाकथित राजनेताओं ने इसे गंदा कर दिया है.
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आयुर्वेद की पुस्तकें पढ़कर ही करता हूं उपचार
यहां हर धर्म की पुस्तक है. इस लाइब्रेरी में कोई पुस्तक नहीं लड़ती है. इन पुस्तकों को पढ़ लोगे तो सारी लड़ाइयां खत्म हो जाएंगी. ज्ञानवान व्यक्ति कभी नहीं लड़ता है. दुनिया में जितने भी युद्ध हुए हैं उनमें लड़ने वाले की योग्यता देखें तो वह न के बराबर थी. उसमें कोई ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति नहीं थे. आज देश में शंकराचार्य पढ़े-लिखे हैं जिनके कारण ही आज भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है. इन पुस्तकों को पढ़कर आयुर्वेद को आगे बढ़ाया जा सकता है. मैं उन व्यक्तियों में शामिल हूं जिन्होंने आयुर्वेद को शस्त्र के रूप में काम में लिया है. प्रतिमाह नवग्रह आश्रम में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज कराने के लिए करीब 14 हजार लोग आते हैं. इन्हीं पुस्तकों का अध्ययन कर मैं उनका आयुर्वेद पद्धति से इलाज करता हूं. इससे मुझे संतुष्टि मिलती है.