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मानदेय बढ़ाने और पुलिस सुरक्षा की मांग को लेकर आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन - आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन

भीलवाड़ा में बुधवार को आशा सहयोगनियों ने अपनी विभिन्‍न मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्‍टर शिव प्रसाद एम नकाते को ज्ञापन भी सौंपा.

ASHA colleagues submitted memorandum, आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन
आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन
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Published : Apr 7, 2021, 4:10 PM IST

भीलवाड़ा. शहर के जिला कलेक्‍ट्रेट कार्यालय पर ग्राम साथीन कर्मचारी संघ के बैनर तले आशा सहयोगनियों ने अपनी विभिन्‍न मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्‍टर शिव प्रसाद एम नकाते को ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें उन्‍होंने मानदेय बढाने के साथ ही पुलिस सुरक्षा प्रदान करवाने की व्‍यवस्‍था करने की भी मांग की.

आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन

ग्राम साथीन कर्मचारी संघ महामंत्री माया प्रजापत ने कहा कि हम साथीनों से जितना कार्य करवाया जाता है, उतना हमें वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिससे हमारा घर खर्च निकलना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में जिसके कारण हमारा कम से कम मानदेय 18 हजार रूपये दिया जाए.

पढ़ें- पांच राज्यों के चुनाव में देखने को मिली राजस्थान के नेताओं की धमक, इन दिग्गजों ने निभाई अहम जिम्मेदारी

इसके साथ ही हम जब बाल विवाह, दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा को लेकर जब काम करते है तो ग्रामीणों का हम पर काफी प्रेशर रहता है. कई बार तो हथापाई जैसी नौबत भी सामने आ जाती है. ऐसे समय पर हमें पुलिस प्रोटेक्‍शन भी दिया जाना चाहिए.

भीलवाड़ा. शहर के जिला कलेक्‍ट्रेट कार्यालय पर ग्राम साथीन कर्मचारी संघ के बैनर तले आशा सहयोगनियों ने अपनी विभिन्‍न मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्‍टर शिव प्रसाद एम नकाते को ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें उन्‍होंने मानदेय बढाने के साथ ही पुलिस सुरक्षा प्रदान करवाने की व्‍यवस्‍था करने की भी मांग की.

आशा सहयोगिनियों ने किया प्रदर्शन

ग्राम साथीन कर्मचारी संघ महामंत्री माया प्रजापत ने कहा कि हम साथीनों से जितना कार्य करवाया जाता है, उतना हमें वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिससे हमारा घर खर्च निकलना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में जिसके कारण हमारा कम से कम मानदेय 18 हजार रूपये दिया जाए.

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इसके साथ ही हम जब बाल विवाह, दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा को लेकर जब काम करते है तो ग्रामीणों का हम पर काफी प्रेशर रहता है. कई बार तो हथापाई जैसी नौबत भी सामने आ जाती है. ऐसे समय पर हमें पुलिस प्रोटेक्‍शन भी दिया जाना चाहिए.

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