भरतपुर. टीटागढ़ फैक्ट्री और मजदूरों के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है. टीटागढ़ फैक्ट्री के खिलाफ मजदूर आये दिन प्रदर्शन करते रहते हैं. चाहे वह कंपनी के क्वाटर्स खाली करवाना हो या फिर सिमको के मजदूरों को दोबारा नौकरी पर लगवाना. आज फिर से मजदूरों ने टीटागढ़ फैक्ट्री के प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन किया. मजदूरों की मांग है कि टीटागढ़ में बाहर से मजदूरों को न लाकर स्थानीय मजदूरों को नौकरी दी जाए.
दरअसल टीटागढ़ फैक्ट्री का पहले नाम सिमको फैक्ट्री था. जहां हजारों की संख्या में मजदूर काम किया करते थे. लेकिन सिमको प्रबंधन ने अपनी पूरी फैक्ट्री टीटागढ़ को बेच दी. जिसके बाद फैक्ट्री का नाम बदल कर टीटागढ़ कर दिया गया. इस दौरान सैकड़ों मजदूरों की नौकरियां भी गई. जब से मजदूर टीटागढ़ के खिलाफ किसी न किसी मुद्दे पर मोर्चा खोलते रहते हैं.
आज सैंकड़ों की संख्या में मजदूरों ने प्रदर्शन करते हुए बताया कि साल 2008 के सिमको प्रबंधन और टीटागढ़ प्रबंधन में एक समझौता हुआ था. जिसमें तय हुआ था कि सिमको में काम कर रहे 1758 मजदूरों को टीटागढ़ कंपनी में रखा जाएगा. लेकिन टीटागढ़ में सिमको के सिर्फ 121 मजदूर काम कर रहे हैं. लेकिन अब टीटागढ़ ने कोलकाता से लाकर मजदूरों को नौकरी दी है. कोलकाता के मजदूरों को टीटागढ़ प्रबंधन 800 से 1000 रुपये तक प्रतिदिन देता है और पहले से काम कर रहे स्थानीय मजदूरों को 200 रुपये प्रति दिन मिल रहे हैं.
ऐसे में मजदूरों की मांग है कि उन्हें भी कोलकाता के मजदूरों के बराबर मजदूरी मिलनी चाहिए. लेकिन टीटागढ़ प्रबंधन स्थानीय मजदूरों की तनख्वाह बढ़ाने को तैयार नहीं है और 11 साल से प्रबंधन मजदूरों को झूठा आश्वासन दे रहा है. लेकिन अभी तक मजदूरों की मजदूरी नहीं बढ़ाई गई है. जब भी मजदूर अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते हैं तो झूठा आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता.