भरतपुर. बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने और परिवार नियोजन को लेकर राज्य सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं. बावजूद इसके संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आते.
भरतपुर जिले में हालत ये हैं कि परिवार नियोजन के मामले में महिलाएं तो काफी जागरूक हैं, लेकिन पुरुष इसमें मीलों पीछे हैं. यही वजह है कि जहां एक तरफ परिवार नियोजन के लिए जिले की हजारों महिलाएं हर वर्ष नसबंदी कराती हैं, तो वहीं सिर्फ गिने-चुने पुरुष ही नसबंदी करावाते हैं.
सिर्फ छह पुरुषों ने कराई नसबंदी
आंकड़ो को देखा जाए तो वर्ष 2019 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को कुल 14,810 महिला-पुरुषों की नसबंदी करने का लक्ष्य दिया गया है. लेकिन, सितंबर माह तक पूरे जिले में सिर्फ छह पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है. जबकि महिलाओं की बात करें तो अबतक 1,349 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं, जो की पुरुषों की तुलना में काफी अधिक है.
इसलिए कतराते हैं पुरुष
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी का आंकड़ा बहुत नीचे है. उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. लेकिन, पुरुष-प्रधान समाज होने की वजह से हमेशा नसबंदी के लिए महिलाओं को ही आगे कर दिया जाता है. साथ ही पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी रहती हैं जिसकी वजह से वह नसबंदी करवाने से बचते हैं.
जिले के 10 ब्लॉक में नसबंदी के आंकड़े
भुसावर में 5 पुरुष और 143 महिलाओं ने कराई नसबंदी
सीवर ब्लाक में 1 पुरुष और 149 महिलाओं ने कराई नसबंदी
जिले के बयाना, डीग, कामा, कुम्हेर, नदबई, नगर, रूपवास और भरतपुर में एक भी पुरुष ने नसबंदी नहीं कराई है. ऐसे में परिवार नियोजन में महिलाएं पुरूषों से तो आगे हैं लेकिन विभाग की धीमी चाल के चलते लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके हैं. मिले लक्ष्य के विपरीत भरतपुर में अभी तक लगभग 9 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हो सका है.
गौरतलब है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से हर माह नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं. लेकिन इन नसबंदी शिविरों में अधिकतर महिलाएं ही नसबंदी कराती हैं.