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परिवार नियोजन में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे, फिर भी आंकड़ों में पिछड़ा भरतपुर

जनसंख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. बावजूद इसके इस विषय पर कम ही लोग सोचते हैं. राज्य सरकार परिवार नियोजन को लेकर निरंतर प्रयास कर रही है. भरतपुर में जनसंख्या नियंत्रण को नसबंदी करवाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का योगदान ज्यादा रहा. हालांकि आकंड़ों की बात करें तो भरतपुर जिला तय लक्ष्य से कहीं पीछे है. अभी तक 10 फीसदी से भी कम लक्ष्य हासिल किया गया है.

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Published : Oct 26, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 10:01 PM IST

भरतपुर, women behind in family planning

भरतपुर. बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने और परिवार नियोजन को लेकर राज्य सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं. बावजूद इसके संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आते.

भरतपुर जिले में हालत ये हैं कि परिवार नियोजन के मामले में महिलाएं तो काफी जागरूक हैं, लेकिन पुरुष इसमें मीलों पीछे हैं. यही वजह है कि जहां एक तरफ परिवार नियोजन के लिए जिले की हजारों महिलाएं हर वर्ष नसबंदी कराती हैं, तो वहीं सिर्फ गिने-चुने पुरुष ही नसबंदी करावाते हैं.

सिर्फ छह पुरुषों ने कराई नसबंदी

आंकड़ो को देखा जाए तो वर्ष 2019 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को कुल 14,810 महिला-पुरुषों की नसबंदी करने का लक्ष्य दिया गया है. लेकिन, सितंबर माह तक पूरे जिले में सिर्फ छह पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है. जबकि महिलाओं की बात करें तो अबतक 1,349 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं, जो की पुरुषों की तुलना में काफी अधिक है.

नसबंदी करवाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का योगदान ज्यादा

इसलिए कतराते हैं पुरुष

अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी का आंकड़ा बहुत नीचे है. उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. लेकिन, पुरुष-प्रधान समाज होने की वजह से हमेशा नसबंदी के लिए महिलाओं को ही आगे कर दिया जाता है. साथ ही पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी रहती हैं जिसकी वजह से वह नसबंदी करवाने से बचते हैं.

पढ़ें: मंडावा हारने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पूनिया का बड़ा बयान...कहा लोग चाहते थे सांसद का पुत्र चुनाव लड़े

जिले के 10 ब्लॉक में नसबंदी के आंकड़े

भुसावर में 5 पुरुष और 143 महिलाओं ने कराई नसबंदी

सीवर ब्लाक में 1 पुरुष और 149 महिलाओं ने कराई नसबंदी

जिले के बयाना, डीग, कामा, कुम्हेर, नदबई, नगर, रूपवास और भरतपुर में एक भी पुरुष ने नसबंदी नहीं कराई है. ऐसे में परिवार नियोजन में महिलाएं पुरूषों से तो आगे हैं लेकिन विभाग की धीमी चाल के चलते लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके हैं. मिले लक्ष्य के विपरीत भरतपुर में अभी तक लगभग 9 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हो सका है.

गौरतलब है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से हर माह नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं. लेकिन इन नसबंदी शिविरों में अधिकतर महिलाएं ही नसबंदी कराती हैं.

भरतपुर. बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने और परिवार नियोजन को लेकर राज्य सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जाते हैं. बावजूद इसके संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आते.

भरतपुर जिले में हालत ये हैं कि परिवार नियोजन के मामले में महिलाएं तो काफी जागरूक हैं, लेकिन पुरुष इसमें मीलों पीछे हैं. यही वजह है कि जहां एक तरफ परिवार नियोजन के लिए जिले की हजारों महिलाएं हर वर्ष नसबंदी कराती हैं, तो वहीं सिर्फ गिने-चुने पुरुष ही नसबंदी करावाते हैं.

सिर्फ छह पुरुषों ने कराई नसबंदी

आंकड़ो को देखा जाए तो वर्ष 2019 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को कुल 14,810 महिला-पुरुषों की नसबंदी करने का लक्ष्य दिया गया है. लेकिन, सितंबर माह तक पूरे जिले में सिर्फ छह पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है. जबकि महिलाओं की बात करें तो अबतक 1,349 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं, जो की पुरुषों की तुलना में काफी अधिक है.

नसबंदी करवाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का योगदान ज्यादा

इसलिए कतराते हैं पुरुष

अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी का आंकड़ा बहुत नीचे है. उन्होंने कहा कि पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. लेकिन, पुरुष-प्रधान समाज होने की वजह से हमेशा नसबंदी के लिए महिलाओं को ही आगे कर दिया जाता है. साथ ही पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी रहती हैं जिसकी वजह से वह नसबंदी करवाने से बचते हैं.

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जिले के 10 ब्लॉक में नसबंदी के आंकड़े

भुसावर में 5 पुरुष और 143 महिलाओं ने कराई नसबंदी

सीवर ब्लाक में 1 पुरुष और 149 महिलाओं ने कराई नसबंदी

जिले के बयाना, डीग, कामा, कुम्हेर, नदबई, नगर, रूपवास और भरतपुर में एक भी पुरुष ने नसबंदी नहीं कराई है. ऐसे में परिवार नियोजन में महिलाएं पुरूषों से तो आगे हैं लेकिन विभाग की धीमी चाल के चलते लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके हैं. मिले लक्ष्य के विपरीत भरतपुर में अभी तक लगभग 9 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हो सका है.

गौरतलब है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से हर माह नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं. लेकिन इन नसबंदी शिविरों में अधिकतर महिलाएं ही नसबंदी कराती हैं.

Intro:
भरतपुर.
बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने और परिवार नियोजन को लेकर राज्य सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए लाख प्रयास किए जाते हैं बावजूद इसके संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आ रहे। भरतपुर जिले में हालात यह हैं कि परिवार नियोजन के मामले में महिलाएं तो काफी जागरूक हैं लेकिन पुरुष इनसे मीलों पीछे हैं। यही वजह है कि परिवार नियोजन के लिए जिले की हजारों महिलाएं हर वर्ष नसबंदी कराती हैं लेकिन पुरुष सिर्फ गिने-चुने ही नसबंदी कराते हैं।Body:सिर्फ छह पुरुषों ने कराई नसबंदी
वर्ष 2019 में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को कुल 14810 महिला-पुरुषों की नसबंदी करने का लक्ष्य दिया गया है। लेकिन सितंबर माह तक पूरे जिले में सिर्फ छह पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है जबकि महिलाओं की बात करें तो अब तक 1349 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं, जो कि पुरुषों की तुलना में काफी अधिक है।

इसलिए कतराते हैं पुरुष
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी का आंकड़ा बहुत नीचे है। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन पुरुष प्रधान समाज होने की वजह से हमेशा नसबंदी के लिए महिलाओं को ही आगे कर दिया जाता है और पुरुष हमेशा नसबंदी कराने से बचते हैं। साथ ही पुरुषों में नसबंदी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां भी रहती हैं जिसकी वजह से वह नसबंदी नहीं कराते।

जिले के 10 ब्लॉक में यह है नसबंदी के हालात

भुसावर में 5 पुरुष और 143 महिलाओं ने नसबंदी कराई।

सीवर ब्लाक में 1 पुरुष और 149 महिलाओं ने नसबंदी कराई।

जिले के बयाना, डीग, कामा, कुम्हेर, नदबई, नगर, रूपवास, भरतपुर में एक भी पुरुष ने नसबंदी नहीं कराई। जबकि सभी ब्लॉकों में कुल 1349 महिलाओं ने नसबंदी कराई।Conclusion:गौरतलब है कि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाने के लिए चिकित्सा विभाग की ओर से हर माह नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं। लेकिन इन नसबंदी शिविरों में अधिकतर महिलाएं ही नसबंदी कराती हैं जबकि पुरुष नसबंदी या नाम मात्र की हो पाती हैं।

बाइट - डॉ असित श्रीवास्तव, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भरतपुर।


सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर
Last Updated : Oct 26, 2019, 10:01 PM IST
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