भरतपुर. जहां एक ओर देश में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण ने लोगों को झकझोर को रख दिया है. वहीं, दूसरी ओर इससे हुए लॉकडाउन से भी लोगों पर काफी मार पड़ी है. इसका सबसे ज्यादा असर देश के श्रमिकों पर पड़ा है. इसके साथ ही इसने व्यापारियों की कमर तोड़ कर रख दी है. कारण इतना कि ये सीजन शादियों का है, लेकिन लॉकडाउन के चलते उनके दुकानों में रखा सामान उसी तरह पड़ा है, जिससे बाजारों से ग्राहक पूरी तरह से गायब हो चुके हैं. ऐसे में व्यापारियों का पूरा का पूरा पैसा फंस चुका है, जिससे उनका खुद का आजीविका भी चलाना मुश्किल हो गया है.
इस दौरान जब ईटीवी भारत ने कुछ कपड़ा व्यापारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि शादियों का सीजन पूरे साल का सीजन माना जाता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दुकानें बंद पड़ी है. इसके अलावा शादियां भी नही हुई, जिसकी वजह से उनका माल ऐसे ही गोदामों में पड़ा हुआ है. उनका कहना है कि उन्होंने शादियों के सीजन को देखते हुए कपड़ों का स्टॉक किया हुआ था, लेकिन अब वह स्टॉक ऐसे ही रखा हुआ है. अब लॉकडाउन खुलने के बाद भी बाजारों में ग्राहक नहीं है.
इसके अलावा लॉकडाउन खुलने के बाद जब उन्होंने अपनी दुकानें खोली तो दुकानों में रखे कई कपड़ों को चूहे काट चुके है. इस सीजन में उनकी जो कमाई होती थी, उस पर पानी फिर गया. साथ ही सारी जमा-पूंजी भी दुकान में स्टॉक भरवाने में फंस गया. अब ऐसे हालातों उन्हें अपने घर का चलाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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इसके अलावा अगर किराना दुकानों की बात की जाए तो किराना दुकानों की भी दुकानदारी इन दिनों पूरी तरह से चौपट हो चुकी है. क्योंकि, थोक के किराना व्यापारी पूरी तरह शादी के सीजनों पर ही निर्भर रहते थे. क्योंकि, शादी का सीजन पूरी साल की अच्छी आमदनी का जरिया होती थी, लेकिन अब उनकी दुकान पर भी सन्नाटा ही पसरा हुआ है और उनकी दुकानों में काफी मात्रा में भरा स्टॉक ऐसे ही रखा हुआ है.
इस दौरान किराना के एक थोक व्यापारी ने बताया कि होल सेल की दुकान की आमदनी इन दिनों 60 से 70 हजार रुपए की होती थी. लेकिन वहीं अब दुकानदारी 10 हजार रुपए पर सिमट कर रह गई है. इसके अलावा फुटकर व्यापारी इन दिनों 30 हजार रुपए प्रति दिन अपनी दुकानदारी किया करता था, लेकिन अब दुकान पर 7 से 8 हजार रुपए का ही माल बिक पाता है.
इसके अलावा गली मोहल्लों में जो परचून की दुकानें थी, वह पूरी तरह से खत्म हो चुकी है. क्योंकि, उनकी ज्यादात्तर दुकानें मजदूरों की वजह से ही चलती थी. वो मजदूर भी लॉकडाउन में अपने घरों की तरफ पलायन कर गए, जिसकी वजह से उनकी दुकानदारी पूरी तरह चौपाट हो गई. इसके अलावा जो ग्राहक परचून की दुकानों से उधार समान लेते थे और अपनी तनख्वाह आने पर उनको पैसे देते है. ऐसे ग्राहकों के पास व्यपारियों के पैसे अटके हुए है. क्योंकि, नौकरी पेशा व्यक्ति की भी इस समय में तनख्वाह अटकी है.
इसके अलावा अगर धूम्रपान से जुड़ी बातों पर बात की जाए तो लॉकडाउन के समय धूम्रपान की जमकर कालाबाजारी हुई है. इस दौरान गुटके अपने दामों से चार से पांच गुना अधिक दामों में बिका है. जब इस बारे में जिला व्यापार महासंघ के जिला महामंत्री से बात की तो उन्होंने बताया कि इस महामारी के कारण देश में हुए लॉकडाउन के चलते खुदरा व्यापारी ने अपने व्यापार को पूरी तरह से बंद रखा है, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से इतना बड़ा पैकेज आने के बाद भी किसी भी छोटे व्यापारी को सहूलियत नहीं दी.
उन्होने कहा कि छोटा व्यापारी जो थोड़ा-थोड़ा सामान बेच कर अपनी आजीविका चलता है, सरकार उनके बारे में नहीं सोच रही कि उसका क्या होगा? ऐसे हालातों के बीच 2 महीने से व्यापारी अपने घरों में बंद पड़ा हुआ है. इसके अलावा कुछ व्यपारियों ने बैंकों से लोन भी ले रखा है, उनकी किश्त भी रूकी पड़ी है. इसके अलावा व्यापारी अपने बच्चों की स्कूल की फीस भर पाने में भी पूरी तरह से असमर्थ है. लेकिन कोई भी सरकार इन सबके बारे में नहीं सोच रही.
इसके अलावा बैसाख के सीजन में व्यापारी की सबसे बड़ी सेल होती है, अब बैसाख का सीजन भी निकल गया, जिसमें व्यापारी अपनी एक साल की रोजी-रोटी निकालता था. सारा व्यापार अब चौपाट हो चुका है. अब व्यापारी पूरी तरह से चिंता में डूबा हुआ है.