भरतपुर. बयाना में एक ऐसी मस्जिद है जिसे तलाकनी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. मस्जिद बहुत जीर्ण शीर्ण है लेकिन इसका इतिहास बाबर से जुड़ा हुआ है. यहीं बाबर ने अपनी सेना के साथ शराब से तौबा कर ली थी. रिपोर्ट देखिये
उदयपुर के प्रतापी राजा महाराणा संग्राम सिंह यानी राणा सांगा ने मुगल सम्राट बाबर को बयाना के युद्ध में करारी शिकस्त दी. जिसके बाद बाबर की सेना का मनोबल टूट गया. लेकिन मुगल सम्राट बाबर को किसी भी हालात में राणा सांगा से अगला युद्ध जीतना था और इसके लिए उन्होंने अपनी सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए मुगल सम्राट बाबर ने बयाना कस्बा की एक मस्जिद में अपने सैनिकों के बीच शराब से 'तलाक' लेने का निश्चय किया. इस मस्जिद में मुगल सम्राट बाबर एवं उसकी सेना ने शराब के प्याले तोड़कर शराब नहीं पीने की कसम खाई. इतिहास के पन्नों में इस मस्जिद का नाम तलाकनी मस्जिद पड़ा.
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बयाना निवासी इतिहास के जानकार वकील कुरैशी बताते हैं कि राणा सांगा ने बयाना के युद्ध में मुगल सम्राट बाबर को करारी शिकस्त दी थी. ऐसे में बाबर ने बयाना के शाही कब्रिस्तान के पास स्थित इस मस्जिद में जाकर सभी सैनिकों में जोश भरने के लिए अपने सैनिकों को कसम दिलाई कि जब तक राणा सांगा पर विजय प्राप्त नहीं कर लेंगे तब तक कोई भी शराब का सेवन नहीं करेगा.
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शराब से 'तलाक' लेने की इस घटनाक्रम के बाद ही मस्जिद का नाम तलाकनी मस्जिद पड़ा. इसके बाद बाबर ने अपने सैनिकों के साथ मस्जिद में ही नमाज अदा की. मुगल सम्राट बाबर की यह चाल काम कर गई और उसकी पूरी सेना जोश से भर गई.
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बाबर ने इसलिए लिया संकल्प
बयाना के युद्ध में राणा सांगा की सेना का पराक्रम देखकर बाबर की सेना में भय व्याप्त हो गया था. बाबर को समझ आ गया था कि उसकी सेना का मनोबल टूट गया है और आगामी युद्ध इस टूटे हुए मनोबल के साथ नहीं जीता जा सकता. इसलिए बाबर ने बयाना की मस्जिद में शराब छोड़ने का संकल्प लिया. मस्जिद में बाबर ने शराब छोड़ने के साथ ही कुरान और बीवी बच्चों की कसम भी दिलाई. इससे सैनिकों का मनोबल बढ़ा और वह भावनात्मक रूप से मजबूत हो गए. इस घटना का जिक्र लेखक दामोदर लाल गर्ग ने अपनी पुस्तक 'भारत का प्राचीन नगर बयाना' में भी किया है.
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और राणा सांगा पर जीत हासिल की
इस घटना के बाद मुगल सम्राट बाबर और राणा सांगा के बीच मार्च 1527 में खानवा का युद्ध हुआ. जिसमें मुगल सम्राट बाबर की सेना ने तोपखाने के दम पर राणा सांगा को हराकर विजय हासिल की.
जीर्ण-शीर्ण मस्जिद
1527 के घटनाक्रम में बड़ा बदलाव लाने की चश्मदीद गवाह बनी तलाकनी मस्जिद आज जीर्णशीर्ण हालत में है. पुरातत्व विभाग के रिकॉर्ड में भी इस मस्जिद की पहचान तलाकनी नाम से ही है. आज भी इस मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने आते हैं.