भरतपुर. एक वक्त था जब हिंदुस्तान में मुगलों का डंका बज रहा था. सभी राजा-रजवाड़े मुगलों के सामने नतमस्तक हो चुके थे. मुगलों की भारी-भरकम सेना के आगे कोई राज्य टिक नहीं पा रहा था, तब पूरे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा राजा था, जो मुगलों के सामने बिना डरे, सिर उठाकर खड़ा था. हम बात कर रहे हैं भरतपुर के महाराजा सूरजमल की जिनके वीरता के किस्से आज भी भरतपुर के लोगों को प्रेरणा देते हैं.
भरतपुर के महाराजा सूरजमल एकमात्र ऐसे शासक थे जिन्होंने दिल्ली से महज 2 घंटे की दूरी और आगरा से सिर्फ 1 घंटे की दूरी पर भरतपुर साम्राज्य को कायम रखा. उनकी ओर से स्थापित भरतपुर के किले पर न कभी मुगल सल्तनत और न ही कभी अंग्रेज अपनी झंडी लहरा सके. यही वजह है कि अंग्रेजों ने भरतपुर के इस किले को 'आयरन फोर्ट' यानी लोहागढ़ (iron fort of Bharatpur) के नाम से नवाजा था.
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मुगल राजधानी से सिर्फ 65 किमी दूर अजेय किला
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि महाराजा सूरजमल ने 1733 ई. में महाराजा सूरजमल ने खेमकरण सोगरिया पर आक्रमण किया और फतेहगढ़ी को जीतकर 1743 ई. में बसंत पंचमी के दिन यहां लोहागढ़ दुर्ग की नींव रख भरतपुर की स्थापना की. रामवीर वर्मा ने बताया कि दिल्ली और आगरा मुगल सल्तनत की शक्ति का केंद्र हुआ करते थे. यह दोनों ही स्थान भरतपुर से करीब 2 घंटे की ही दूरी पर थे. बावजूद इसके महाराजा सूरजमल ने मुगल सल्तनत के शक्ति केंद्र दिल्ली और आगरा की नाक के नीचे ऐसा सुगठित राज्य स्थापित किया जिसमें कोई सेंध नहीं लगा सका.
80 युद्ध लड़े, सभी विजयी
भरतपुर की स्थापना करने वाले महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में मुगलों, अंग्रेज, मराठा, राजपूत और होलकरों से 80 युद्ध लड़े और सभी युद्धों में वह विजयी रहे. पूरे भारतवर्ष में महाराजा सूरजमल ही एकमात्र ऐसे शासक हुए जिन्होंने दिल्ली पर कई बार हमला किया और कई बार दिल्ली का भविष्य उनकी मुट्ठी में कैद रहा.
इसलिए कहलाता है आयरन फोर्ट
इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि लोहागढ़ को कभी भी कोई राजा जीत नहीं सका. मुगलों, मराठों ने कई बार हमला किया लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी. वर्ष 1805 में ब्रिटिश सेनापति लार्ड लेक की अगुवाई में अंग्रेजी सेना ने लोहागढ़ पर चार बार हमला किया लेकिन हर बार पराजित हो गए. उस समय ब्रिटिश सेनापति लार्ड लेक ने भरतपुर के किले का नाम आयरन फोर्ट यानी लोहागढ़ रखा था.
गौरतलब है कि 13 फरवरी को भरतपुर का स्थापना दिवस मनाया जाता है. इस बार भरतपुर स्थापना दिवस के अवसर पर 1 सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथि और स्थानीय व अन्य शहरों से लोग भी सम्मिलित होंगे.
मूवी में गलत चित्रण पर हुआ था विवाद
मराठा और अफगान आक्रांता के बीच हुए पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'पानीपत' में भरतपुर के महाराजा सूरजमल का गलत चित्रण किया गया था. इस पर दिसंबर 2019 में पूरे राजस्थान और देश के अलग-अलग राज्यों के जाट समाज ने विरोध-प्रदर्शन किया था. बड़े स्तर पर हुए विरोध के चलते डायरेक्टर को मूवी से विवादित सीन को हटाना पड़ा था. असल में मूवी में महाराजा सूरजमल को आगरा का किला मांगते हुए दिखाया गया था. साथ ही महाराजा सूरजमल को बृज भाषा के बजाय हरियाणवी भाषा में बात करते हुए दिखाया गया था जिसे लेकर विरोध शुरू हो गया था.