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कच्ची बस्ती के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से महरूम, ना स्मार्ट फोन है ना टीवी...कोरोना काल में पढ़ाई ठप

कोरोना के चलते देश के सभी स्कूल, कॉलेज पूरी तरह से बंद हैं. ऐसे में सरकार ने बच्चों को संक्रमण से बचाकर शिक्षा प्रदान करने के लिए घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा देने पर जोर दिया. आर्थिक रूप से संपन्न विद्यार्थी भले ही इससे जुड़ गए, लेकिन गरीब और कच्ची बस्तियों में रहने वाले बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. ईटीवी भारत की टीम कच्ची बस्ती पहुंची तो वहां चौंकाने वाले हालात सामने आए. देखें रिपोर्ट...

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कच्ची बस्ती के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से महरूम
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Published : Sep 28, 2020, 4:37 PM IST

भरतपुर. कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश और देश के सभी स्कूल, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय पूरी तरह से बंद रहे. विद्यार्थी पढ़ाई करने के लिए स्कूल, कॉलेज नहीं जा पाए. ऐसे में सरकार ने विद्यार्थियों को संक्रमण से बचाने के लिए और घर पर ही शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया. आर्थिक रूप से समृद्ध वर्ग ने अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा से भले ही जोड़ दिया, लेकिन आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने वाले और कच्ची बस्तियों में रहने वाले विद्यार्थियों को कोरोना संक्रमण काल में ऑनलाइन शिक्षा का कोई लाभ नहीं मिल पाया.

कच्ची बस्ती के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से महरूम

महंगे स्मार्ट फोन और टीवी खरीदना मुश्किल

शहर की रनजीत नगर स्थित कच्ची बस्ती के पूर्व पार्षद जगदीश ने बताया कि बस्ती में करीब 500 बच्चे स्कूल और कॉलेज शिक्षा से जुड़े हुए हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सभी स्कूल, कॉलेज बंद हो गए और सभी बच्चे बीते कई माह से बस्ती में ही रह रहे हैं. पूरी बस्ती में रहने वाले लोग छोटी मोटी मजदूरी करके या फिर अन्य काम करके गुजारा करते हैं.

उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले लोग इतने सक्षम नहीं हैं कि वो अपने बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ने के लिए महंगे स्मार्टफोन और टीवी खरीद सकें. ऐसे में कोरोना संक्रमण का यह दौर बस्ती के सभी बच्चों के लिए शिक्षा की दृष्टि से बहुत बुरा गुजरा है. सभी बच्चे शिक्षा से पूरी तरह से कट गए हैं.

पढ़ें- Special : जयपुर का कपड़ा व्यवसाय 6 महीने से ठप...कोरोना की मार से डांवाडोल हुई आर्थिक स्थिति

बस्ती निवासी गीता ने बताया कि उसका बेटा तीसरी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन कोरोना के चलते अब वो स्कूल नहीं जा पा रहा. गीता ने बताया कि वह और उसका पति मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाते हैं. ऐसे में उनके पास इतना पैसा नहीं है कि बच्चों को घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा दिलाने के लिए महंगा स्मार्टफोन या फिर टीवी खरीद सकें.

बस्ती के विद्यार्थी दिलीप ने बताया कि अभी उसने हाल ही में दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन अब 11वीं कक्षा की पढ़ाई उसकी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. उसने बताया कि स्कूल बंद होने की वजह से ना तो वह स्कूल जा पा रहा है और आर्थिक तंगी के चलते घर पर ऑनलाइन एजुकेशन भी नहीं ले पा रहा. ऐसे में उसकी पढ़ाई रुक गयी है.

भीख मांगने निकल जाते हैं बच्चे

बस्ती वालों ने बताया कि स्कूल नहीं जाने की वजह से बच्चे दिन भर घर पर पड़े रहते हैं. ऐसे में नजर बचाकर बच्चे शहर में भीख मांगने निकल जाते हैं और वहां से बाल कल्याण समिति वाले इन्हें किशोर गृह ले जाते हैं. पूर्व पार्षद जगदीश ने बताया कि फिर वहां से कागजी कार्रवाई कर वापस बच्चों को छुड़ाकर लाना पड़ता है. बच्चों की शिक्षा बंद होने से बस्ती के लोग चिंतित हैं.

पेट भरना मुश्किल हुआ, शिक्षा कैसे दिलाएं

बस्ती में कई परिवार तो ऐसे हैं, जो दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं. बस्ती निवासी महिला बाली ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं और वह दिल्ली से सामान लाकर शहर की गली-गली जाकर बेचती है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में ना तो वह सामान ला पा रही है और ना ही बेच पा रही है. हालात ऐसे हैं कि किसी दिन तो खाना मिल जाता है और किसी दिन भूखे ही सो जाते हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से रुक गयी है.

पढ़ें- स्पेशल: लॉकडाउन और कोरोना ने छिना रोजगार, तो खिलौनों से मिला काम

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल और कॉलेज बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है. आर्थिक तंगी के चलते इस वर्ग के विद्यार्थी घर पर रहकर ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से भी ऐसे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की अलग से कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

भरतपुर. कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश और देश के सभी स्कूल, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय पूरी तरह से बंद रहे. विद्यार्थी पढ़ाई करने के लिए स्कूल, कॉलेज नहीं जा पाए. ऐसे में सरकार ने विद्यार्थियों को संक्रमण से बचाने के लिए और घर पर ही शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया. आर्थिक रूप से समृद्ध वर्ग ने अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा से भले ही जोड़ दिया, लेकिन आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने वाले और कच्ची बस्तियों में रहने वाले विद्यार्थियों को कोरोना संक्रमण काल में ऑनलाइन शिक्षा का कोई लाभ नहीं मिल पाया.

कच्ची बस्ती के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से महरूम

महंगे स्मार्ट फोन और टीवी खरीदना मुश्किल

शहर की रनजीत नगर स्थित कच्ची बस्ती के पूर्व पार्षद जगदीश ने बताया कि बस्ती में करीब 500 बच्चे स्कूल और कॉलेज शिक्षा से जुड़े हुए हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सभी स्कूल, कॉलेज बंद हो गए और सभी बच्चे बीते कई माह से बस्ती में ही रह रहे हैं. पूरी बस्ती में रहने वाले लोग छोटी मोटी मजदूरी करके या फिर अन्य काम करके गुजारा करते हैं.

उन्होंने बताया कि यहां रहने वाले लोग इतने सक्षम नहीं हैं कि वो अपने बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ने के लिए महंगे स्मार्टफोन और टीवी खरीद सकें. ऐसे में कोरोना संक्रमण का यह दौर बस्ती के सभी बच्चों के लिए शिक्षा की दृष्टि से बहुत बुरा गुजरा है. सभी बच्चे शिक्षा से पूरी तरह से कट गए हैं.

पढ़ें- Special : जयपुर का कपड़ा व्यवसाय 6 महीने से ठप...कोरोना की मार से डांवाडोल हुई आर्थिक स्थिति

बस्ती निवासी गीता ने बताया कि उसका बेटा तीसरी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन कोरोना के चलते अब वो स्कूल नहीं जा पा रहा. गीता ने बताया कि वह और उसका पति मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाते हैं. ऐसे में उनके पास इतना पैसा नहीं है कि बच्चों को घर पर ही ऑनलाइन शिक्षा दिलाने के लिए महंगा स्मार्टफोन या फिर टीवी खरीद सकें.

बस्ती के विद्यार्थी दिलीप ने बताया कि अभी उसने हाल ही में दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन अब 11वीं कक्षा की पढ़ाई उसकी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. उसने बताया कि स्कूल बंद होने की वजह से ना तो वह स्कूल जा पा रहा है और आर्थिक तंगी के चलते घर पर ऑनलाइन एजुकेशन भी नहीं ले पा रहा. ऐसे में उसकी पढ़ाई रुक गयी है.

भीख मांगने निकल जाते हैं बच्चे

बस्ती वालों ने बताया कि स्कूल नहीं जाने की वजह से बच्चे दिन भर घर पर पड़े रहते हैं. ऐसे में नजर बचाकर बच्चे शहर में भीख मांगने निकल जाते हैं और वहां से बाल कल्याण समिति वाले इन्हें किशोर गृह ले जाते हैं. पूर्व पार्षद जगदीश ने बताया कि फिर वहां से कागजी कार्रवाई कर वापस बच्चों को छुड़ाकर लाना पड़ता है. बच्चों की शिक्षा बंद होने से बस्ती के लोग चिंतित हैं.

पेट भरना मुश्किल हुआ, शिक्षा कैसे दिलाएं

बस्ती में कई परिवार तो ऐसे हैं, जो दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं. बस्ती निवासी महिला बाली ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं और वह दिल्ली से सामान लाकर शहर की गली-गली जाकर बेचती है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में ना तो वह सामान ला पा रही है और ना ही बेच पा रही है. हालात ऐसे हैं कि किसी दिन तो खाना मिल जाता है और किसी दिन भूखे ही सो जाते हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से रुक गयी है.

पढ़ें- स्पेशल: लॉकडाउन और कोरोना ने छिना रोजगार, तो खिलौनों से मिला काम

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल और कॉलेज बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभाव गरीब वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है. आर्थिक तंगी के चलते इस वर्ग के विद्यार्थी घर पर रहकर ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से भी ऐसे वर्ग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की अलग से कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

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