भरतपुर. बीते दिनों दो महिलाओं ने भरतपुर के कुछ पुलिसकर्मियों पर छेड़खानी के आरोप लगाए थे. उसके बाद पुलिस के आला अधिकारियों ने मामले की जांच करवाई. जांच में दोनों मामले झूठे निकले और सभी पुलिसकर्मियों को जांच के आधार पर बहाल कर दिया गया. इसके अलावा जिन पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाए गए थे, उनको झूठे मामले दर्जकर फंसाने वाली महिलाओं के खिलाफ मामले दर्ज करवाने के लिए पुलिस को स्वतंत्र किया गया है.
बता दें, कामां थाना इलाके की एक महिला ने कामां थानाधिकारी पर आरोप लगाया था, वह जमीन के मामले को लेकर जब थाने गई थी, तब थानाधिकारी ने अपने क्वाटर में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. इसकी शिकायत महिला ने जिला पुलिस अधीक्षक से की. अधीक्षक ने इस मामले की जांच एडिशनल एसपी, आईपीएस वंदिता राणा को सौंपी. जांच के दौरान जब महिला के सामने कामां थानाधिकारी को ले जाया गया तो वह कामां थानाधिकारी को पहचान भी नहीं पाई. इसलिए यह मामला पूरी तरह से झूठा निकला.
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दूसरा मामला नदबई थाने का है, यहां एक महिला ने चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक परिवाद एएसपी वंदिता राणा को दिया था. महिला ने तीन-चार पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया था कि नदबई थाने पर तैनात तीन पुलिसकर्मियों ने उसके घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया. लेकिन जब महिला ने घर का दरवाजा नहीं खोला तो पुलिस वालों ने घर के गेट को तोड़ना शुरू कर दिया.
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ऐसे में जब महिला खिड़की से पुलिस वालों का वीडियो बना ही रही थी कि पुलिस वालों ने उसके हाथ खिड़की से खींच लिया और उसके कपड़े फाड़ दिए. साथ ही महिला के साथ अश्लील हरकत की. इस पर एएसपी वंदिता राणा ने इसकी जांच सीओ ग्रामीण को सौंपी. सीओ ग्रामीण ने भी जांचकर पुलिस कर्मियों को निर्दोष बताते हुए मामला झूठा बताया. इस पर मंगलवार को एसपी देवेंद्र कुमार ने कहा, अब दोनों महिलाओं के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराने की कार्रवाई की जाएगी, जिससे आगे कोई किसी पर झूठा आरोप न लगा सके.