भरतपुर. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. इस बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने का सिलसिला भी चल रहा है. केंद्र सरकार की ओर से चलाए गए ऑपरेशन गंगा के जरिए यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों को वहां से निकालकर भारत लाया जा रहा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को भी भरतपुर समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बच्चे वापस लौटे.
यूक्रेन के भयावह हालात का सामना कर कई विद्यार्थी भरतपुर लौटे. कुछ विद्यार्थियों ने वहां की विषम परिस्थितियों के बारे में बताया कि यूक्रेन के बॉर्डर वाले शहरों में बड़ी संख्या में विद्यार्थी फंसे हुए थे. वहां पर खुद को सुरक्षित करने के लिए विद्यार्थी टनल्स और मेट्रो स्टेशन में छुपे. विद्यार्थी गिरती बर्फ के बीच कई किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर तक पहुंचे. तब जाकर भारत और राजस्थान सरकार की मदद से सुरक्षित घरों तक पहुंचे.
सता रही भविष्य की चिंताः एमबीबीएस की अधूरी पढ़ाई छोड़कर देश वापस लौटे विद्यार्थियों को अपने करियर और भविष्य की चिंता सताने लगी है. राजेंद्र नगर निवासी शुभम गौतम ने बताया कि वह यूक्रेन की बुकोविनिया स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस 4th ईयर की पढ़ाई कर रहा है. शुभम ने बताया कि उनका शहर काफी हद तक सुरक्षित था. लेकिन यूक्रेन के बॉर्डर वाले शहरों में हालात काफी संवेदनशील थे. कुछ विद्यार्थी ट्रेन से बॉर्डर वाले शहरों में पहुंचे और वहां पर फंस गए. रूसी सेना के हमले से खुद को सुरक्षित करने के लिए विद्यार्थियों ने टनल्स और मेट्रो स्टेशन में शरण ली.
शुभम और सूर्यवीर सिंह ने बताया कि विद्यार्थी कई-कई किलोमीटर गिरती हुई बर्फ में पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं. दूसरे बॉर्डर बंद कर दिए गए हैं. इसलिए रोमानिया बॉर्डर पर भारतीय के साथ अन्य देशों के विद्यार्थियों की काफी भीड़ हो गई है. इसकी वजह से वहां पर व्यवस्था मैनेज करने में परेशानी हो रही है.
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कम पड़ता है खर्चः शुभम गौतम ने बताया कि अधिकतर विद्यार्थी यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए इसलिए जाते हैं क्योंकि वहां पर फीस और सारा खर्चा भारत की डोनेशन सीट की तुलना में काफी कम पड़ता है. अभी यूक्रेन के हालात को देखकर भारत सरकार को तय करना है कि वहां से लौटे विद्यार्थी का भविष्य कैसे सुरक्षित किया जा सकता है?शुभम गौतम ने बताया कि चर्चा यह भी है कि हंगरी और पोलैंड ने यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए ट्रांसफर लेकर उनकी यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की आगे की पढ़ाई करने का ऑफर दिया है. इसलिए यूक्रेन से एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में छूटने वाले विद्यार्थियों की बाकी पढ़ाई को लेकर भारत सरकार को ही कोई रास्ता निकालना होगा.
कलेक्टर ने किया स्वागतः अब तक यूक्रेन से वापस लौटे भरतपुर जिले के विद्यार्थियों को शुक्रवार को जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने अपने ऑफिस बुलाया. यहां पर सभी विद्यार्थियों का माला पहनाकर स्वागत किया गया और कलेक्टर ने सभी के साथ बैठकर वह के हालातों पर चर्चा की.
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अब तक ये विद्यार्थी लौटेः यूक्रेन से भरतपुर आए छात्र- छात्राओं में जवाहर नगर निवासी अतुल कुमार, कुम्हा निवासी आकाश, राजेंद्र नगर निवासी कपिल शर्मा, जघीना निवासी शिवानी सिंह, नगला सुजान परुआ निवासी मोहित सिंह ,सूर्य सिटी निवासी चिराग भारद्वाज की वतन वापसी हुई है. इसी प्रकार मुरवारा निवासी सूर्यवीर सिंह, मालीपुरा निवासी मुकेश कुमार सैनी, ईदगाह कालोनी निवासी अर्पित लवानिया, अनिरुद्ध नगर निवासी प्रमोद कुमार, नमक कटरा निवासी अनिरुद्ध शर्मा, राजेंद्र नगर निवासी शुभम गौतम ,एसटीसी हाउसिंग बोर्ड निवासी यादवेंद्र सिंह,अनाह गेट निवासी उपेंद्र शर्मा, अटलबन्द मंडी निवासी प्रिंस, अनिरुद्ध नगर निवासी मेडिकल छात्र सक्षम चाहर की वापसी हुई है.
बेटे को मां ने लगाया गलेः आठ दिन के संकट के बाद यूक्रेन से मेडिकल छात्र नरेन्द्र व गगनदीप जयपुर जिले के रेनवाल पहुंच गए. बेटों को देखते ही मां रामेश्वरी देवी ने बांहो में भर लिया. बेटे भी खुशी के आंसू नहीं रोक सके. इस दौरान बड़ी संख्या में परिवार, रिश्तेदार व अन्य लोग मौजूद थे. पिता जगदीश ने कहा कि बच्चों को सकुशल घर लोटने पर बेहद खुशी हो रही है. इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. नरेन्द्र व गगनदीप यूक्रेन की राजधानी कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे.
रूस के हमले के बाद वो वहीं हॉस्टल में फंस गए थे. भारतीय दूतावास के सहयोग से वो पोलेंड तक पहुंचे. गुरूवार रात को पौलेंड से भारतीय विमान से रवाना हुए. विमान पहले टर्की पहंचा वहां तीन घंटे रूकने के बाद सुबह 7बजे दिल्ली पहंचा. दिल्ली एयरपोर्ट पर छात्रों के स्वागत के लिए प्रदेश सरकार के मंत्री सुभाष गर्ग, टीकाराम व अन्य लोग मौजूद थे.