भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान के एक रिक्शा चालक की पर्यटक को घुमाने के बाद खून की उल्टियां हुई और वह आधा घंटे तक तड़पता रहा, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. इस दौरान न तो घना प्रशासन ने रिक्शा चालक को अस्पताल पहुंचाया और न ही कोई मदद की. ऐसे में रिक्शा चालक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
बाद में परिजन सूचना पाकर घना पहुंचे और रिक्शा चालक को अस्पताल लेकर गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. घना प्रशासन के प्रति नाराजगी जताते हुए और मुआवजे की मांग करते हुए शुक्रवार सुबह परिजनों ने घना के गेट पर ताला लगाकर और शव रखकर प्रदर्शन किया.
मृतक रिक्शा चालक के घसोला गांव निवासी बेटे सुनील ने बताया कि उसके पिता हरदेव बीते करीब 40 वर्ष से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रिक्शा चलाते थे. गुरुवार शाम को वो एक पर्यटक को घुमा कर वापस लौटा और पानी पीने के तुरंत बाद उन्हें खून की उल्टियां हो गई. सुनील का आरोप है कि उसके पिता करीब आधे घंटे तक घना के परिसर में तड़पते रहे, लेकिन न तो घना प्रशासन ने उनकी कोई मदद की और न ही अस्पताल पहुंचाया. बाद में अन्य रिक्शा चालकों ने फोन कर सूचना दी, जिसके बाद सुनील मौके पर पहुंचा और अपने पिता को आरबीएम जिला अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह मृतक का शव केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के दरवाजे पर रखकर और घना के मुख्य गेट का ताला लगा कर मुआवजे की मांग करते हुए करीब दो घंटे तक प्रदर्शन किया. बाद में अटलबंध थाना और सेवर थाना पुलिस मौके पर पहुंची. साथ ही वन विभाग के एसीएफ बृजपाल सिंह मौके पर पहुंचे. इस दौरान बृजपाल सिंह ने परिजनों को आश्वासन दिया कि नियमानुसार जो भी मुआवजा बनेगा वो रिक्शा चालक के परिजनों को जल्द दिलवाया जाएगा. इसके बाद परिजनों और ग्रामीणों ने घना के गेट का ताला खोला और शव को अंतिम संस्कार के लिए ले कर गए.