भरतपुर. महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस के अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत भरतपुर (Rakesh Tikait In Bharatpur) पहुंचे. उन्होंने यहां पर महाराजा सूरजमल को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने महाराजा सूरजमल को अपना प्रेरणास्रोत बताया.
सरकार को मानना पड़ा
चुनावों को लेकर पूछे गए एक सवाल में राकेश टिकैत (Rakesh Tikait In Bharatpur Over Farm Laws) ने कहा कि किसान चुनावों से दूर ही अच्छा है. किसान किंग मेकर है (Farmer Is A King Maker) और उसे चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानून बनाया, उसको वापस लिया. कृषि कानून को लेकर किसानों और सरकार के बीच समझौता हुआ. उन्होंने कहा किसानों की जीत हुई. टिकैत ने भरतपुर के महाराजा सूरजमल को अपना प्रेरणास्रोत बताया. साथ ही अपने खालिस अंदाज में कहा कि अब समय युद्ध भाले और तलवारों से नहीं लड़ा जाता बल्कि सत्याग्रह से अपनी बात पहुंचाई जाती है.
किसान खेतों और सड़कों में ही ठीक
किसान नेता राकेश टिकैत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि किसान के लिए सड़क का चुनाव भी ठीक है. उसे और कोई चुनाव लड़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बिना चुनाव लड़े ही उसके सारे काम हो जाते हैं. टिकैत ने कहा कि किसान किंग मेकर है. उसे न चुनाव लड़ने की जरूरत, न हार जीत का सवाल है. साल भर तक किसान आंदोलन की अलख जगाए रखने वाले किसानों के इस अहम नेता ने आंदोलन को देश के लिए अहम बताया. कहा कि देश में आंदोलन और आंदोलनकारी मजबूत होने चाहिए.अगर यह दोनों मजबूत है तो फिर किसी तरह की कोई समस्या नहीं हो सकती.
राजा सूरजमल कौन?
राजपूत राजाओं के बीच अकेले जाट महाराजा थे राजा सूरजमल. स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनाने का सपना देखने वाला ये राजा कभी मुगलों के सामने नहीं झुका. मराठों के साथ मिलकर इन्होंने मुगलों को धूल चटाई थी. सूरजमल ने ही भरतपुर में लोहागढ़ किला बनवाया जिसे 13 बार आक्रमण करके भी अंग्रेज हिला नहीं सके. मिट्टी के बने इस किले की दीवारें इतनी मोटी बनाई गई थीं कि तोप के मोटे-मोटे गोले भी इन्हें कभी पार नहीं कर पाए. यह देश का एकमात्र किला है, जो हमेशा अभेद्य रहा.
महाराजा सूरजमल 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुद्दौला के साथ हिंडन नदी के तट पर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. तभी से उनकी याद में हर साल भरतपुर में उनकी स्मृति में बलिदान दिवस मनाया जाता है.