भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान से सटी जमीन पर शहर के भू-माफिया नियमों को ताक पर रखकर गुपचुप तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं. सूचना मिलने के बाद अब घना प्रशासन हरकत में आया है. घना प्रशासन नियमविरुद्ध विकसित की जा रही कॉलोनी के संबंध में शिकायत जिला प्रशासन से करेगा.
असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जयपुर-आगरा हाईवे के पास स्थित इस जमीन पर पहले नगर निगम का डंपिंग यार्ड संचालित हो रहा था. डंपिंग यार्ड को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर बंद करा दिया गया था. नगर निगम का डंपिंग यार्ड बंद होने के बाद भू-माफिया सक्रिय हो गए और पूरी जमीन पर मिट्टी की परत बिछाकर कच्ची सड़क का कार्य शुरू करा दिया.
सस्ती कीमत में अच्छी लोकेशन का झांसा
भू माफिया नियम विरुद्ध कॉलोनी विकसित कर गुपचुप तरीके से यहां पर प्लॉटिंग करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए लोगों को सस्ती कीमत पर अच्छी लोकेशन का झांसा दे रहे हैं. एक कॉलेज व्याख्याता रूप सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें भू-माफियाओं ने 5 हजार रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से भूखंड देने की बात कही है.
500 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता निर्माण
उद्यान निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि नियमानुसार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के चारों तरफ 500 मीटर की दूरी तक न तो कोई निर्माण कार्य हो सकता है और न ही कोई व्यावसायिक गतिविधि. नियमानुसार घना के 500 मीटर की दूरी तक सिर्फ खेतीबाड़ी से संबंधित कार्य करने की ही छूट है.
प्रशासन से करेंगे शिकायत
मोहित गुप्ता ने बताया कि घना से सटी हुई जमीन पर कॉलोनी विकसित करने की सूचना हाल ही में मिली है. इसकी जांच कराई जा रही है. इस संबंध में जिला प्रशासन से लिखित शिकायत करके नियमानुसार कार्रवाई करेंगे. घना से सटी हुई जमीन पर नियमानुसार आवासीय कॉलोनी विकसित नहीं की जा सकती.