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विश्व विरासत पर अतिक्रमण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जमीन पर भू-माफियाओं की नजर..गुपचुप कॉलोनी काटने की तैयारी

विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान (Keoladeo National Park) से सटी जमीन पर इन दिनों शहर के भू-माफियाओं की नजर है. भू-माफिया (Land Mafia) इस बेशकीमती जमीन पर नियमों को ताक पर रखकर गुपचुप तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अतिक्रमण मामला
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अतिक्रमण मामला
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Published : Sep 22, 2021, 7:39 PM IST

भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान से सटी जमीन पर शहर के भू-माफिया नियमों को ताक पर रखकर गुपचुप तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं. सूचना मिलने के बाद अब घना प्रशासन हरकत में आया है. घना प्रशासन नियमविरुद्ध विकसित की जा रही कॉलोनी के संबंध में शिकायत जिला प्रशासन से करेगा.

असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जयपुर-आगरा हाईवे के पास स्थित इस जमीन पर पहले नगर निगम का डंपिंग यार्ड संचालित हो रहा था. डंपिंग यार्ड को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर बंद करा दिया गया था. नगर निगम का डंपिंग यार्ड बंद होने के बाद भू-माफिया सक्रिय हो गए और पूरी जमीन पर मिट्टी की परत बिछाकर कच्ची सड़क का कार्य शुरू करा दिया.

उद्यान की सीमा के 500 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता अतिक्रमण

सस्ती कीमत में अच्छी लोकेशन का झांसा

भू माफिया नियम विरुद्ध कॉलोनी विकसित कर गुपचुप तरीके से यहां पर प्लॉटिंग करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए लोगों को सस्ती कीमत पर अच्छी लोकेशन का झांसा दे रहे हैं. एक कॉलेज व्याख्याता रूप सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें भू-माफियाओं ने 5 हजार रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से भूखंड देने की बात कही है.

पढ़ें- अब बाघों का स्ट्रेस दूर करेंगे वन अधिकारी, विभाग ने लिए डीएनए सैंपल...रिपोर्ट आने के बाद करेंगे उपाय

500 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता निर्माण

उद्यान निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि नियमानुसार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के चारों तरफ 500 मीटर की दूरी तक न तो कोई निर्माण कार्य हो सकता है और न ही कोई व्यावसायिक गतिविधि. नियमानुसार घना के 500 मीटर की दूरी तक सिर्फ खेतीबाड़ी से संबंधित कार्य करने की ही छूट है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अतिक्रमण मामला
उद्यान से सटी जमीन की प्लॉटिंग की तैयारी

प्रशासन से करेंगे शिकायत

मोहित गुप्ता ने बताया कि घना से सटी हुई जमीन पर कॉलोनी विकसित करने की सूचना हाल ही में मिली है. इसकी जांच कराई जा रही है. इस संबंध में जिला प्रशासन से लिखित शिकायत करके नियमानुसार कार्रवाई करेंगे. घना से सटी हुई जमीन पर नियमानुसार आवासीय कॉलोनी विकसित नहीं की जा सकती.

भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान से सटी जमीन पर शहर के भू-माफिया नियमों को ताक पर रखकर गुपचुप तरीके से आवासीय कॉलोनी विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं. सूचना मिलने के बाद अब घना प्रशासन हरकत में आया है. घना प्रशासन नियमविरुद्ध विकसित की जा रही कॉलोनी के संबंध में शिकायत जिला प्रशासन से करेगा.

असल में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सटी जयपुर-आगरा हाईवे के पास स्थित इस जमीन पर पहले नगर निगम का डंपिंग यार्ड संचालित हो रहा था. डंपिंग यार्ड को केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर बंद करा दिया गया था. नगर निगम का डंपिंग यार्ड बंद होने के बाद भू-माफिया सक्रिय हो गए और पूरी जमीन पर मिट्टी की परत बिछाकर कच्ची सड़क का कार्य शुरू करा दिया.

उद्यान की सीमा के 500 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता अतिक्रमण

सस्ती कीमत में अच्छी लोकेशन का झांसा

भू माफिया नियम विरुद्ध कॉलोनी विकसित कर गुपचुप तरीके से यहां पर प्लॉटिंग करने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए लोगों को सस्ती कीमत पर अच्छी लोकेशन का झांसा दे रहे हैं. एक कॉलेज व्याख्याता रूप सिंह (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें भू-माफियाओं ने 5 हजार रुपए प्रति वर्ग गज के हिसाब से भूखंड देने की बात कही है.

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500 मीटर के दायरे में नहीं हो सकता निर्माण

उद्यान निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि नियमानुसार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के चारों तरफ 500 मीटर की दूरी तक न तो कोई निर्माण कार्य हो सकता है और न ही कोई व्यावसायिक गतिविधि. नियमानुसार घना के 500 मीटर की दूरी तक सिर्फ खेतीबाड़ी से संबंधित कार्य करने की ही छूट है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अतिक्रमण मामला
उद्यान से सटी जमीन की प्लॉटिंग की तैयारी

प्रशासन से करेंगे शिकायत

मोहित गुप्ता ने बताया कि घना से सटी हुई जमीन पर कॉलोनी विकसित करने की सूचना हाल ही में मिली है. इसकी जांच कराई जा रही है. इस संबंध में जिला प्रशासन से लिखित शिकायत करके नियमानुसार कार्रवाई करेंगे. घना से सटी हुई जमीन पर नियमानुसार आवासीय कॉलोनी विकसित नहीं की जा सकती.

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