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जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी मछला देवी भीख मांगने को हुई मजबूर, सरकारी योजनाएं भी साबित हुई छलावा

भरतपुर के सेवर थाना इलाके में मछला नाम की महिला भीख मांगने पर मजबूर है. महिला का पति नेत्रहीन है. बेटा मानसिक रूप से बीमार है. वहीं पिछले 2 महीने से वृद्धावस्था पेंशन भी अकाउंट में नहीं आई है. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया, तो परिवार का पेट पालने के लिए मछला को भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा.

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मछला भीख मांगने को मजबूर
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Published : Jun 7, 2020, 7:19 PM IST

भरतपुर. कोरोना वायरस ने जितना असर भारत की सेहत पर डाला है. उससे कहीं अधिक प्रभाव कोरोना से बचने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन ने गरीब और मजदूर वर्ग पर डाला है. लॉकडाउन के बाद सभी छोटे बड़े काम धंधे चौपट हो गए. गरीब और दिहाड़ी मजदूर वर्ग जो पूरी तरह से इन उद्योग धंधों पर निर्भर था. वो सड़क पर आ गया है. एक ऐसा ही मामला भरतपुर से सामने आया है. जो इंसानी संवेदनाओं को अंदर तक झकझोर कर रख देगा.

मछला को 2 महीने से पेंशन भी नहीं मिली

भरतपुर के सेवर थाना इलाके में एक महिला भीख मांग कर अपने परिवार का पेट पाल रही है. जिसका नाम मछला देवी है. जिसका पति देख नहीं सकता. बेटा मानसिक रूप से बीमार है. जिससे पूरे परिवार की जिम्मेदारी मछला देवी ही संभाल रही हैं. लेकिन जैसे ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा. दिहाड़ी मजदूरी करके अपने बीमार बेटे और नेत्रहीन पति का पेट भरने वाली मछला देवी को काम मिलना बंद हो गया. जिसके बाद मछला देवी को परिवार का पेट पालने के लिए भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा. मछला को भीख में जो कुछ मिलता है उसी से उनका परिवार चलता है.

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मछला भीख मांगने को मजबूर

वृद्धावस्था पेंशन का सहारा भी छीना

मछला देवी को वृद्धावस्था पेंशन के तहत हर महीने 500 रुपए मिलते थे. जिससे घर चलाने में आंशिक मदद मिल जाती थी. लेकिन पिछले 2 महीने से पेंशन के पैसे भी नहीं आ रहे हैं. वहीं उसके पति की वृद्धावस्था पेंशन शुरू से ही नहीं आ रही है. मछला अपने पति की तबीयत खराब होने पर जब उसे सेवर अस्पताल में भर्ती कराने गई तो अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया.

पढ़ें: डूंगरपुर: कुंए की खुदाई के दौरान मजदूरों पर गिरा मिट्टी का ढेर...एक की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

डॉक्टरों ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए मछला ऐसा जवाब दिया. मछला ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है. कुछ पुलिस वालों ने जरूर उनकी मदद की है. लेकिन प्रशासन का कोई भी आदमी उनकी खैर खबर लेने नहीं आया.

क्या कहना है प्रशासन का

एडीएम राजेश गोयल से ईटीवी भारत ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर संवेदनशील है. जल्द ही मछला देवी के परिवार को सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी और उनके घर राशन की किट भी पहुंचाई जायेगी. इसके अलावा मछला देवी और उनके पति की पेंशन की भी व्यवस्था करवाई जाएगी.

भरतपुर. कोरोना वायरस ने जितना असर भारत की सेहत पर डाला है. उससे कहीं अधिक प्रभाव कोरोना से बचने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन ने गरीब और मजदूर वर्ग पर डाला है. लॉकडाउन के बाद सभी छोटे बड़े काम धंधे चौपट हो गए. गरीब और दिहाड़ी मजदूर वर्ग जो पूरी तरह से इन उद्योग धंधों पर निर्भर था. वो सड़क पर आ गया है. एक ऐसा ही मामला भरतपुर से सामने आया है. जो इंसानी संवेदनाओं को अंदर तक झकझोर कर रख देगा.

मछला को 2 महीने से पेंशन भी नहीं मिली

भरतपुर के सेवर थाना इलाके में एक महिला भीख मांग कर अपने परिवार का पेट पाल रही है. जिसका नाम मछला देवी है. जिसका पति देख नहीं सकता. बेटा मानसिक रूप से बीमार है. जिससे पूरे परिवार की जिम्मेदारी मछला देवी ही संभाल रही हैं. लेकिन जैसे ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा. दिहाड़ी मजदूरी करके अपने बीमार बेटे और नेत्रहीन पति का पेट भरने वाली मछला देवी को काम मिलना बंद हो गया. जिसके बाद मछला देवी को परिवार का पेट पालने के लिए भीख मांगने पर मजबूर होना पड़ा. मछला को भीख में जो कुछ मिलता है उसी से उनका परिवार चलता है.

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मछला भीख मांगने को मजबूर

वृद्धावस्था पेंशन का सहारा भी छीना

मछला देवी को वृद्धावस्था पेंशन के तहत हर महीने 500 रुपए मिलते थे. जिससे घर चलाने में आंशिक मदद मिल जाती थी. लेकिन पिछले 2 महीने से पेंशन के पैसे भी नहीं आ रहे हैं. वहीं उसके पति की वृद्धावस्था पेंशन शुरू से ही नहीं आ रही है. मछला अपने पति की तबीयत खराब होने पर जब उसे सेवर अस्पताल में भर्ती कराने गई तो अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया.

पढ़ें: डूंगरपुर: कुंए की खुदाई के दौरान मजदूरों पर गिरा मिट्टी का ढेर...एक की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

डॉक्टरों ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए मछला ऐसा जवाब दिया. मछला ने बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है. कुछ पुलिस वालों ने जरूर उनकी मदद की है. लेकिन प्रशासन का कोई भी आदमी उनकी खैर खबर लेने नहीं आया.

क्या कहना है प्रशासन का

एडीएम राजेश गोयल से ईटीवी भारत ने जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रशासन ऐसे मामलों को लेकर संवेदनशील है. जल्द ही मछला देवी के परिवार को सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी और उनके घर राशन की किट भी पहुंचाई जायेगी. इसके अलावा मछला देवी और उनके पति की पेंशन की भी व्यवस्था करवाई जाएगी.

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