भरतपुर. पूरे प्रदेश में लंपी वायरस अब तक हजारों गायों को अपना शिकार बना चुका है. हर दिन सैकड़ों गाय मौत के मुंह में समा रही हैं. भरतपुर में भी अब तक लंपी बीमारी के कारण 169 गायों की मौत हो चुकी है. वहीं, पशुपालन विभाग की टीम के प्रयासों से अब तक 963 गायों को स्वस्थ भी किया जा चुका है. विभागीय अधिकारियों और चिकित्सकों की मानें तो एलोपैथी दवाई के साथ ही होम्योपैथी की एक दवाई लंपी के उपचार में रामबाण साबित हो रही है. यही वजह है कि भरतपुर में यह दवाई आउट ऑफ स्टॉक हो गई है.
95 रुपये की दवाई से 200 गायों का उपचार : सेवर ब्लॉक प्रभारी डॉ. शैलेश गर्ग ने बताया कि यूं तो गायों को लंपी वायरस के प्रकोप से बचाने के लिए एलोपैथी उपचार दिया जा रहा है. साथ ही सरकारी गाइडलाइन के अनुसार होम्योपैथी की दवाई वरोलीनुम (Variolinum) से भी संक्रमित गायों का उपचार किया जा रहा है. यह दवाई लंपी वायरस के उपचार में बहुत ही कारगर साबित हो रही है. डॉ. गर्ग ने बताया कि 95 रुपये की इस दवाई से 200 से 250 संक्रमित गायों का उपचार किया जा रहा है.
सिर्फ एक डोज से मिल रहा फायदा : डॉ. शैलेश गर्ग ने बताया कि वरोलीनुम दवाई का उपयोग (Lumpy Effect on Bharatpur) इंसानों में चेचक के उपचार के लिए किया जाता है, लेकिन अब इस दवाई का उपयोग लंपी ग्रस्त गायों के उपचार में भी किया जा रहा है. इस दवाई का उपयोग रोटी के साथ किया जा रहा है. एक रोटी पर दवाई की 10 बूंद टपकाकर बीमार गाय को दी जाती है. खास बात यह है कि लंपी ग्रस्त गाय को इसकी सिर्फ एक डोज ही दी जाती है. उसके बाद गाय के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होने लगता है.
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देशी नुस्खा से भी मिल रहा आराम : गायों के उपचार के लिए आयुर्वेद विभाग ने भी औषधियों का एक नुस्खा (Deaths of Cows Due to Lumpy Disease in Rajasthan) जारी किया है, जिसमें तुलसी के पत्ते (एक मुट्ठी), दालचीनी (5 ग्राम), सोंठ पाउडर (5 ग्राम), काली मिर्च (10 नग), गुड़ का लड्डू बनाकर सुबह शाम बीमार गाय को दिया जाए. कई पशुपालक बीमार गाय के उपचार के लिए इस नुस्खे का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
फिटकरी का पानी, कपूर का धुंआ : गांव मालीपुरा निवासी पशुपालक शिवराम गुर्जर और आदित्य गुर्जर ने बताया कि चिकित्सकीय (Cows Death in Bharatpur) उपचार के साथ ही गायों के आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखते. बीमार गाय को फिटकरी और नीम के पानी से नहलाते. मक्खी मच्छर के प्रकोप से बचाने के लिए बाड़े में कपूर, गंधक और नीम की पत्तियों का धुंआ करते.
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गजेन्द्र सिंह चाहर ने बताया कि जिले में पंजीकृत 16 गौशालों में से 12 गौशालों में 11 हजार 134 पशुओं का टीकाकरण का कार्य पूर्ण कर दिया गया है. इसके साथ ही गौशालों में नियमित सर्वे कार्य किया जा रहा है और सोडियम हाइपोक्लोराइड का स्प्रे कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिले में 58 हजार 899 गौवंशों का भी टीकाकरण किया गया है, जिसमें 47 हजार 765 निजी गौवंशों टीकाकरण किया गया है. जिले की 12 पंचायत समिति के 933 गांवों में सर्वे के दौरान 5 हजार 508 पशु संक्रमित पाए गए, जिनमें से 4 हजार 378 गौवंश उपचाराधीन हैं और 961 गौवंश उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं. जबकि 169 गायों की मौत हो चुकी है.