कामां (भरतपुर). कामां से कांग्रेस विधायक जाहिदा खान सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए महापंचायत का आयोजन किया. जिसमें कामां क्षेत्र में झूठे दोषारोपण के मामलों, गो तस्करी, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए घघवाडी के पूर्व सरपंच ईशब की अध्यक्षता एवं बाबा हरिबोल दास की मौजूदगी में चर्चा की गई.
कामां पंचायत समिति के पूर्व प्रधान जलीस खान ने बताया कि शुक्रवार दोपहर बाद क्षेत्र के मौजूदा लोगों की एक महापंचायत सतवाड़ी तिलकपुरी के मध्य मदरसा के पास आयोजित की गई. जहां कामां विधानसभा क्षेत्र के सभी समुदाय के लोग महापंचायत में पहुंचे. जहां सभी ने विधानसभा क्षेत्र में आए दिन सामूहिक दुष्कर्म महिलाओं से छेड़छाड़ के झूठे मुकदमे दर्ज कराए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है. साथ ही उन्होंने प्रशासन से यह अपील की गई है कि जिस तरीके से कामां में गत दिनों एक पुलिस अधिकारी पर लगे महिला से दुष्कर्म के प्रयास के झूठे आरोपों की पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत प्रभाव से जांच की और जांच में यह स्पष्ट किया की थानाधिकारी पर महिला द्वारा झूठे आरोप लगाए हैं.
पढ़ें- घबराने की जरूरत नहीं, ट्रेनें बंद या कम करने की कोई योजना नहीं : रेलवे
इसी तरीके से आम आदमी के साथ भी पुलिस द्वारा पहले जांच की जानी चाहिए उसके बाद अगर जांच में सत्यता पाती है तो मुकदमा दर्ज होना चाहिए. अन्यथा किसी के विरुद्ध झूठे मुकदमे दर्ज नहीं होने चाहिए. झूठे मुकदमे दर्ज करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध भी नियमानुसार कानूनी कार्रवाई अमल में लानी चाहिए.
कामां क्षेत्र में आए दिन गौ तस्करी की घटनाएं सामने आ रही थी जिसे लेकर महापंचायत में सभी लोगों ने बड़ी गहराई से चर्चा की जिसमें यह बात निकलकर सामने आई कि क्षेत्र में अन्य राज्यों के लोग आकर गौ तस्करी की घटनाओं को अंजाम देते हैं और बदनामी अपने क्षेत्र की होती है. कुछ लोग अन्य राज्यों के लोगों से मिलकर गो तस्करी की घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसे लोगों के विरुद्ध गांव गांव में लोग जागरूक होकर गो तस्करी की घटनाओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों को पकड़कर पुलिस के सुपुर्द करेंगे जिससे गो तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लग सके.
साथ ही दहेज प्रथा जैसी अन्य और सामाजिक बुराइयों को लेकर भी महापंचायत में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई. जहां सभी से सामाजिक बुराइयों को दूर करने को लेकर चर्चा की गई. साथ ही क्षेत्र में ऑनलाइन ठगी अवैध हथियार बनाने के कारखाने जैसे पर भी अंकुश लगाने के बारे में विचार किया गया.