भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) का नाम सुनते ही जेहन में विविध प्रकार के पक्षियों का कलरव गूंजने लगता है. लेकिन बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि केवलादेव घना में भारत के लिहाज से सबसे ज्यादा अजगर (rock python) भी पाए जाते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे बड़ा पाइथन पॉइंट (Biggest Python Point) है.
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान की पारिस्थितिकी अनुकूलता (eco-friendly atmosphere) के कारण यहां सैकड़ों की तादाद में अजगर पाये जाते हैं. वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife expert) डॉ. सत्यप्रकाश मेहरा ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अजगरों की मौजूदगी पर वन्यजीव विशेषज्ञ (wildlife expert) सुब्रमण्यम भूपति ने रिसर्च की थी. इस रिसर्च में सामने आया कि घना में पूरे भारत के लिहाज से सर्वाधिक संख्या में अजगर मौजूद हैं. डॉ. मेहरा ने बताया कि शोध के दौरान यहां पर 135 अजगरों की मौजूदगी पाई गई थी. लेकिन घना में अजगरों की संख्या इससे कहीं अधिक है.
सहायक वनपाल (assistant forester) धर्म सिंह ने बताया कि केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में 600 से भी अधिक संख्या में पाइथन मौजूद हैं. वहीं घना के स्नेक कैचर (snake catcher) प्रकाश ने बताया कि वे करीब 15 साल से स्नेक रेस्क्यू (Snake Rescue) का काम कर रहे हैं. उनके साथ और भी स्नेक कैचर हैं. सभी लोग मिलकर सालभर में औसतन 200 पाइथन रेस्क्यू (Python Rescue) कर के घना के जंगलों में छोड़ देते हैं. अकेले प्रकाश अब तक करीब 300 पाइथन रेस्क्यू कर चुके हैं.
इसलिए पाए जाते हैं सर्वाधिक अजगर
डॉ. सत्य प्रकाश मेहरा ने बताया कि केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में देश के सर्वाधिक पाइथन पाए जाने की मुख्य वजह यहां की पारिस्थितिकी अनुकूलता है. पाइथन के लिए यहां सुरक्षित माहौल और भरपूर भोजन मिलता है. साथ ही यहां की भौगोलिक परिस्थितियां (geographical conditions) भी अजगर के अनुकूल हैं, जिसकी वजह से यहां बड़ी संख्या में अजगरों की मौजूदगी है.
सहायक वनपाल धर्म सिंह ने बताया कि घना और आस-पास के क्षेत्र में वेटलैंड (wetland) है. यहां अजगर के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो जाता है. अजगर का शिकार करने वाले वन्यजीव भी यहां मौजूद नहीं हैं. इसीलिए यहां बड़ी संख्या में अजगर पाए जाते हैं.
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एक ही बिल में रहते हैं ये तीन जीव
धर्म सिंह ने बताया कि अजगर खुद कभी भी अपने लिए बिल तैयार नहीं करता. सेही जो बिल अपने लिये तैयार करता है उसी बिल में अजगर भी रहता है. उसी एक बिल के अलग-अलग भाग में अजगर, सेही और लकड़बग्घा रहते हैं. कई बार इन तीनों के बीच में आवास को लेकर भिड़ंत भी हो जाती है.
फैक्ट फाइल : केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में 600 से ज्यादा अजगर हैं. हर साल यहां औसतन 200 अजगर रेस्क्यू कर लाये जाते हैं. एक अजगर की लंबाई 18 से 21 फीट तक होती है. अजगर 16 साल तक जीवित रहता है.