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Keoladeo National Park : अच्छी बरसात से जगी 'आस'...केवलादेव में बढ़ने लगी पक्षियों की तादाद

इस वर्ष मानसून की मेहरबानी के चलते विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में उम्मीद से बढ़कर पानी मिला है. यही वजह है कि अब केवलादेव में धीरे-धीरे न केवल पक्षियों का बल्कि उनके बच्चों का कलरव भी सुनाई देने लगा है. घना में (Ghana Bird Sanctuary) इंडियन क्रेन के बच्चों समेत अन्य पक्षियों के बच्चों की भी संख्या बढ़ गई है. पानी और पक्षियों से आबाद घना को देखकर अब घना प्रशासन को भी आगामी पर्यटन सीजन से काफी उम्मीदें जाग गई हैं.

Keoladeo National Park
घना प्रशासन को आगामी पर्यटन सीजन से उम्मीदें...
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Published : Sep 28, 2021, 7:01 PM IST

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह से प्रवासी पक्षियों की आवक शुरू हो जाएगी. उससे पहले घना पक्षी विहार में देसी पक्षियों और उनके बच्चों के कलवर के भी बढ़ गए हैं. घना सांपन मोरी के पास इंडियन क्रेन के जोड़े के साथ उनके बच्चे भी नजर आने लगे हैं.

घना पक्षी विहार में पेड़ों पर ओपन बिल स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क, यूरेसियन स्पूनबिल, ग्रेट इग्रेट आदि पक्षियों के अंडों से बच्चे बाहर निकल आए हैं. ऐसे में इन दिनों पूरे घना परिसर में पक्षियों के कलरव सुनाई देने लगे हैं, जो कि आगामी पर्यटन सीजन के अच्छे होने के संकेत हैं.

घना प्रशासन को आगामी पर्यटन सीजन से उम्मीदें...

अब तक 400 एमसीएफटी से अधिक पानी मिला...

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि इस बार जिले में बरसात काफी अच्छी रही है, जिससे केवलादेव घना में बरसात का पानी काफी मात्रा में उपलब्ध हो गया. इसके अलावा करौली जिले के पांचना बांध से भी करीब 230 एमसीएफटी से अधिक पानी घना को मिला है, जो कि यहां के पक्षियों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है.

पढ़ें : Special: पानी में घुला जहर! बीकानेर में बढ़ रही बीमारों की तादाद... जिम्मेदार कौन?

वहीं, चंबल लिफ्ट परियोजना से 162 एमसीएफटी और शहर के निचले इलाकों में भरा बरसात का पानी भी घना के लिए उपयोग में लिया जा रहा है, जो कि अब तक करीब 20 से 25 एमसीएफटी तक पानी घना को मिल चुका है.

इस बार अधिक प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद...

निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि भारत में अच्छी बरसात के कारण अच्छा पानी उपलब्ध होने की वजह से पक्षियों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन भी उपलब्ध रहेगा. ऐसे में उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षी भी अन्य वर्षों की तुलना में ज्यादा आएंगे और ज्यादा समय तक यहां पर रुकेंगे.

पढ़ें : Special : जवाबदेही कानून पर आधा कार्यकाल बीतने के बाद भी जवाब देने की स्थिति में नहीं गहलोत सरकार...मंशा पर उठने लगे सवाल

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बीते करीब दो पर्यटन सीजन करीब-करीब पूरी तरह से ठप रहे. इससे जहां घना प्रशासन को पर्यटकों से होने वाली आय न के बराबर हुई, वहीं घना पर निर्भर रिक्शा चालक, गाइड एवं अन्य अस्थाई कर्मचारियों की आमदनी भी कम रही. ऐसे में इस बार अच्छा पर्यटन सीजन की उम्मीद से घना पर निर्भर लोगों में भी अच्छे रोजगार व आय की आस जगी है.

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह से प्रवासी पक्षियों की आवक शुरू हो जाएगी. उससे पहले घना पक्षी विहार में देसी पक्षियों और उनके बच्चों के कलवर के भी बढ़ गए हैं. घना सांपन मोरी के पास इंडियन क्रेन के जोड़े के साथ उनके बच्चे भी नजर आने लगे हैं.

घना पक्षी विहार में पेड़ों पर ओपन बिल स्टॉर्क, पेंटेड स्टॉर्क, यूरेसियन स्पूनबिल, ग्रेट इग्रेट आदि पक्षियों के अंडों से बच्चे बाहर निकल आए हैं. ऐसे में इन दिनों पूरे घना परिसर में पक्षियों के कलरव सुनाई देने लगे हैं, जो कि आगामी पर्यटन सीजन के अच्छे होने के संकेत हैं.

घना प्रशासन को आगामी पर्यटन सीजन से उम्मीदें...

अब तक 400 एमसीएफटी से अधिक पानी मिला...

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि इस बार जिले में बरसात काफी अच्छी रही है, जिससे केवलादेव घना में बरसात का पानी काफी मात्रा में उपलब्ध हो गया. इसके अलावा करौली जिले के पांचना बांध से भी करीब 230 एमसीएफटी से अधिक पानी घना को मिला है, जो कि यहां के पक्षियों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है.

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वहीं, चंबल लिफ्ट परियोजना से 162 एमसीएफटी और शहर के निचले इलाकों में भरा बरसात का पानी भी घना के लिए उपयोग में लिया जा रहा है, जो कि अब तक करीब 20 से 25 एमसीएफटी तक पानी घना को मिल चुका है.

इस बार अधिक प्रवासी पक्षी आने की उम्मीद...

निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि भारत में अच्छी बरसात के कारण अच्छा पानी उपलब्ध होने की वजह से पक्षियों के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन भी उपलब्ध रहेगा. ऐसे में उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षी भी अन्य वर्षों की तुलना में ज्यादा आएंगे और ज्यादा समय तक यहां पर रुकेंगे.

पढ़ें : Special : जवाबदेही कानून पर आधा कार्यकाल बीतने के बाद भी जवाब देने की स्थिति में नहीं गहलोत सरकार...मंशा पर उठने लगे सवाल

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बीते करीब दो पर्यटन सीजन करीब-करीब पूरी तरह से ठप रहे. इससे जहां घना प्रशासन को पर्यटकों से होने वाली आय न के बराबर हुई, वहीं घना पर निर्भर रिक्शा चालक, गाइड एवं अन्य अस्थाई कर्मचारियों की आमदनी भी कम रही. ऐसे में इस बार अच्छा पर्यटन सीजन की उम्मीद से घना पर निर्भर लोगों में भी अच्छे रोजगार व आय की आस जगी है.

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