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गर्मी ने दिखाए तेवर, पीने के पानी को तरसे लोग

एक तरफ प्रदेश में गर्मी से लोगों का जीना मुश्किल हो रखा है. वहीं पानी की कमी ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. डीग क्षेत्र में लोग पानी की कमी से इस कदर परेशान हैं कि दिन और रात पानी केल टैंकरों से जल भरने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं.

टैंकरों से जल भरने की जद्दोजहद करते लोग
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Published : Jun 4, 2019, 6:23 PM IST

डीग (भरतपुर). उपखंड क्षेत्र में तापमान उच्च शिखर पर है. नौतपा खत्म होने के बाद भी गर्मी से लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया है. एक तरफ गर्मी लोगों पर सितम ढा रही है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों सहित कस्बे में पीने के पानी की किल्लत बढ़ गयी है. कहने को तो डीग को जल महलों की नगरी कहा जाता है. लेकिन, कस्बेवासियों को पीने का मीठा पानी भी नसीब नहीं हो रहा. जहां डीग कस्बेवासी पैसों से पानी पीने को मजबूर हैं. लोग सुबह से ही गांवों से पानी लाने वाले टैंकरों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं .

गर्मी ने दिखाए तेवर लोगों का घरों से निकलना हुआ दूभर


लोगों को टैंकर के चारों ओर पानी की जद्दोजहद करते दिन-रात देखा जा सकता है. रात्रि में भी लोग पानी की चिंता व चर्चा करते नजर आ रहे हैं. हालांकि डीग-कुम्हेर मई तक चंबल के पानी आने की उम्मीद थी. लेकिन कुम्हेर के अलावा डीग वासी चंबल के पानी को आज भी तरस रहे हैं. वहीं उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में भी पानी की किल्लत बढ़ी है. भीषण गर्मी के चलते गांवों में तालाब-पोखर सूख रहे हैं. कुओं के जल स्रोत नीचे चले गए हैं. जिससे आम आदमी और पशु-पक्षियों को पीने के पानी की समस्या और बढ़ गई है.


ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी फैलने पर प्रशासन की मौजूदगी में दो घोड़ियों को मारकर दफनाया

नगर(भरतपुर). तहसील के गांव गहनकर में दो घोड़ियों में ग्लेंडर नामक बीमारी फैलने से पशुपालक व प्रशासन में खलबली मचने गई. मंगलवार को पुलिस व प्रशासन की मौजूदगी में पशुपालन विभाग की टीम के द्वारा कार्यवाही कर एक घोड़ी को मारकर दफनाया दिया गया है. जबकि एक पशुपालक बीमारी से ग्रस्त एक घोड़ी को लेकर टीम के गांव में पहुंचने से पहले ही भगाकर रफूचक्कर हो गया. जिसकी तलाश की जा रही है.

दो घोड़ियों में ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी फैलने पर मार के दफनाया


क्षेत्रीय रोग निदान केंद्र भरतपुर के उपनिदेशक डॉक्टर डीपी सिंह के नेतृत्व में तहसीलदार त्रिलोक चंद गुप्ता, पुलिस सहायक निरीक्षक गौरव सेन व स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में कार्यवाही की गई. कार्यवाही के दौरान प्रशासन ने गांव गहनकर निवासी पशुपालक बिरमा पुत्र ब्रजलाल से लिखित में घोड़ी को मारने की सहमति लेकर घोड़ी को मारकर दफना दिया गया. जबकि दूसरा पशुपालक शिब्बा पुत्र झम्मन प्रशासन के गांव पहुचने से पहले ही घोड़ी को लेकर गांव से रफूचक्कर हो गया. जिस पर प्रशासन के द्वारा पशुपालक के परिजनों को 24 घंटे में सरेंडर होने का नोटिस दिया गया. अगर पशुपालक 24 घंटे के अंदर घोड़ी लेकर सरेंडर नहीं हुआ तो प्रशासन के द्वारा पुलिस कार्रवाई की जाएगी.


आपको बता दें कि गांव में 13 मई को घोड़ियों के ब्लड सैंपल लिए गए थे जिसकी जांच हरियाणा के हिसार में भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र में ब्लड के सैंपल जांच के लिए भिजवाए गए. वहां से 31 मई को पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर मंगलवार को पुलिस प्रशासन व पशुपालन व चिकित्सा टीम की मौजूदगी में गहनकर गांव में कार्यवाही की गई. कार्रवाई के दौरान गांव के ही अन्य पशुपालक की 8 घोड़ियों के ब्लड के सैंपल व लोधाहेडी में 11 घोड़ा घोड़ियों के टीम के द्वारा सैंपल लिए गए.


टीम के द्वारा की गई कार्रवाई में पशुपालक बिरमा सहित उसके परिजनों ने भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम को अपने-अपने ब्लड के सैंपल दे दिए है. चिकित्सा विभाग की टीम ने गांव में एक पशुपालक के परिजनों व पशुपालन विभाग की के कुल 10 सदस्यों के ब्लड सेम्पल लेकर प्रयोगशाला भिजवाया गया है. लेकिन शिब्बा के परिजनों के सैंपल को लेने के लिए प्रशासन व उसके परिजनों के द्वारा सैंपल नहीं देने को लेकर प्रशासन व उसके परिजनों में झड़प हो गई.


जानकारी के अनुसार ग्लेंडर नामक बीमारी एक लाइलाज बीमारी है. इसमें जानवर और पशुओं को मारना ही एकमात्र उपाय है. तथा यह रोग छुआछूत होने से मनुष्य जाति में भी होने की संभावना रहती है. वहीं प्रशासन के द्वारा पशुपालक बिरमा को सरकार की ओर से पच्चीस हजार रुपये का मुआवजा दिए जाने सम्बन्धी कागजात तैयार कराए गए है.

ग्लेंडर बीमारी के लक्षण

  • बुखार का रहना
  • सांस लेने पर हल्के हरे-पीले रंग की मवाद आना
  • जानवर के द्वारा खाना खाना छोड़ना

ग्लेंडर बीमारी से बचने के उपाय

  • ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त घोड़ा,घोड़ियों को मारना ही एकमात्र उपाय है

डीग (भरतपुर). उपखंड क्षेत्र में तापमान उच्च शिखर पर है. नौतपा खत्म होने के बाद भी गर्मी से लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया है. एक तरफ गर्मी लोगों पर सितम ढा रही है, तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों सहित कस्बे में पीने के पानी की किल्लत बढ़ गयी है. कहने को तो डीग को जल महलों की नगरी कहा जाता है. लेकिन, कस्बेवासियों को पीने का मीठा पानी भी नसीब नहीं हो रहा. जहां डीग कस्बेवासी पैसों से पानी पीने को मजबूर हैं. लोग सुबह से ही गांवों से पानी लाने वाले टैंकरों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं .

गर्मी ने दिखाए तेवर लोगों का घरों से निकलना हुआ दूभर


लोगों को टैंकर के चारों ओर पानी की जद्दोजहद करते दिन-रात देखा जा सकता है. रात्रि में भी लोग पानी की चिंता व चर्चा करते नजर आ रहे हैं. हालांकि डीग-कुम्हेर मई तक चंबल के पानी आने की उम्मीद थी. लेकिन कुम्हेर के अलावा डीग वासी चंबल के पानी को आज भी तरस रहे हैं. वहीं उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में भी पानी की किल्लत बढ़ी है. भीषण गर्मी के चलते गांवों में तालाब-पोखर सूख रहे हैं. कुओं के जल स्रोत नीचे चले गए हैं. जिससे आम आदमी और पशु-पक्षियों को पीने के पानी की समस्या और बढ़ गई है.


ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी फैलने पर प्रशासन की मौजूदगी में दो घोड़ियों को मारकर दफनाया

नगर(भरतपुर). तहसील के गांव गहनकर में दो घोड़ियों में ग्लेंडर नामक बीमारी फैलने से पशुपालक व प्रशासन में खलबली मचने गई. मंगलवार को पुलिस व प्रशासन की मौजूदगी में पशुपालन विभाग की टीम के द्वारा कार्यवाही कर एक घोड़ी को मारकर दफनाया दिया गया है. जबकि एक पशुपालक बीमारी से ग्रस्त एक घोड़ी को लेकर टीम के गांव में पहुंचने से पहले ही भगाकर रफूचक्कर हो गया. जिसकी तलाश की जा रही है.

दो घोड़ियों में ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी फैलने पर मार के दफनाया


क्षेत्रीय रोग निदान केंद्र भरतपुर के उपनिदेशक डॉक्टर डीपी सिंह के नेतृत्व में तहसीलदार त्रिलोक चंद गुप्ता, पुलिस सहायक निरीक्षक गौरव सेन व स्वास्थ्य विभाग की टीम की मौजूदगी में कार्यवाही की गई. कार्यवाही के दौरान प्रशासन ने गांव गहनकर निवासी पशुपालक बिरमा पुत्र ब्रजलाल से लिखित में घोड़ी को मारने की सहमति लेकर घोड़ी को मारकर दफना दिया गया. जबकि दूसरा पशुपालक शिब्बा पुत्र झम्मन प्रशासन के गांव पहुचने से पहले ही घोड़ी को लेकर गांव से रफूचक्कर हो गया. जिस पर प्रशासन के द्वारा पशुपालक के परिजनों को 24 घंटे में सरेंडर होने का नोटिस दिया गया. अगर पशुपालक 24 घंटे के अंदर घोड़ी लेकर सरेंडर नहीं हुआ तो प्रशासन के द्वारा पुलिस कार्रवाई की जाएगी.


आपको बता दें कि गांव में 13 मई को घोड़ियों के ब्लड सैंपल लिए गए थे जिसकी जांच हरियाणा के हिसार में भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र में ब्लड के सैंपल जांच के लिए भिजवाए गए. वहां से 31 मई को पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर मंगलवार को पुलिस प्रशासन व पशुपालन व चिकित्सा टीम की मौजूदगी में गहनकर गांव में कार्यवाही की गई. कार्रवाई के दौरान गांव के ही अन्य पशुपालक की 8 घोड़ियों के ब्लड के सैंपल व लोधाहेडी में 11 घोड़ा घोड़ियों के टीम के द्वारा सैंपल लिए गए.


टीम के द्वारा की गई कार्रवाई में पशुपालक बिरमा सहित उसके परिजनों ने भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम को अपने-अपने ब्लड के सैंपल दे दिए है. चिकित्सा विभाग की टीम ने गांव में एक पशुपालक के परिजनों व पशुपालन विभाग की के कुल 10 सदस्यों के ब्लड सेम्पल लेकर प्रयोगशाला भिजवाया गया है. लेकिन शिब्बा के परिजनों के सैंपल को लेने के लिए प्रशासन व उसके परिजनों के द्वारा सैंपल नहीं देने को लेकर प्रशासन व उसके परिजनों में झड़प हो गई.


जानकारी के अनुसार ग्लेंडर नामक बीमारी एक लाइलाज बीमारी है. इसमें जानवर और पशुओं को मारना ही एकमात्र उपाय है. तथा यह रोग छुआछूत होने से मनुष्य जाति में भी होने की संभावना रहती है. वहीं प्रशासन के द्वारा पशुपालक बिरमा को सरकार की ओर से पच्चीस हजार रुपये का मुआवजा दिए जाने सम्बन्धी कागजात तैयार कराए गए है.

ग्लेंडर बीमारी के लक्षण

  • बुखार का रहना
  • सांस लेने पर हल्के हरे-पीले रंग की मवाद आना
  • जानवर के द्वारा खाना खाना छोड़ना

ग्लेंडर बीमारी से बचने के उपाय

  • ग्लेंडर नामक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त घोड़ा,घोड़ियों को मारना ही एकमात्र उपाय है
Intro:Body:डीग - खबर , 4 जून :-

हैडलाइन. गर्मी ने दिखाए तेवर लोगों का घरों से निकलना हुआ दूभर

डीग से संवाददाता मुकेश जांगिड़

एंकर भरतपुर डीग के उपखंड क्षेत्र में तापमान उच्च शिखर पर है और गर्मी के तेवर तीखे हैं । नोतपा गर्मी से लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया है तथा जनजीवन अस्त - व्यस्त हो गया है तो वहीं पशु - पक्षियों को भी गर्मी सता रही है , पक्षी प्यास से त्रस्त हैं । एक तरफ गर्मी लोगों पर सितम ढाह रही है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों सहित कस्बे में पीने के पानी की किल्लत बढ़ गयी है । कहने को तो डीग को जल महलों की नगरी कहा जाता है लेकिन वहीं कस्बेवासियों को पीने का मीठा पानी भी नसीब नहीं हो रहा । जहाँ डीग कस्बेवासी पैसों से पानी पीने को मजबूर हैं तो वहीं लोग सुबह से ही गाँवों से पानी लाने वाले टैंकरों का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं । लोगों को टैंकर के चारों ओर पानी की जद्दोजहद करते दिन - रात देखा जा सकता है । रात्रि में भी लोग सोते कम हैं और पानी की चिंता व चर्चा करते नजर आ रहे हैं । हालाँकि डीग - कुम्हेर में चंबल के पानी आने की मई माह में उम्मीद थी लेकिन कुम्हेर के अलावा डीग वासी चंबल के पानी को आज भी तरस रहे हैं । वही उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण अँचलों में भी पानी की किल्लत बढ़ी है । भीषण गर्मी के चलते गाँवों में तालाब - पोखर सूख रहे हैं और कुओं के जल स्रोत नीचे चले गए हैं जिससे आम आदमी व पशु - पक्षियों को पीने के पानी की समस्या और बढ़ गई है ।Conclusion:
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