भरतपुर. गुर्जर आरक्षण एवं अन्य मांगों को लेकर पीलूपुरा में बीते 4 दिन से गुर्जर समाज रेलवे ट्रैक पर डटा हुआ है. इस आंदोलन में गुर्जर समाज के बच्चे, युवा, बुजुर्ग और यहां तक कि महिलाएं अपनी-अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. लेकिन 4 दिन के इस आंदोलन के दौरान दो अनूठे उदाहरण भी सामने आए. रेलवे ट्रैक पर 4 दिन से चिमटा लिए एक संन्यासी भी समाज के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन में सहभागिता निभा रहा है. वहीं, एक दिव्यांग भी मीलों का सफर तय कर इस आंदोलन में पहुंचा है. ईटीवी भारत ने इन दोनों ही आंदोलनकारियों से जब बात की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
पीलूपुरा निवासी संन्यासी धर्मराज गुर्जर ने 18 वर्ष पहले गृहस्ती का त्याग कर दिया था. बीते 18 वर्षों से वह गृहस्थ आश्रम को त्याग कर एक संन्यासी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन आंदोलन की आग ने वर्ष 2008 में पीलूपुरा में ही उनके पिता जगन सिंह गुर्जर को निगल लिया था. बीते करीब 13 वर्षों से समाज समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करता आया है और इस बार फिर 1 नवंबर से गुर्जर समाज अपनी मांगों को लेकर पीलूपुरा में रेलवे ट्रैक पर उतर आया.
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पिता की कुर्बानी आई याद...
संन्यासी धर्मराज गुर्जर ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि समाज एक बार फिर से आंदोलन कर रहा है, तो उन्हें अपने पिता की कुर्बानी याद आई और वह भी गुर्जर समाज की भावी पीढ़ी के लिए इस आंदोलन में कूद पड़े. संन्यासी धर्मराज गुर्जर का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द समाज की मांगों को मान लेना चाहिए, जिससे कि यह आंदोलन समाप्त हो जाए.
सरकार जल्द से मान ले मांग...
एक तरफ संन्यासी धर्मराज गुर्जर समाज के युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित दिखे, तो वहीं आंदोलन की वजह से परेशान हो रहे आम लोगों के प्रति भी उनके दिल में पीड़ा नजर आई. यही वजह है कि धर्मराज गुर्जर ने कहा कि अगर सरकार जल्दी से जल्दी मांगे मान लें तो यह आंदोलन समाप्त हो जाएगा. साथ ही आमजन की परेशानी भी दूर हो जाएगी जो कि आंदोलन की वजह से उन्हें भुगतनी पड़ रही है.
दिव्यांग ने तय किया मीलों का सफर
पीलूपुरा रेलवे ट्रैक पर गुर्जर समाज के आंदोलनकारियों के बीच एक दिव्यांग भी 24 घंटे बैठा नजर आता है. नगर क्षेत्र के एक गांव से दिव्यांग रामकरण भी गुर्जर समाज के इस आंदोलन में भाग लेने आया है और 1 नवंबर से लगातार समाज के साथ रेलवे ट्रैक पर टिका हुआ है. इस आंदोलन में ना तो उसका कोई रिश्तेदार है और ना ही घर परिवार का सदस्य. लेकिन फिर भी वह समाज की एकजुटता के लिए नगर से कभी पैदल तो कभी किसी से लिफ्ट लेकर पीलूपुरा तक पहुंचा है.
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आंदोलन समाप्त होने तक यहीं रूकेंगे...
ईटीवी भारत ने जब रामकरण गुर्जर से बात की तो उन्होंने बताया कि जब तक सरकार मांग नहीं मानेगी तब तक वह भी समाज के साथ आंदोलन में रेलवे ट्रैक पर ही रुके रहेंगे. उनका कहना है कि जब तक आंदोलन समाप्त नहीं हो जाता तब तक वे यहीं रूके रहेंगे.
गौरतलब है कि गुर्जर समाज अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और उनके बेटे विजय बैंसला की अगुवाई में 1 नवंबर से पीलूपुरा रेलवे ट्रैक पर आंदोलनरत है. बीते 2 दिनों से सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नीरज के. पवन लगातार गुर्जर समाज के नेताओं से संपर्क बनाए हुए हैं और उन से वार्ता कर रहे हैं. अब देखते हैं कि इस वार्ता के बाद गुर्जर आंदोलन का रुख क्या रहता है.