भरतपुर. जिले के पशुपालकों को इस बार महंगे चारे के साथ ही चारे की कमी का सामना भी करना पड़ सकता है. गत वर्ष की तुलना में जिले में इस बार गेहूं का रकबा घटने की वजह से है चारे (भूसा) का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में कम हुआ है. वहीं, पड़ोसी राज्य के किसानों ने भी भूसे का स्टॉक कर लिया है, जिसकी वजह से पशुपालकों को ढाई गुना अधिक महंगे दाम में भूसा खरीदना पड़ रहा है. सर्दियों में भूसे के दाम और बढ़ने की आशंका भी बनी हुई है. जिले में हालात ये हैं कि सिर्फ दो महीने के लायक ही सूखा चारा (भूसा) उपलब्ध (fodder crisis in bharatpur) है. ऐसे में पशुपालकों के लिए आगामी मानसून सीजन में हरा चारा संजीवनी का काम करेगा.
जिले में 5.6 मीट्रिक टन चारा- पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गजेंद्र चाहर ने बताया कि भरतपुर जिले में इस बार किसानों ने 1.20 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुवाई की थी. जिससे जिले में करीब 5.6 लाख मीट्रिक टन चारे का उत्पादन हुआ. डॉक्टर गजेंद्र चाहर ने बताया कि सरसों के दाम अच्छे मिलने की वजह से किसानों ने इस बार गेहूं की बजाय सरसों की फसल अधिक की थी, जिसकी वजह से गत वर्ष की तुलना में जिले में चारा उत्पादन काफी कम हुआ.
हर माह 2.04 लाख मीट्रिक टन चारे की जरूरत- डॉ. गजेंद्र चाहर ने बताया कि जिले में पशुपालकों के पास कुल 9.73 लाख गोवंश और भैंस हैं. ऐसे में जिले में प्रतिमाह औसतन 2.04 लाख मीट्रिक टन चारे (भूसा) की जरूरत रहती है. वर्तमान में उपलब्ध चारे से अंदाजा लगाया गया है कि जिले के पशुओं के लिए करीब जुलाई माह तक सूखा चारा उपलब्ध रहेगा.
हरे-चारे से पूर्ति- डॉक्टर गजेंद्र चाहर ने बताया कि यह तो गत वर्ष की तुलना में जिले में चारे का उत्पादन कम है, लेकिन जिन किसानों के पास सिंचाई के संसाधन उपलब्ध हैं, उन्होंने गर्मियों के मौसम में बोई जाने वाली ग्वार की फसल भी की है, जिससे हरा चारा उपलब्ध हो जाएगा. मानसून का मौसम शुरू होते ही खेतों में प्राकृतिक हरा चारा भी उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा. ऐसे में उम्मीद है कि जिले के पशुपालकों को संभवतः चारा संकट का सामना नहीं करना पड़े.
सर्दियों में चारे की कमी और महंगाई- किसान और पशुपालकों का मानना है कि फसल के सीजन के समय ही इस बार भूसे के दाम गत वर्ष की तुलना में 2 गुना से ढाई गुना ज्यादा हैं. यही वजह है कि इस बार भूसा 1200 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. सर्दियों में भूसे की और कमी आ जाती है, जिसकी वजह से चारे के दाम और बढ़ने की संभावना है जो कि पशुपालकों के लिए परेशानी की बात रहेगी.
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पड़ोसी राज्य के किसानों ने किया स्टॉक- डॉक्टर गजेंद्र चाहर ने बताया कि इस बार किसानों के मन में यह आशंका बैठ गई कि चारे की कमी आने वाली है. जिसके चलते पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आने वाला चारा भरतपुर नहीं पहुंच पाया. वहां के किसानों ने चारे का स्टॉक कर लिया.
फैक्ट फाइल
पशु | संख्या |
भैंस | 7,60,323 |
गोवंश | 2,05,401 |
भेड़ | 76,693 |
बकरी | 1,68,158 |