भरतपुर. भरतपुर विकास न्यास के प्रोजेक्ट स्कीम-13 के मामले में किसानों ने जमकर नाराजगी जाहिर की है. प्रोजेक्ट के लिए इन किसानों की जमीनें अधीग्रहीत कर ली गई थी. लेकिन 12 साल में प्रोजेक्ट नहीं आया. अब इन किसानों को न तो जमीन का मुआवजा मिल रही है और न ही पट्टे मिल रहे हैं.
गुस्साए किसानों ने सोमवार को नगर विकास न्यास के कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन करते हुए ताला जड़ दिया. बाद में न्यास के कार्यवाहक सचिव केके गोयल ने समझाइश कर ताला खुलवाया. किसानों का कहना है कि 12 साल से वे जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. यूआईटी की ओर से मुआवजा या पट्टा भी नहीं दिया गया है. न्यास के अधिकारी वन विभाग से एनओसी नहीं मिलने का बहाना बनाकर किसानों को मुआवजे और पट्टे से वंचित कर रहे हैं. जबकि न्यास ने स्कीम-13 की जमीन के करीब 25 फ़ीसदी भूखंडों के पट्टे जारी कर दिए हैं.
कार्यवाहक सचिव केके गोयल ने बताया कि उन्होंने हाल ही में वन विभाग की ओर से राज्य सरकार को रिपोर्ट भिजवा दी है. स्कीम-13 की कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
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किसानों ने का कहना है कि करीब 12 साल पहले प्रशासन ने 10 गांव के 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन अधिग्रहीत की थी. योजना के तहत जमीन के बदले मुआवजा या स्कीम-13 में पट्टे देने की बात थी.
सचिव केके गोयल ने बताया कि योजना में करीब 13 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की है. जिसको अभी तक वन विभाग की ओर से एनओसी नहीं मिल पाई है. इसी कारण स्कीम -13 की न तो लॉटरी हो पा रही है और न ही भूखंडों के पट्टे जारी हो पा रहे हैं. राज्य सरकार को इस संबंध में रिपोर्ट भेज दी गई है. गोयल ने बताया कि पूर्व में राज्य सरकार को यह भी प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था कि वन विभाग की जमीन को छोड़कर अन्य जमीन पर पट्टे जारी किए जा सकते हैं.
स्कीम-13 में 346.86 हेक्टेयर तक सेक्टर विस्तार है. इसके लिए 2980 किसानों की जमीन अवाप्त की गई थी. योजना में लॉटरी के लिए 8892 आवेदन प्राप्त हुए थे जबकि 5023 लोगों ने आवेदन वापस ले लिए थे.