भरतपुर. पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में लॉरेंस गैंग का हाथ सामने आने के बाद एक बार फिर जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों के गैंग चलाने की घटनाओं पर मुहर लग गई है. प्रदेश की जेलों में बंद कुख्यात अपराधी सलाखों के पीछे से भी रंगदारी और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं. जेलों में बंद अपराधी बाहर अपने गुर्गों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और व्यापारियों एवं आम लोगों को धमकी देकर रंगदारी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. बीते 1 साल की बात करें तो भरतपुर की सेवर सेंट्रल जेल के साथ ही प्रदेशभर की अलग-अलग जेलों से व्यापारियों एवं आम लोगों को रंगदारी की धमकी के अलग-अलग मामले सामने आ चुके (Extortion threat calls from jails) हैं.
व्यापारी से मांगी थी 5 लाख की रंगदारी: 14 नवंबर, 2021 को शहर के एक ज्वेलर के पास सेवर जेल से एक बदमाश ने फोन करके पांच लाख रुपए की रंगदारी मांगी थी. रंगदारी नहीं देने पर व्यापारी के पैर में गोली मारने और जान से मारने की धमकी दी गई थी. इस संबंध में पीड़ित ज्वेलर ने कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था. जब आईएमईआई नंबर से जांच की गई, तो नंबर जेल में बंद आरोपी उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी लवकुश उर्फ लब्बू का निकला. उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. जेल विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते 1 साल के दौरान प्रदेश की जेलों में बंद अपराधियों के व्यापारियों और आम लोगों से रंगदारी मांगने के 18 मामले प्रकाश में आए. इनमें भरतपुर की सेवर जेल से एक, जयपुर जेल से दो, भिवाड़ी जेल से आठ, चूरू जेल से तीन, कोटा से दो, टोंक से एक और अजमेर जेल से एक मामला सामने आया.
जेलों में पहुंच रहे मोबाइल: असल में प्रदेश की सभी जेलों में अपराधियों से अवैध मोबाइल बरामदगी के मामले समय-समय पर सामने आते रहते (Illegal mobile found in Jails) हैं. इससे स्पष्ट होता है कि यह अपराधी जेलों में धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं और इन्हीं मोबाइल से कॉलिंग करके बाहर अपने गैंग के गुर्गों से लगातार संपर्क में बने रहते हैं. जिनके माध्यम से रंगदारी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. लाख प्रयास के बावजूद जेल प्रशासन ना तो जेलों में अवैध मोबाइलों की एंट्री पर रोक लगा पाया है और ना ही उनकी कॉलिंग पर.
इसलिए नहीं लग पा रही लगाम: जेलों में अवैध कॉलिंग पर लगाम लगाने के लिए वर्षों पहले जेल विभाग ने प्रदेश की जेलों में 2G जैमर (Mobile jammers in jails) लगवाए. लेकिन वर्तमान में ये 2G जैमर पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं. ये जैमर 4G सिम पर काम नहीं करते, जिसकी वजह से अपराधी आसानी से जेलों के अंदर से अपनी गैंग से संपर्क में बने रहते हैं. सेवर जेल अधीक्षक अशोक वर्मा ने बताया कि जेल में अवैध मोबाइल व अन्य सामग्री पर रोक लगाने के लिए सख्ती से जांच की जाती है. समय-समय पर जेल के बैरकों में निरीक्षण भी किया जाता है. लेकिन हमारे पास ऐसे उपकरण उपलब्ध नहीं हैं जिनसे मोबाइल को डिटेक्ट किया जा सके. हमने मुख्यालय को इस संबंध में उपकरणों की मांग भेज रखी है.