भरतपुर. कोरोना महामारी के चलते मानों पूरा विश्व थम सा गया है. पूरे देश में लॉकडाउन है. ऐसे में ना वाहन संचालित हो रहे हैं और ना ही व्यवसाय. वहीं इस दुनिया को अलविदा कह चुके लोगों की आत्माओं को भी अब मोक्ष का इंतजार है, लेकिन इस मुक्ति की राह में महामारी सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई है.
लॉकडाउन के कारण कितने ही सामान्य, असहाय और लावारिस लोगों के देहावसान के बाद उनकी अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन नहीं हो पा रहा है. भरतपुर के अपना घर आश्रम में प्राण त्यागने वाले करीब 90 प्रभुजनों की आत्माएं भी अब मुक्ति का इंतजार कर रही हैं.
नहीं हो पा रहा विसर्जन
अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन है ऐसे में आश्रम में प्राण त्यागने वाले प्रभु जनों की अस्थियों का विसर्जन भी नहीं हो पा रहा है. डॉ भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में हर दिन करीब 2 प्रभुजनों की बीमारी या उम्र पूरी होने की वजह से मृत्यु हो जाती है.
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ऐसे में आश्रम से एक निश्चित अंतराल के बाद अस्थि कलश को ऋषिकेश ले जाकर गंगा जी में विसर्जित कर दिया जा सकता है. लेकिन बीते करीब डेढ़ माह से लॉकडाउन होने की वजह से अस्थि कलशों का विसर्जन नहीं हो पा रहा है. अब लॉकडाउन खुलने के बाद ही अस्थियों का विसर्जन हो सकेगा.
धर्म के अनुसार होती है अंत्येष्टि
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अपना घर आश्रम में हर जाति और धर्म के प्रभुजन निवास करते हैं. प्राण त्यागने पर उनके धर्म के अनुरूप ही उनका अंतिम संस्कार भी किया जाता है. अंतिम संस्कार के बाद हिंदू धर्म के प्रभुजनों की अस्थियों को अलग अलग रखा जाता है. सभी अस्थियां आपस में मिल ना जाए इसके लिए अस्थियां के ऊपर प्रभुजन के नाम की पर्ची लगाई जाती है. उसके बाद ऋषिकेश ले जाकर अस्थियों का विसर्जन किया जाता है.
गौरतलब है कि भरतपुर के बझेरा स्थित अपना घर आश्रम में 3,000 से अधिक प्रभु जन निवास कर रहे हैं. वर्ष 2000 में शुरू हुए अपना घर आश्रम की आज नेपाल समेत देशभर में 36 शाखाएं हैं. इनमें हजारों असहाय और निराश्रित लोग निःशुल्क निवास कर रहे हैं. डॉक्टर भारद्वाज की मानव सेवा को देखते हुए रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति में भी इन्हें 'कर्मवीर' के रूप में पहचान मिल चुकी है.