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Apna Ghar Ashram Bharatpur: बेसहारा जीवों के लिए संजीवनी बना अपना घर आश्रम...यहां बेजुबानों का सेवा के साथ होता है उपचार - Rajasthan hindi news

भरतपुर का अपना घर आश्रम बेसहारा पशु-पक्षियों के लिए वरदान साबित हो रहा है. आश्रम के जीव सेवा सदन में घायल और बेसहारा जीवों का निस्वार्थ भाव से इलाज के साथ उनकी देखभाल भी की जाती है. कई पशुओं को तो इलाज के बाद पुनर्वासित भी किया जा चुका है.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
बेसहारा जानवरों को मिला घर
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Published : Apr 20, 2022, 7:09 PM IST

भरतपुर. अपना घर आश्रम के जीव सेवा सदन बेसहारा जीवों के लिए संजावनी साबित हो रहा है. हादसों में घायल या किसी बीमारी से पीड़ित बेजुबानों का यहां घायल और लाचार पशु-पक्षियों को लाकर निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा और उपचार किया जाता है. उनकी देखभाल करने के साथ ही जीवों को पुनर्वासित भी किया जाता है. डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज जीव सेवा सदन में आने वाले जीवों का माता-पिता की तरह सेवा करते हैं. मानों जैसे बेसहारों जीवों की सेवा के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया है.

27 प्रकार के 4700 जीवों की सेवा
'अपना घर आश्रम' के जीव सेवा सदन में वर्षों से बेजुबान घायल जीवों की सेवा की जा रही है. अब तक यहां 27 प्रकार के 4,717 पशु-पक्षी, बंदर आदि की सेवा की जा चुकी है. आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि यहां अधिकतर पशु-पक्षी घायल अवस्था में लाए जाते हैं. इनमें अधिकतर सड़क दुर्घटना में घायल गायें, श्वान, करंट की चपेट में आए बंदर, पक्षी आदि अधिक लाए जाते हैं. बरसात के मौसम में चीतल और गाय के बछड़ों को श्वान हमला कर घायल कर देते हैं जिनको सूचना मिलने पर जीव सेवा सदन लाया जाता है.

बेसहारा जानवरों को मिला घर

पढ़ें. Bharatpur news: अपना घर आश्रम गरीब बच्चों को देगा नि:शुल्क शिक्षा, 2.50 करोड़ की लागत से स्कूल तैयार

अधिकतर बुरे हालात में लाए जाते हैं आश्रम
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में आने वाले अधिकतर पशु-पक्षी गंभीर हालत में ही अपना घर आश्रम लाए जाते हैं. उनका यहां पर बेहतर उपचार और देखभाल की जाती है. हालांकि कभी-कभी काफी देखभाल के बाद भी उन्हें नहीं बचा पाते हैं. यही वजह है कि अब तक सदन में लाए गए कुल 4717 जीवों में से 3954 ने प्राण त्याग दिए. इनमें सर्वाधिक गाय, बछड़ा और बछड़ी शामिल हैं.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
जीव सेवा सदन में गाय का कर रहे इलाज

पढ़ें. अपना घर आश्रम का 5 Star किचन, 3 घंटे में तैयार हो जाएगा 11 हजार लोगों का भोजन...6 करोड़ की लागत से तैयार होगा प्रसादालय

562 जीवों को किया पुनर्वासित
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में सभी प्रकार के जीवों का इलाज किया जाता है. सैकड़ों की संख्या में पशु-पक्षी उपचार और देखभाल के बाद यहां पर स्वस्थ होकर पुनर्वासित भी हो चुके हैं. अब तक सदन में 184 गाय, 59 नंदी, 96 बछड़ा, 51 बछड़ी, 128 श्वान, 9 मोर, 9 कबूतर, 2 सुअर, 15 बंदर, 6 बिल्ली, एक उल्लू, एक कौआ और एक चिड़िया समेत कुल 562 जीवों को पुनर्वासित किया जा चुका है.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
अपना घर आश्रम का जीव सेवा सदन

पढ़ें. Shelter home for Cows: अलवर समेत पूरे प्रदेश में बनेंगी नंदीशाला, गोवंशों को मिलेगी छत

जीवों को मां जैसा प्यार
जीव सेवा सदन में इलाज के साथ ही बेजुबान जीवों को भरपूर प्यार भी दिया जाता है. बुधवार को जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो डॉ. माधुरी भारद्वाज और डॉ. सुलेमान खान एक बछड़ी के टूटे हुए पैर में प्लास्टर लगा रहे थे. कुछ देर बाद डॉ माधुरी एक बोतल में दूध भरकर मासूम बछड़ी को दूध पिलाती नजर आईं. पूछने पर बताया कि एक दिन पहले ही बछड़े की मां (गाय) की मौत हो गई है जिसकी वजह से बछड़े को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
घायल पशुओं की होती है देखभाल

गाय के गोबर से तैयार करते हैं उपले
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में गायों के गोबर से उपले तैयार करवाए जाते हैं जिससे अपना घर आश्रम में प्राण त्यागने वाले प्रभुजनों का अंतिम संस्कार किया जाता है. साथ ही उपलों का आश्रम के अन्य कार्यों में भी जरूरत के अनुसार प्रयोग में लाया जाता है.

वर्तमान में आश्रम में जीव

जीव संख्या
गाय 90
नंदी 26
बछड़ा 40
बछिया 33
श्वान 3
मोर 2
बंदर 7
कुल 201

भरतपुर. अपना घर आश्रम के जीव सेवा सदन बेसहारा जीवों के लिए संजावनी साबित हो रहा है. हादसों में घायल या किसी बीमारी से पीड़ित बेजुबानों का यहां घायल और लाचार पशु-पक्षियों को लाकर निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा और उपचार किया जाता है. उनकी देखभाल करने के साथ ही जीवों को पुनर्वासित भी किया जाता है. डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज जीव सेवा सदन में आने वाले जीवों का माता-पिता की तरह सेवा करते हैं. मानों जैसे बेसहारों जीवों की सेवा के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया है.

27 प्रकार के 4700 जीवों की सेवा
'अपना घर आश्रम' के जीव सेवा सदन में वर्षों से बेजुबान घायल जीवों की सेवा की जा रही है. अब तक यहां 27 प्रकार के 4,717 पशु-पक्षी, बंदर आदि की सेवा की जा चुकी है. आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि यहां अधिकतर पशु-पक्षी घायल अवस्था में लाए जाते हैं. इनमें अधिकतर सड़क दुर्घटना में घायल गायें, श्वान, करंट की चपेट में आए बंदर, पक्षी आदि अधिक लाए जाते हैं. बरसात के मौसम में चीतल और गाय के बछड़ों को श्वान हमला कर घायल कर देते हैं जिनको सूचना मिलने पर जीव सेवा सदन लाया जाता है.

बेसहारा जानवरों को मिला घर

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अधिकतर बुरे हालात में लाए जाते हैं आश्रम
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में आने वाले अधिकतर पशु-पक्षी गंभीर हालत में ही अपना घर आश्रम लाए जाते हैं. उनका यहां पर बेहतर उपचार और देखभाल की जाती है. हालांकि कभी-कभी काफी देखभाल के बाद भी उन्हें नहीं बचा पाते हैं. यही वजह है कि अब तक सदन में लाए गए कुल 4717 जीवों में से 3954 ने प्राण त्याग दिए. इनमें सर्वाधिक गाय, बछड़ा और बछड़ी शामिल हैं.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
जीव सेवा सदन में गाय का कर रहे इलाज

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562 जीवों को किया पुनर्वासित
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में सभी प्रकार के जीवों का इलाज किया जाता है. सैकड़ों की संख्या में पशु-पक्षी उपचार और देखभाल के बाद यहां पर स्वस्थ होकर पुनर्वासित भी हो चुके हैं. अब तक सदन में 184 गाय, 59 नंदी, 96 बछड़ा, 51 बछड़ी, 128 श्वान, 9 मोर, 9 कबूतर, 2 सुअर, 15 बंदर, 6 बिल्ली, एक उल्लू, एक कौआ और एक चिड़िया समेत कुल 562 जीवों को पुनर्वासित किया जा चुका है.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
अपना घर आश्रम का जीव सेवा सदन

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जीवों को मां जैसा प्यार
जीव सेवा सदन में इलाज के साथ ही बेजुबान जीवों को भरपूर प्यार भी दिया जाता है. बुधवार को जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो डॉ. माधुरी भारद्वाज और डॉ. सुलेमान खान एक बछड़ी के टूटे हुए पैर में प्लास्टर लगा रहे थे. कुछ देर बाद डॉ माधुरी एक बोतल में दूध भरकर मासूम बछड़ी को दूध पिलाती नजर आईं. पूछने पर बताया कि एक दिन पहले ही बछड़े की मां (गाय) की मौत हो गई है जिसकी वजह से बछड़े को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है.

Apna Ghar Ashram Bharatpur
घायल पशुओं की होती है देखभाल

गाय के गोबर से तैयार करते हैं उपले
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में गायों के गोबर से उपले तैयार करवाए जाते हैं जिससे अपना घर आश्रम में प्राण त्यागने वाले प्रभुजनों का अंतिम संस्कार किया जाता है. साथ ही उपलों का आश्रम के अन्य कार्यों में भी जरूरत के अनुसार प्रयोग में लाया जाता है.

वर्तमान में आश्रम में जीव

जीव संख्या
गाय 90
नंदी 26
बछड़ा 40
बछिया 33
श्वान 3
मोर 2
बंदर 7
कुल 201
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