भरतपुर. अपना घर आश्रम के जीव सेवा सदन बेसहारा जीवों के लिए संजावनी साबित हो रहा है. हादसों में घायल या किसी बीमारी से पीड़ित बेजुबानों का यहां घायल और लाचार पशु-पक्षियों को लाकर निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा और उपचार किया जाता है. उनकी देखभाल करने के साथ ही जीवों को पुनर्वासित भी किया जाता है. डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज जीव सेवा सदन में आने वाले जीवों का माता-पिता की तरह सेवा करते हैं. मानों जैसे बेसहारों जीवों की सेवा के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया है.
27 प्रकार के 4700 जीवों की सेवा
'अपना घर आश्रम' के जीव सेवा सदन में वर्षों से बेजुबान घायल जीवों की सेवा की जा रही है. अब तक यहां 27 प्रकार के 4,717 पशु-पक्षी, बंदर आदि की सेवा की जा चुकी है. आश्रम संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि यहां अधिकतर पशु-पक्षी घायल अवस्था में लाए जाते हैं. इनमें अधिकतर सड़क दुर्घटना में घायल गायें, श्वान, करंट की चपेट में आए बंदर, पक्षी आदि अधिक लाए जाते हैं. बरसात के मौसम में चीतल और गाय के बछड़ों को श्वान हमला कर घायल कर देते हैं जिनको सूचना मिलने पर जीव सेवा सदन लाया जाता है.
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अधिकतर बुरे हालात में लाए जाते हैं आश्रम
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में आने वाले अधिकतर पशु-पक्षी गंभीर हालत में ही अपना घर आश्रम लाए जाते हैं. उनका यहां पर बेहतर उपचार और देखभाल की जाती है. हालांकि कभी-कभी काफी देखभाल के बाद भी उन्हें नहीं बचा पाते हैं. यही वजह है कि अब तक सदन में लाए गए कुल 4717 जीवों में से 3954 ने प्राण त्याग दिए. इनमें सर्वाधिक गाय, बछड़ा और बछड़ी शामिल हैं.
562 जीवों को किया पुनर्वासित
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में सभी प्रकार के जीवों का इलाज किया जाता है. सैकड़ों की संख्या में पशु-पक्षी उपचार और देखभाल के बाद यहां पर स्वस्थ होकर पुनर्वासित भी हो चुके हैं. अब तक सदन में 184 गाय, 59 नंदी, 96 बछड़ा, 51 बछड़ी, 128 श्वान, 9 मोर, 9 कबूतर, 2 सुअर, 15 बंदर, 6 बिल्ली, एक उल्लू, एक कौआ और एक चिड़िया समेत कुल 562 जीवों को पुनर्वासित किया जा चुका है.
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जीवों को मां जैसा प्यार
जीव सेवा सदन में इलाज के साथ ही बेजुबान जीवों को भरपूर प्यार भी दिया जाता है. बुधवार को जब ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची तो डॉ. माधुरी भारद्वाज और डॉ. सुलेमान खान एक बछड़ी के टूटे हुए पैर में प्लास्टर लगा रहे थे. कुछ देर बाद डॉ माधुरी एक बोतल में दूध भरकर मासूम बछड़ी को दूध पिलाती नजर आईं. पूछने पर बताया कि एक दिन पहले ही बछड़े की मां (गाय) की मौत हो गई है जिसकी वजह से बछड़े को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है.
गाय के गोबर से तैयार करते हैं उपले
डॉ. भारद्वाज ने बताया कि जीव सेवा सदन में गायों के गोबर से उपले तैयार करवाए जाते हैं जिससे अपना घर आश्रम में प्राण त्यागने वाले प्रभुजनों का अंतिम संस्कार किया जाता है. साथ ही उपलों का आश्रम के अन्य कार्यों में भी जरूरत के अनुसार प्रयोग में लाया जाता है.
वर्तमान में आश्रम में जीव
जीव | संख्या |
गाय | 90 |
नंदी | 26 |
बछड़ा | 40 |
बछिया | 33 |
श्वान | 3 |
मोर | 2 |
बंदर | 7 |
कुल | 201 |