भरतपुर. सामान्य तौर पर देखा जाता है कि गाय का गोबर खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन भरतपुर की कुछ महिलाओं ने गाय के गोबर को आत्मनिर्भर बनने का माध्यम (Cow dung is Making Women Self Sufficient) बना लिया है. एक संस्था की मदद से कुछ गरीब महिलाएं गाय के गोबर से 101 उत्पाद तैयार (101 products prepared through Cow Dung in Bharatpur) कर रहे हैं. खास बात ये है कि गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों की जहां जबरदस्त डिमांड आ रही है, वहीं इन उत्पादों से पर्यावरण सुरक्षा में भी योगदान मिल रहा है.
यूं तैयार करते हैं उत्पाद : सोशल वेलफेयर रिसर्च ग्रुप (स्वर्ग) संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि शहर की कुछ गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गाय के गोबर से उत्पाद बनाने का काम किया जा रहा है. इसके तहत नगर निगम की गौशाला से निशुल्क गोबर उपलब्ध कराया जाता है. उस गोबर को छोटे-छोटे गोलाकार में लड्डू नुमा बनाकर सुखा लेते हैं. फिर उसे कूटकर छानकर उसमें पीली मिट्टी और गोंद मिला लिया जाता है. इस तरह से पाउडर तैयार कर उससे मन चाहा उत्पाद तैयार कर लिया जाता है. उत्पाद को मजबूती प्रदान करने के लिए ही गोबर में पीली मिट्टी और गोंद का इस्तेमाल किया जाता है. इससे सूखने के बाद उत्पाद गिरने पर टूटता नहीं है.
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101 प्रकार के उत्पाद कर रहीं तैयार: बलवीर सिंह ने बताया कि संस्था के तहत करीब 11 से 12 महिलाएं गोबर से उत्पाद बनाने का काम (Women Group earning through Cow Dung) करती हैं. इसमें गाय के गोबर से दीपक, धूपबत्ती, गणेश की प्रतिमा, कृष्ण भगवान की प्रतिमा, की रिंग, दीवार घड़ी, हाथ की घड़ी आदि शामिल हैं. गोबर से निर्मित होने के बावजूद ये उत्पाद काफी मजबूत और टिकाऊ होते हैं.
एक गाय के गोबर से 10 हजार के उत्पाद: बलबीर सिंह ने बताया कि यदि कोई महिला अपने घर पर एक गाय पालती है, तो वो उसके गोबर से उत्पाद तैयार कर महीने में 10 हजार रुपए तक कमा सकती है. साथ ही गोबर का जूस भी 30 से 40 रुपए प्रति लीटर तक बिक जाता है. गोमूत्र से गुलाबजल और आंखों की दवाई भी तैयार होता है. ऐसे में गाय पालने का खर्चा खुद गाय के गोबर से ही निकल सकता है और परिवार को आर्थिक मदद भी मिल सकती है.
बैंक और वाहन कंपनियों से बढ़ी मांग: बलवीर सिंह ने बताया कि संस्था की ओर से तैयार कराए जा रहे गाय के गोबर के उत्पादों की (Cow Helps In Improving Life) कई बैंकों ओर वाहन एजेंसियों से (Demand Of Cow Dung Products In Bharatpur) मांग आती है. उत्पादों पर संस्था का नाम अंकित करवाकर दिया जाता है, जिसे उपभोक्ताओं या लोगों को गिफ्ट (Cow Dung Gifts In Demand) के रूप में दिया जाता है.
तो आवारा गायों से मिल जाए मुक्ति: बलबीर सिंह ने बताया कि यदि नगर निगम का सहयोग मिले तो शहर में घूमने वाली सभी गायों को गौशाला में रखकर उनके गोबर से बड़े पैमाने पर उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. इससे जहां आवारा घूमने वाली गायों ( Stray Cattle Problem Could be Well addressed) से शहरवासियों को मुक्ति मिल जाएगी, वहीं गायों को गौशालाओं में पर्याप्त चारा, पानी मिल सकेगा.