भरतपुर. नाबालिग से एसीबी जज और दो क्लर्क के यौन शोषण मामले में सोमवार को कोर्ट में नाबालिग की मां के बयान के दौरान बवाल हो गया. बयान के दौरान मोबाइल में वॉइस रिकॉर्डिंग करने की जानकारी सामने आने पर आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने आपत्ति जताई. जिस पर विशिष्ट न्यायाधीश दीपा गुर्जर के आदेश पर नाबालिग की मां का मोबाइल जब्त कर लिया गया. साथ ही बयान की प्रक्रिया भी रोक दी (Court hearing stopped in minor sexual misconduct case) गई.
जानकारी के अनुसार नाबालिग से यौन शोषण मामले में सोमवार को पॉक्सो कोर्ट में नाबालिग की मां के बयान हो रहे थे. इस दौरान आरोपित पूर्व न्यायाधीश जितेन्द्र सिंह गुलिया के वकील देवेन्द्र पाल ने प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग का आरोप लगाते हुए कोर्ट की प्राइवेसी भंग को लेकर आपत्ति जताई. न्यायाधीश के आदेश पर नाबालिग की मां के हाथ में लगे मोबाइल की जांच की, जिसमें वॉइस रिकॉर्डिंग चालू मिली. बताया जा रहा है की कोर्ट में चल रही प्रोसिडिंग और बयानों की करीब 1 घंटा 27 मिनट की रिकॉर्डिंग हो चुकी (Recording of court proceeding by victim family) थी.
आपत्ति के बाद न्यायालय ने महिला के मोबाइल के जब्त करने के आदेश दिए. अधिवक्ता देवेंद्र पाल ने बताया कि मोबाइल ब्लूटूथ से जुड़ा हुआ था और एक रिश्तेदार भी कोर्ट में रिकॉर्डिंग कर रहा था. जैसे ही रिकॉर्डिंग को लेकर आपत्ति जताई महिला का रिश्तेदार न्यायालय से बाहर चला गया. न्यायाधीश दीपा गुर्जर के आदेश पर घटनाक्रम के बाद बयानों की प्रक्रिया को रोक दिया गया. अब शेष बयान अगली तारीख पर होंगे. अधिवक्ता ने बताया कि मोबाइल की एफएसएल से जांच कराने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा. उधर, विशिष्ट लोक अभियोजन पॉक्सो कोर्ट (संख्या-1) के तरुण जैन ने बताया कि कोर्ट प्रोसिडिंग के दौरान वॉइस रिकॉर्डिंग चालू थी. गुलिया पक्ष के अधिवक्ता के विरोध जताते पर मोबाइल को जब्त कर लिया गया है.
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गौरतलब है कि अक्टूबर 2021 में आरोपी न्यायाधीश जितेंद्र गुलिया और उनके 2 क्लर्क अंशुल सोनी व राहुल कटारा ने एक नाबालिग बच्चे के साथ सामूहिक कुकर्म किया था. मामला प्रकाश में आने के बाद पीड़ित परिवार ने तीनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. इसके बाद बाल आयोग ने मामले में संज्ञान लिया और दबाव बढ़ाया, जिसके बाद आरोपी जज और लिपिकों को सस्पेंड कर जेल भेज दिया गया था. बाद में तीनों को जमानत मिल गई.