भरतपुर. उत्तर प्रदेश से प्रवासी राजस्थानियों को लेने के लिए ऊंचा नगला बॉर्डर पर रुकी हुई 500 बसों के करीब 1000 चालक और परिचालकों को मंगलवार देर रात तक खाने और पीने के पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा. दर्जनों चालकों और परिचालक रात को 10 बजे तक भूखे प्यासे बैठे रहे.
वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का दावा था कि सभी के लिए खाना और पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा. लेकिन ईटीवी भारत ने जब रात 10 बजे बॉर्डर पहुंचकर रियलिटी चेक किया तो यह चौंकाने वाले हालात सामने आए.
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अलवर से बस लेकर आए चालक रईस खान ने बताया, कि वो सुबह घर से खाना खाकर ऊंचा नगला बॉर्डर पहुंचे थे. लेकिन यहां पर मंगलवार रात 10 बजे तक उनको खाना नहीं मिल पाया है. चालक रईस ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें बोला गया है कि जल्द ही उनको खाना मिल जाएगा लेकिन देर रात तक वह इसी इंतजार में बैठे रहे.
अलवर से बस लेकर आए मुस्ताक खान ने बताया, कि प्रशासन की ओर से उनको ना तो खाना उपलब्ध कराया गया है और ना ही पीने का पानी. उन्होंने बताया कि पास के ही एक गांव में लगे आरो प्लांट पर जब वह पानी की बोतल लेकर पहुंचे तो वहां कार्ड से पीने का पानी दिया जा रहा था. ऐसे में खाली बोतल लेकर ही वापस लौट आए. चालक-परिचालकों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि खाना तो दूर यहां पर पीने के लिए पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
गौरतलब है कि मंगलवार सुबह उत्तर प्रदेश से प्रवासी राजस्थानियों को लाने के लिए ऊंचा नगला बॉर्डर पर राजस्थान सरकार की ओर से करीब 500 बसें भेजी गई. इन सभी बसों पर करीब 1000 चालक और परिचालक के स्टाफ मौजूद हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अनुमति नहीं मिलने की वजह से सभी बस बॉर्डर पर ही रुकी हुई है. ऐसे में बॉर्डर पर रुकी हुई इन बसों के स्टाफ को देर रात तक खाने और पीने की पानी की समस्या का सामना करना पड़ा. हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि उनकी तरफ से सभी चालक और परिचालकों के लिए खाने की व्यवस्था की गई है.