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कांग्रेस बीजेपी की राजनीति का शिकार हुए बस चालक और परिचालक, खाना-पानी के लिए तरसे

प्रियंका गांधी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के लिए 1 हजार बसें भेजने के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से भरतपुर-आगरा बॉर्डर पर करीब 700 बसें अनुमति का इंतजार कर रही थी, लेकिन बसों को अनुमति नहीं मिली. ऐसे में सभी बसों को वापस लौटना पड़ा. इस दौरान बस चालक और परिचालकों की हाल बेहाल हो गया.

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कांग्रेस बीजेपी की राजनीति का शिकार हुए बस चालक और परिचालक
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Published : May 20, 2020, 8:49 PM IST

भरतपुर. प्रियंका गांधी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के लिए 1 हजार बसें भेजने के निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से भेजी गई भरतपुर-आगरा बॉर्डर पर करीब 700 बसें अनुमति का इंतजार कर रही थी, लेकिन बसों को अनुमति नहीं मिली और पहले की तरह सभी बसों को वापस लौटना पड़ा. इस दौरान बस चालक और परिचालकों की हाल बेहाल हो गया.

कांग्रेस बीजेपी की राजनीति का शिकार हुए बस चालक और परिचालक

दरअसल, मंगलवार शाम करीब 4 बजे से कांग्रेस की सभी बसें बॉर्डर पर अनुमति का इंतजार कर रही थी और हर बस में एक चालक और परिचालक नियुक्त किया गया था. लेकिन उनके खाने पीने की व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाई. बस चालक और परिचालक बसों के नीचे सोते दिखाई दिए. जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया, कि उनको मंगलवार शाम को खाना दिया गया था, लेकिन उस खाने में से बदबू आ रही थी जिसके कारण उन्हें वह खाना फेंकना पड़ा और बिस्किट नमकीन खाकर अपना पेट भरना पड़ा.

इसके साथ ही उनके सोने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी तो कोई बस के नीचे सो गया सुबह किसी नेता या प्रशासन ने उनकी सुध तक नहीं ली. ऐसे में उनके पास न तो खाने के लिए खाना था और पीने के लिए पानी तब सभी बस चालक और परिचालकों ने अपने जेब से पैसे खर्चकर पानी की व्यवस्था की और एक गांव मे जाकर 50 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से खाना खाया.

पढ़ेंः होम क्वॉरेंटाइन की सख्ती से पालना कराई जाएः CM गहलोत

सवाल यही उठता है, कि कांग्रेस बीजेपी की इस राजनीति में आम आदमी क्यों पिसे. जब बसों की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी की थी तो बस चालक और परिचालकों के खाने पीने की उचित व्यवस्था क्यों नही करवाई गई और आखिर में सभी बसों को दोबारा बेरंग लौटना पड़ा.

भरतपुर. प्रियंका गांधी के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के लिए 1 हजार बसें भेजने के निर्देश दिए गए थे. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से भेजी गई भरतपुर-आगरा बॉर्डर पर करीब 700 बसें अनुमति का इंतजार कर रही थी, लेकिन बसों को अनुमति नहीं मिली और पहले की तरह सभी बसों को वापस लौटना पड़ा. इस दौरान बस चालक और परिचालकों की हाल बेहाल हो गया.

कांग्रेस बीजेपी की राजनीति का शिकार हुए बस चालक और परिचालक

दरअसल, मंगलवार शाम करीब 4 बजे से कांग्रेस की सभी बसें बॉर्डर पर अनुमति का इंतजार कर रही थी और हर बस में एक चालक और परिचालक नियुक्त किया गया था. लेकिन उनके खाने पीने की व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाई. बस चालक और परिचालक बसों के नीचे सोते दिखाई दिए. जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया, कि उनको मंगलवार शाम को खाना दिया गया था, लेकिन उस खाने में से बदबू आ रही थी जिसके कारण उन्हें वह खाना फेंकना पड़ा और बिस्किट नमकीन खाकर अपना पेट भरना पड़ा.

इसके साथ ही उनके सोने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी तो कोई बस के नीचे सो गया सुबह किसी नेता या प्रशासन ने उनकी सुध तक नहीं ली. ऐसे में उनके पास न तो खाने के लिए खाना था और पीने के लिए पानी तब सभी बस चालक और परिचालकों ने अपने जेब से पैसे खर्चकर पानी की व्यवस्था की और एक गांव मे जाकर 50 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से खाना खाया.

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सवाल यही उठता है, कि कांग्रेस बीजेपी की इस राजनीति में आम आदमी क्यों पिसे. जब बसों की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी की थी तो बस चालक और परिचालकों के खाने पीने की उचित व्यवस्था क्यों नही करवाई गई और आखिर में सभी बसों को दोबारा बेरंग लौटना पड़ा.

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