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समाज की दुत्कार, पिता की फटकार के बीच मां के सहारे ने बदल दी दुनिया...पैरा खिलाड़ी सोनिया ने खेल की दुनिया में बनाई खास पहचान

भरतपुर की सोनिया चौधरी (Bharatpur Para player Sonia Chaudhary) पैर से दिव्यांग हैं, लेकिन खेल की दुनिया में भारत का गौरव हैं. बचपन के दिनों में दिव्यांगता के कारण समाज की दुत्कार सुनने वाली सोनिया अब अपनी उपलब्धियों से दूसरों को प्रेरित कर रही हैं. सोनिया की सफलता में उनकी मां वीरमति सबसे बड़ी हिम्मत रही हैं. पढ़िये ये खास रिपोर्ट.

Sonia Chaudhary made special identity in sports world
सोनिया ने बनाई खास पहचान
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Published : Mar 7, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Mar 7, 2022, 10:27 PM IST

भरतपुर. सोनिया चौधरी ये नाम भरतपुर जिले (Bharatpur Para player Sonia Chaudhary) और राजस्थान के लिए नया नहीं है. खेल की दुनिया में चमकती सितारा बनी सोनिया का बचपन जितने कठिन हालातों में गुजरा है, आज वह उतना ही चमक रही है. समाज की दुत्कार और पिता की डांट के आगे हिम्मत तोड़ती दिव्यांग को जब मां का सहारा मिला तो बस सोनिया की दुनिया ही बदल गई. सोनिया ने फिर हर चुनौतियों का डटकर सामना किया और खेल की दुनिया में राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम (Sonia Chaudhary made special identity in sports world) रोशन किया. सोनिया ने अब तक शॉटपुट, डिस्कसथ्रो, बैडमिंटन और क्रिकेट में देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं.

जन्म से पैर से दिव्यांग सोनिया चौधरी को बचपन से ही हर बच्चे की तरह खेलने का शौक था. लेकिन जब भी सामान्य बच्चों के साथ खेलने जाती तो वह उसे धक्का मारकर गिरा देते. समाज के लोग भी दुत्कारते, पिता की भी डांट खानी पड़ती. ऐसे में सोनिया की मां अपनी बेटी का संबल बनीं और उसका हौसला बढ़ाया. मां का साथ मिला तो मानो सोनिया चौधरी को पंख लग गए. एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए सोनिया ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरतपुर और अपने देश का मान बढ़ाया. जिले के नदबई क्षेत्र के गांव उसेर के किसान की बेटी सोनिया अब तक शॉटपुट, डिस्कसथ्रो, बैडमिंटन और क्रिकेट में देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं. साथ ही फिल्मों में देश का नाम रोशन कर चुकी सोनिया चौधरी दिव्यांग बच्चों की मदद करना चाहती हैं.

सोनिया ने बनाई खास पहचान

पढ़ें. अवनि लेखरा 2 पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं

लोग ताने देते थे.. दिव्यांग है, कुछ नहीं कर सकती
पैरा खिलाड़ी सोनिया चौधरी ने बताया उसकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव उसेर में ही हुई थी. बचपन में वह गांव के बच्चों के साथ खेलने जाती थी तो वे उसके साथ बुरा व्यवहार करते थे. समाज के लोग भी उसके पिता को बोलते कि दिव्यांग बेटी है इसे घर में रखो ये कुछ नहीं कर सकती. समाज और पिता के तानों के बाद मां वीरमति ने हौसला बढ़ाया. सोनिया ने बताया कि मां ने सोनिया को पढ़ने के लिए भरतपुर शहर अपने मामा के घर भेज दिया.

सोनिया ने बनाई खास पहचान

पढ़ें. IPL 2022 में जोधपुर का एक और खिलाड़ी, इस टीम ने 20 लाख में खरीदा...कोच ने कहा- जोधपुर का है क्रिस गेल

यूं बदली दिशा
सोनिया ने बताया कि उन्होंने एक बार पैरालंपिक मेडलिस्ट जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झांझड़िया का साक्षात्कार पढ़ा था. उसके बाद अपनी मां से खेलने की इच्छा जताई. मां ने बेटी का हौसला बढ़ाया. मामा के घर रहते हुए लोहागढ़ स्टेडियम में सोनिया चौधरी ने तैयारी की. लेकिन यहां भी लोगों के ताने सुनने को मिले. इसी दौरान सोनिया चौधरी की सचिवालय में यूडीसी के पद पर नियुक्ति हो गई. जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में सोनिया चौधरी की उनके गुरु नरेंद्र तोमर ने काफी मदद की और उन्हें 2 साल तक निशुल्क प्रशिक्षण दिया. उसके बाद सोनिया चौधरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उपलब्धियों से भरा जीवन

  • 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में गोल्ड मेडल
  • 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में सिल्वर मेडल
  • 2020, 21, 22 की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पैरा एथलेटिक्स में कांस्य पदक जीता
  • 2017-18 श्रीलंका टी-20 विजेता
  • 2019-20 बांग्ला देश टी-20 विजेता
  • नेपाल में शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में स्वर्ण पदक जीते

सोनिया का हर कदम पर साथ देंगे आरव
2 माह बाद सोनिया चौधरी और आरव चौधरी शादी के बंधन में बनने वाले हैं. सोनिया के मंगेतर आरव चौधरी ने कहा कि वो सौभाग्यशाली हैं जो उन्हें सोनिया जैसी जीवनसंगिनी मिलने जा रही है. आरव ने कहा कि शादी के बाद वो सोनिया का हर कदम पर साथ देंगे. उसे कभी कमजोर नहीं पड़ने देंगे. साथ ही सोनिया और आरव दोनों साथ मिलकर सिद्धिविनायक समिति संचालित कर रहे हैं. जिसमें अनाथ और दिव्यांग बच्चों की पूरी मदद करते हैं. दिव्यांग और अनाथ बच्चों के रहने, खाने, पढ़ने और खेलने का पूरा खर्चा सोनिया और आरव वहन करते हैं.

भरतपुर. सोनिया चौधरी ये नाम भरतपुर जिले (Bharatpur Para player Sonia Chaudhary) और राजस्थान के लिए नया नहीं है. खेल की दुनिया में चमकती सितारा बनी सोनिया का बचपन जितने कठिन हालातों में गुजरा है, आज वह उतना ही चमक रही है. समाज की दुत्कार और पिता की डांट के आगे हिम्मत तोड़ती दिव्यांग को जब मां का सहारा मिला तो बस सोनिया की दुनिया ही बदल गई. सोनिया ने फिर हर चुनौतियों का डटकर सामना किया और खेल की दुनिया में राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम (Sonia Chaudhary made special identity in sports world) रोशन किया. सोनिया ने अब तक शॉटपुट, डिस्कसथ्रो, बैडमिंटन और क्रिकेट में देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं.

जन्म से पैर से दिव्यांग सोनिया चौधरी को बचपन से ही हर बच्चे की तरह खेलने का शौक था. लेकिन जब भी सामान्य बच्चों के साथ खेलने जाती तो वह उसे धक्का मारकर गिरा देते. समाज के लोग भी दुत्कारते, पिता की भी डांट खानी पड़ती. ऐसे में सोनिया की मां अपनी बेटी का संबल बनीं और उसका हौसला बढ़ाया. मां का साथ मिला तो मानो सोनिया चौधरी को पंख लग गए. एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए सोनिया ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरतपुर और अपने देश का मान बढ़ाया. जिले के नदबई क्षेत्र के गांव उसेर के किसान की बेटी सोनिया अब तक शॉटपुट, डिस्कसथ्रो, बैडमिंटन और क्रिकेट में देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं. साथ ही फिल्मों में देश का नाम रोशन कर चुकी सोनिया चौधरी दिव्यांग बच्चों की मदद करना चाहती हैं.

सोनिया ने बनाई खास पहचान

पढ़ें. अवनि लेखरा 2 पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं

लोग ताने देते थे.. दिव्यांग है, कुछ नहीं कर सकती
पैरा खिलाड़ी सोनिया चौधरी ने बताया उसकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव उसेर में ही हुई थी. बचपन में वह गांव के बच्चों के साथ खेलने जाती थी तो वे उसके साथ बुरा व्यवहार करते थे. समाज के लोग भी उसके पिता को बोलते कि दिव्यांग बेटी है इसे घर में रखो ये कुछ नहीं कर सकती. समाज और पिता के तानों के बाद मां वीरमति ने हौसला बढ़ाया. सोनिया ने बताया कि मां ने सोनिया को पढ़ने के लिए भरतपुर शहर अपने मामा के घर भेज दिया.

सोनिया ने बनाई खास पहचान

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यूं बदली दिशा
सोनिया ने बताया कि उन्होंने एक बार पैरालंपिक मेडलिस्ट जैवलिन थ्रोअर देवेंद्र झांझड़िया का साक्षात्कार पढ़ा था. उसके बाद अपनी मां से खेलने की इच्छा जताई. मां ने बेटी का हौसला बढ़ाया. मामा के घर रहते हुए लोहागढ़ स्टेडियम में सोनिया चौधरी ने तैयारी की. लेकिन यहां भी लोगों के ताने सुनने को मिले. इसी दौरान सोनिया चौधरी की सचिवालय में यूडीसी के पद पर नियुक्ति हो गई. जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में सोनिया चौधरी की उनके गुरु नरेंद्र तोमर ने काफी मदद की और उन्हें 2 साल तक निशुल्क प्रशिक्षण दिया. उसके बाद सोनिया चौधरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उपलब्धियों से भरा जीवन

  • 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में गोल्ड मेडल
  • 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में सिल्वर मेडल
  • 2020, 21, 22 की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पैरा एथलेटिक्स में कांस्य पदक जीता
  • 2017-18 श्रीलंका टी-20 विजेता
  • 2019-20 बांग्ला देश टी-20 विजेता
  • नेपाल में शॉटपुट और डिस्क्स थ्रो में स्वर्ण पदक जीते

सोनिया का हर कदम पर साथ देंगे आरव
2 माह बाद सोनिया चौधरी और आरव चौधरी शादी के बंधन में बनने वाले हैं. सोनिया के मंगेतर आरव चौधरी ने कहा कि वो सौभाग्यशाली हैं जो उन्हें सोनिया जैसी जीवनसंगिनी मिलने जा रही है. आरव ने कहा कि शादी के बाद वो सोनिया का हर कदम पर साथ देंगे. उसे कभी कमजोर नहीं पड़ने देंगे. साथ ही सोनिया और आरव दोनों साथ मिलकर सिद्धिविनायक समिति संचालित कर रहे हैं. जिसमें अनाथ और दिव्यांग बच्चों की पूरी मदद करते हैं. दिव्यांग और अनाथ बच्चों के रहने, खाने, पढ़ने और खेलने का पूरा खर्चा सोनिया और आरव वहन करते हैं.

Last Updated : Mar 7, 2022, 10:27 PM IST

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