भरतपुर. पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने अपने ही पिता पर धमकी देने का गंभीर आरोप लगाया है. इसको लेकर अनिरुद्ध सिंह ने भरतपुर पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार विश्नोई से लिखित में शिकायत भी की है. अनिरुद्ध सिंह ने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि यदि उन्हें कोई शारीरिक हानि पहुंचती है, तो इसके जिम्मेदार उनके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह होंगे.
अनिरुद्ध सिंह ने गुरुवार को भरतपुर पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार विश्नोई को पत्र भेजकर शिकायत की है कि उन्हें अपने पिता विश्वेंद्र सिंह की कोर टीम से लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने पत्र में लिखा कि ये धमकियां इतनी गंभीर हैं कि उन्हें भविष्य में शारीरिक हानि भी हो सकती है. अनिरुद्ध सिंह ने पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यदि उन्हें भविष्य में किसी प्रकार की कोई शारीरिक हानि होती है, तो इसके लिए पूरी तरह से उनके पिता विश्वेंद्र सिंह जिम्मेदार होंगे.
गौरतलब है कि अनिरुद्ध सिंह और उनके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच में पैतृक जायदाद को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसी के चलते लंबे समय से अनिरुद्ध सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच में बातचीत भी नहीं है. इसको लेकर समय-समय पर अनिरुद्ध सिंह की ओर से ट्विटर के माध्यम से कई बार बयान भी जारी किया जा चुका है.
अनिरुद्ध का पिता विश्वेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप...
पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने गुरुवार को अपने पिता पर धमकी देने का आरोप लगाने के साथ ही कहा कि वो ऐतिहासिक विरासत को बेचना चाह रहे थे. अनिरुद्ध सिंह ने अपने पिता पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कर्जा लिया था, जिसको चुकाने के लिए पुरखों की ऐतिहासिक विरासत महल को बेचना चाह रहे थे, जिसका उन्होंने विरोध किया.
अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उनके पिता विश्वेंद्र सिंह पूर्व में बंध बारैठा का महल, उत्तर प्रदेश के आगरा में हरि पर्वत जायदाद और सिनसिनी गांव की पैतृक जमीन को भी बेच चुके हैं. अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि उनके पिता विश्वेंद्र सिंह ने कोई व्यक्तिगत कर्जा लिया था, जिसको चुकाने के लिए अब वो ऐतिहासिक विरासत और पुरखों की निशानी महल को भी बेचना चाह रहे थे.
अनिरुद्ध ने कहा कि ऐतिहासिक विरासत के हम कस्टोडियन हैं, उसका उपयोग और उपभोग कर सकते हैं, उसे बेच नहीं सकते. जबकि पिता विश्वेंद्र सिंह एक के बाद एक ऐतिहासिक विरासत और पुरखों की प्रॉपर्टी को बेचते जा रहे थे. यदि वो इसी तरह अपने आर्थिक कुप्रबंधन के चलते ऐतिहासिक विरासत बेचते रहेंगे तो किसी को तो आवाज उठानी ही पड़ेगी और इसीलिए मैंने उनका विरोध किया.