भरतपुर. कोरोना महामारी के बीच राजस्थान में फंसे अन्य राज्यों के हजारों लोगों के लिए गहलोत सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है. राजस्थान में फंसे ऐसे लोगों की मजबूरी को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के भीतर रोडवेज बसें संचालित करने का फैसला लिया है. शनिवार को ऐसे यात्रियों को उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए भरतपुर डिपो की 10 रोडवेज बसों का संचालन किया गया.
वहीं, दौसा से करीब 30 रोडवेज बसों में लाए गए 2 हजार यात्रियों को ऊंचा-नगला बॉर्डर तक छोड़ा गया. भरतपुर डिपो के चीफ मैनेजर अवधेश ने बताया, कि दौसा डिपो की 30 बसों से उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों के करीब 2 हजार कामगारों और लोगों को जिले के यूपी बॉर्डर ऊंचा नगला पर छोड़ा गया है.
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ये प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के कारखाने समेत अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे थे. इसी तरह भरतपुर के छौंकरवाडा से 3 बसों में करीब 150 लोगों को भी शनिवार को ऊंचा नगला बॉर्डर पर छोड़ा गया है. वहीं, उत्तरप्रदेश की ओर से जिले में आने वाले लोगों को लाने के लिए बॉर्डर पर एक रोडवेज बस लगाई गई. उन्होंने बताया, कि रोडवेज प्रशासन ने दस बसों को तैयार रखा है.
उत्तर प्रदेश सरकार से साधा जा रहा है संपर्क...
उधर, प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से छोड़े इन कामगारों को ले जाने के लिए यूपी बॉर्डर ऊंचा नगला पर उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से कोई इंतजाम नहीं किए है. इससे कई लोग गांवों की तरफ चले गए हैं, जिससे ग्रामीण नाराजगी जता रहे हैं. एसपी हैदरअली जैदी ने बताया कि उत्तरप्रदेश के कामगारों को बॉर्डर पर छोड़ा गया है, लेकिन इन लोगों को ले जाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोई इतंजाम नहीं होने से समस्या बनी हुई है. इस संबंध में यूपी सरकार से संपर्क साधा जा रहा है.
गौरतलब है, कि कोरोना संक्रमण के चलते राजस्थान में विभिन्न राज्यों के लोग फंसे हुए हैं. राजस्थान सरकार की ओर से वाहनों के संचालन पर भी रोक लगा दी गई थी. ऐसे में यह लोग पैदल ही भूखे प्यासे अपने घरों की ओर लौट रहे थे. लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए गहलोत सरकार ने इन्हें बॉर्डर तक छुड़वाने के लिए रोडवेज बसों का संचालन शुरू किया है.